दूसरों को सबक़ सिखाने वाली शायरी,हाँ जी,बिलकुल ठीक पढ़ा है आपने,इस ब्लॉग में यह बताने की कोशिश की है कि पर उपदेश कुशल बहुतेरे वाली बातें कहने वाले लोगों को कभी कभी यह समझाना ज़रूरी हो जाता है कि पहले इंसान ख़ुद को देखे और फिर कहे।
जीवन में बहुत बार दूसरों को भी सबक़ सिखाना पड़ता है जिनकी कथनी और करनी में फर्क़ साफ़ दिखाई देता है|
पढ़ना न भूलें
|दूसरो पर कटाक्ष वाली व्यंग भरी शायरी|
दूसरों को सबक़ सिखाने वाली शायरी,नसीहत से भरी बातें होती बहुत सारी
कई बार जीवन में कुछ व्यक्तियों को सबक़ भी सिखाना पड़ता है और ख़ासतौर पर जो खुद को बहुत होशियार दिखाते है|।
Life सबक़ सिखाने वाली शायरी|57 कविताएँ सिखाएं बाते सारी
1)बातों के लहज़े में,उसके अदब की कमी थी
ग़ुरूर की इंतिहा ही,शायद सर पर चढ़ी थी।
2)जिस वक्त अपनों के काँधे की,ज़रूरत है होती
उस समय यह करना था की,बात नहीं जँचती।
3)ज़िंदगी के अनुभव ने बताया,तोड़ना समस्या का हल नहीं है
थोड़ी दूरी हर रिश्ते को बचाए,तरीक़ा ये भी बुरा नहीं है।
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4)कहते हैं-देर रात तक जो सोते है,वो खोते हैं
पर जरा सुनो!क्या ऐ,सा वो ख़ुद भी करते हैं।
5)घर के संस्कार तो,बुरे वक्त में ही है दिखते
दुश्मनों से भी बात की,तमीज़ जब नहीं भूलते।
6)जिन तानों से मन हुआ था,ताउम्र आहत
तरिक्की देख मेरी,हुए सब वो फिर घायल।
7)असफलता भी सबक़ सही,खूब दिया है करती
प्रयास में कमी रह गई,बादस्तूर बयाँ है करती।
8)हाथ पैर चलते है सही सलामत,जब तक मज़बूती से
हर कोई साथ होता है,दिखाता प्यार भी संजीदगी से।
9)शरीर हो जब बीमार,तो इलाज भी संभव है
मन हो अस्वस्थ तो सब कुछ,लगता असंभव है।
10)घर की रानी का दर्जा,जो मंडप में दिया जाता है
उसके बाद तो कही ढूँढे से भी,नज़र नहीं आता है।
11)अदब-क़ायदा देख,घराने का अंदाज़ा था किया
असलियत में बर्ताव इतना बुरा,तौबा हमने किया।
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12)आईने को जब से,हमने अपना करीबी बना लिया
समय से पहले ही,तरकीबों का सागर पा लिया।
13)हक़ माँगने पर इतनी,तीखी प्रतिक्रिया भला क्यों है
सिर्फ़ ग़ुलामी सहेंगे,यह किसने तुम्हें कह दिया है।
14)ज़िंदगी तो बस अपने तरीक़े से ही,सबक़ सिखाती है
मत करो इतना ग़ुरूर,लिहाज़ तब नहीं कर पाती है।
15)भरोसा जिन पर भी दिल हद से,ज़्यादा कर गया
दुख के प्रहर में वो चुपके से,निकल अंजान बन गया।
16)जिनके लिए ज़िंदगी,कर देते है पूरी न्योछावर
वो कद्र समझते ही नहीं,चल देते हैं छोड़ कर।
17)दिन रात मगज़मारी की,पढ़-पढ़ कर किताबें चार
रूह अच्छी होगी यहसोचा,आदत पाई बुरी हर बार।
18)वक्त सीखा रहा था सबक़,पर अनसुनी करी गई
जानबूझ कर दिल को चोट,जब ज़बरदस्ती दी गई।
