नटखट बच्चों पर शायरी,चलो याद करते हैं बचपन वाली यारी|नटखट बच्चों पर शायरी लिखते हुए वो सारे बचपन की गलियों में टप्पे से खेलना,वो छुप्पन-छुपाई मतलब बेफिक्र मस्ती वाले दिनों को जीवंत हो उठना ही तो है।
बच्चे हमेशा ही हरदिल अजीज होते है।प्यारे से बच्चे अपनी ही दुनिया में खुश रहने वाले होते हैं। नटखट होना ही एक बच्चे ही पहचान है। अब बच्चे शैतानी नहीं करेंगे तो क्या आप और हम करेंगे।😜
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नटखट बच्चों पर शायरी,चलो याद करते हैं बचपन वाली यारी
शैतान बच्चों पर चुलबुली कविताएँ।51 मस्ती भरी रचनाएँ
1)बचपन और नटखटपन का याराना
नहीं आता कभी लौट के,वो हसीं जमाना|
2)बचपन बड़ा ही मासूम होता है
अपनी ही दुनिया में लीन होता है।
3)बोलती ऐसी मीठी-मीठी वाणी
नटखट मेरी प्यारी गुड़िया रानी।
4)बच्चों के घर में न हो छुपन-छुपाई
नहीं होता कभी भी,सुनो सभी भाई।
5)छत पर शोर मचा है,बहुत ही हर ओर से
कटी पतंग जिसकी भी,रोए ज़ोर ज़ोर से।
6)धकड़-पकड़ की जब आयी आवाज़
क्या तोड़ा है अब,मम्मी की ने पूछी बात।
7)माँ की मीठी लोरी सुने बिन सोते नहीं
रोज़ रोज़ वही सुन,बोर होते भी नहीं।
8)दिल के बहुत ही कोमल हैं होते,ये नन्हें से बच्चे
घड़ी में तौला घड़ी में माशा,दिल के सच्चे बच्चे।
9)कजरारी आँखों में आंसू देखे जाते नहीं
शैतानी करने से मगर बाज भी आते नहीं।
10)भोली-भाली सूरत,हरकतें शैतानियों से भरपूर
ग़ुस्सा भी ही ग़र आ जाए,पल में हो चकनाचूर।
11)पापा को कहे ताता और मम्मी को तम्मी
चेहरे का डिंपल हंसने पर,खिल खिल जाए पम्मी।
12)यूँ उसकी किसी भी गलती पर, सजा दे ना सके
बचपन याद आया अपना,फिर कुछ कह ना सके|
नटखट बचपन वाली शायरी
13)पोशाम भा भई पोशम भा,खेल खूब है मिल खेलते
क्रिकेट खेलने में ख़ुद को,सचिन से कम नहीं समझते।
14)गले में पहन मफ़लर टाई और शॉल डाल काँधे पर
छोटे राजकुमार चले रौब से,हंसे सभी इस अदा पर।
15)नटखट सब बच्चों ने मिलकर,आफ़त ऐसी है मचाई
मम्मी सिर थामे बैठी,कंट्रोल करने की जुगत लगाई।
🙆♀️🙆♀️
16)तोतली भाषा में एक अनोखा सा,प्यार छिपा होता है
गलती बड़ी हो जाने पर नन्हा,गले से लगा होता है।
17)जरा सी चोट पर,करते हंगामा यूँ तो बहुत बड़ा
उई माँ उई माँ हैं करते,डाक्टर को देख घबराते ज़रा।
18)छप-छप बारिश की बूँदों में,खूब धमाल मचाते
ख़ुद तो भीगेंगे ही,पापा मम्मी को भी संग नचाते।
19)उम्र भर याद आती है रहती,बचपन की अठखेलियाँ
वो रूठना मनाना,मस्ती के साथ खेलती संग सहेलियाँ।
20)क्या बनोगी बड़ी होकर,पूछा मैडम ने शालू से हंस कर
थोड़ा सोचा फिर कहा सिर्फ़ मम्मी,रौब चलाऊँगी 😍😍
21)सुना पढ़ा था अब तक कान्हा,कहलाते थे माखनचोर
अरे!सच में लगता है,घर में आ गये हमारे नंदकिशोर।