19)वक्त ऐसा गुरु है जो सख़्ती से,आईना दिखता है
साफ़ कितना भी कर को चाहे,रूबरू खूब कराता है।
20)आदत सी बनी जैसे ही,उस से ही पूछ कर करने की
तेवर हुए उसके ऐसे सख़्त,ये बात नहीं सोची थी कभी।
21)यूँ मेरे चेहरे पर उन्मुक्त हंसी,उनसे देखी ही नहीं जाती
झट से कोई दुखती हुई बात,तभी है कह दी जाती।
22)ख़ामोशी भी बहुत अच्छी,नहीं हुआ करती
मौका देख लोग उपदेश दे,खिसक लिया है करते|
ज़िंदगी की कड़वी सच्चाई शायरी
23)मन को पहले दुखाते हो,फिर डाक्टर को भी दिखाते हो
इतने नादान तो नहीं हो,कुछ भी समझ नहीं क्यों पाते हो।
24)बात तो अखरने वाली थी,इसलिए दिल को चुभ गई
अपने लिए कुछ और दूजे के लिए,कुछ जब कही गई|
25)ज्ञान से कहीं ज़्यादा अनुभव ही,हमें है सिखाता
किताबों को सिर्फ़ पढ़ना ही नहीं,अमल करना बताता।
26)उसके बडबोलेपन की बातें ख़ामोशी से सुनते रहें
एक सवाल क्या पुछा,होश न जाने क्यूँ उसके उड़ गए|
27)शब्दों को बोलने से पहले,एक बार तो जाँच लीजिए
ये ख़तरनाक हथियार है,दिल न दुखे,सोच लीजिए।
28)यूँ आगे बढ़ने में ये तरह-तरह के रोड़े,जो अटकाते हो
कमाल है हम तो उन्हें ही,सीढ़ी बना कर बढ़ जाते हैं।
29)दिल ने भगवान के आगे,शीश है निस्वार्थ हो जब नवाया
अनजाने से सरल रास्तों का,सफ़र साफ़ नज़र आया।
30)उफ़्फ़! दिन भर इतनी ज्ञान की बातें,तुम पर नहीं जँचती
पर उपदेश कुशल बहुतेरे,ये कहावत है तुम पर ही जँचती।
31)जीवन में सुख संग,दुखों का आना भी ज़रूरी है
अपनों और ग़ैरों का भेद,दिखना भी तो ज़रूरी है।
32)नकारात्मक बातों को दिल से,लगाना छोड़ा हमने जब से
एक ऊर्जामय दिल मिला,मह-ए-कामिल जैसे ख़ुद में।
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(मह-ए-कामिल=पूरा चाँद)
33)ख़्वाबों को पूरा करने की ज़िद ने,जंग आख़िर जीत ही ली
हैरां सभी थे क्योंकि सुबहोंशाम,मौन हो मेहनत जो की।
सबक़ शायरी in hindi
34)सारी दुनिया को जो फ़तह करके भी,
दिल के हाथों हार गया
अपनों के लिए जिया था न,
अपनों के ग़म में ही मर गया।
35)घर में तालीम देने में बच्चों में,
फर्क कभी नहीं होना चाहिए
भेदभाव उनके करने पर,
दिल को फिर बुरा लगना नहीं चाहिए।
36)ख़्वाबों को हक़ीक़त में,
बदलने की हमारी जुनूनी ज़िद थी
ये ताने-उलाहाने देने की आदत,
यह तुम्हारी परवरिश थी।
37)नकारात्मक बातों को दिल से,
लगाना छोड़ा हमने जब से
एक ऊर्जामय दिल मिला,
मह-ए-कामिल जैसे ख़ुद में।
38)सब वो पथरीले रास्ते,
मंज़िल के क़रीब ले गए, जो टूटे थे
सुनसान तो थे मगर,
राही ज़्यादा उन पर चले ही नहीं थे।
39)सुबहो से शाम तक,
बस ढेरों उपदेश ही है दिए जाते
सोचते है कि कुछ तो अपने पर भी,
अमल आपने किए होते।
40)हर व्यक्ति में खूबियों का भंडार,
न हो ऐसा नहीं है होता
ग़लत चश्मे से सबको एक ही तराज़ू में तौलना,
अच्छा नहीं होता।
41)सबक़ देने से पहले ज़रा,
ख़ुद पर भी तो थोड़ा आज़मा लेना
कहीं बातें जो कही हों,
वापस न लेनी पड़ जाए,ध्यान रखना।
42)जब जब जिसने जान बूझ कर,
जिसका भी दिल है दुखाया
दुख परेशानी बन,
उससे कहीं ज़्यादा वक्त ख़राब है फिर पाया।
43)ग़लतियाँ करना,
इंसान होने का ही सबूत है
हर बार वहीं करना,
ख़ुद पर दिखाता ग़ुरूर है।
44)अगर धन-दौलत को आख़िरी रूखसत में,
ले जाने का नियम होता
आप का नंबर दुनिया में
सबसे पहले ही सच में आ गया होता|
2 lines में सबक़ सिखाती कविताएँ
45)डिग्रियाँ बहुत ऊँची की थी हासिल,
बस अमल में लाना नहीं आया
नौकरी तो अहले दर्जे की थी,
सम्मान की कमी का दर्द उभर आया।
46)सच क्या कह दिया जरा सा,
मिर्ची सी क्यों तुम्हें एकदम से लग जाती है
बोलने का हक़ क्या सिर्फ़ तुम्हें मिला है,
बात समझ में नहीं आती है।
47)दौलत का साथ कभी किसी का,
अंत तक न चला,सच कहा है
तुम ने नहीं पढ़ा क्या,मशवरा है मेरा,
थोड़ा खर्च किया करो,सच कहा है।
48) होती है तब ईश्वर में,
अटूट आस्था और दिल का गहरा विश्वास
बुरा कोई कितना भी चाहे,
अच्छा ही है होता संग हो जब आशीर्वाद।
49)हर बात को इल्ज़ाम की तरह लेते हो,
क्या सही ख़ुद को साबित कर पाओगे
भीड़ में न सही,
अकेलेपन में तो एक दिन सब जान,बहुत पछताओगे।
50)सच ही कहा था किसी ने,
उम्मीदें ख़ुद से ही बस सदा रखा करो
ढोकरें मिलती हैं फ़क़त,
किसी से कोई आशा की आस न किया करो।
51)ये अपने ख़ज़ाने की छुपी पोटली को,
कस के पकड़ कर रख लो
वैसे बता दें,आख़िरी-सलाम का वक्त भी तो
ज़रा पता कर लो।
52)यूँ मुँह पर बोलने की आदत को,
अक्सर अपनाना पड़ता है
नासमझ बनने की कोई जब,
मज़बूरी सी दिखाता रहता है|
53)ये तुम्हारा रुतबा और दौलत का क्या हुआ,
नहीं काम आईं
ज़िंदगी भर देते रहे सबको बददुआएँ,
शायद वहीं अब उभर आईं।
54)आँखें खुली की खुली,
तब ऐसे लोगों के लिए रह जाती है
जब गलती स्वयं कर,
दोषी दूसरे को आराम से ठहराती हैं|
55)उन ऊँचाइयों को छूने में साथ,
तुम्हारा भी काश हुआ होता
गिराने की हर कोशिश में,
इरादा बुलंद न इतना किया होता।
56)मेरी कमियाँ भी थी,बहुत प्यार से मंज़ूर
काम होते ही,मैं बेकार साबित किया गया
पल भर में बदलते नज़ारे ने कहा यही
हाय!मतलबी निकले आप तो हज़ूर।
57)मेरा धैर्य ही मुझे एक दिन,मेरे ईश्वर से मिलवाएगा
प्रश्न तो तब उस रब से भी,बेबाक़ हो पूछा जाएगा
क्यों इतना गमज़दा है, हर एक इंसान इस धरा पर
दिल से करने वालों का अंजाम,क्या बेबसी का सबब कहलाएगा।
दूसरों को सबक़ सिखाने वाली शायरी,दिल को दुखाती बातें कहे सारी।जीवन में इस परिस्थिति से सबका सामना होता ही है।किसी को सबक़ सिखाती कविताएँ पढ़िए ज़रूर और COMMENT BOX में लिखिए भी ज़रूर।😊
रास्ता था लम्बा, मुश्किलें थी क्रूर
दिल में लेकिन मशाल जला कर चली आयी मैं इतनी दूर।