22)हाथ में रोटी पकड़े बैठी थी,छत पर गुड़िया रानी
बंदर ने घुड़की दी बहुत,पर देने को वो ना मानी।
23)चलो नानी,चाँद की सैर करके वापस आ जाएँगे
बच्चे कहते और अपने चंदा मामा से भी,मिल आयेंगे।
24)नटखट शैतान बच्चे निकल पड़े,खेलने संग सबके होली
बुरा ना मानो की पुकार,देती सुनाई आई बंदर टोली।
Best नटखट बच्चे पर कोट्स
25)छोटा सा मेरा कान्हा,है बिल्कुल वैसा ही माखनचोर
भोली भाली सूरत सा,बृज का वही नटखट नंदकिशोर।
26)जब होते हैं छोटे बच्चे,जल्दी चाहते है बस बड़े हो जाए
अब होने पर बड़े मायूस हो,चाहते है फिर बच्चे हो जाए।
27)बचपन का वो चना ज़ोर गरम,अब भी मुँह में ला दे पानी
इस पीढ़ी के बच्चों को,नहीं समझ आती ये बातें पुरानी।
28)दरवाज़े के पीछे से करें जासूसी,दो मासूम सी अँखियाँ
मम्मी जरा घर से निकले तो,करेंगे लिपस्टिक लगा थैंया-थैंया।
29)हल्की सी एक डाँट से,सुबक-सुबक कर है रो पड़ते
आंसू देख मम्मी की आँखों में,चुप उन्हें कराने फिर लगते।
🙇♀️🙇♀️
30)यूँ प्यार से डाल ग़लबहियाँ,सब कुछ भुला देते हैं
दुनिया के सारी परेशानियों से, मुक्ति दिला देते हैं।
31)नटखट बच्चे तेरी हर बात को,खूब जाँच-परखती हूँ
स्कूल जाते समय ही होते,इस पेटदर्द को भी समझती हूँ।
🤷♀️🤷♀️
32)ठुमक-ठुमक चले इतरा कर,बच्चे बन हीरो हीरोइन
ख़ुद को समझे दीपिका कोई तो कोई समझे खुद को सलमान|
33)मछली को पकड़ने भागे इधर उधर,
बच्चों की वानर सेना
छूते ही छूमंतर देख,मन मसोस करते,
उफ़्फ़! रुको ना।
34)नन्ही सी प्यारी सी चिड़िया बन,
फुदकती घर आँगन में
गोल मटोल गुड़िया रानी आँखें मटकाती,
मन के उपवन में।
35)सुबह सुबह पैर छू कर,
दिन भर करते बच्चे नटखटपना
अब सज़ा भी क्या दें,
आशीर्वाद दिया था सदा खुश रहना।
36)गुल्लक को तोड़ नन्हें का छोटा सा तोहफा,
रखा है संभल के
यह उसके बचपन की पूरी दौलत थी,
हर तरह से देखभाल के|
नटखट बच्चे शायरी in hindi
37)कड़क सर्दी में भी आइसक्रीम खाने को,
मचल जाते है
यह मासूम बचपन ही तो है,
हर बात पर ज़िद दिखाते हैं।
38)हिरणी सी चंचलता देख नन्हों की,
मन खुश हो जाता है
लड़ते एक पल आपस में,
दूजे ही पल मेल मिलाप हो जाता है।
39)सारे घर में धमा-चौकड़ी
यानि है सारे बच्चों की बारात
नहीं सुनेंगे नहीं सुनेंगे,
पहले खिलाओ पिज़्ज़ा,तब सुनेंगे बात।
40)नक़ल उतारे जब-तब देखो सबकी,
करते रहते ऐसी तैसी
डाँट लगने पर कहते सॉरी मम्मी,
अब ना होगी गलती ऐसी।
41)सब्ज़ी में लगती मिर्ची,
पर होटल में चिल्ली पोटैटो खूब खाई
आँखें मटका कर बोले,
अरे मम्मी डार्लिंग खाने दो न भाई।
42)नटखटपन से कभी कभी,
है हो जाती थोड़ी सी परेशानी
मम्मी को दौड़ते रहते,
करते रहते हैं बस प्यारी सी नादानी।
43)बच्चों की टोली खिलखिलाती जैसे बारिश के बाद,
खिले हो इंद्रधनुषी रंग हर ओर
कोई चिढ़ता कोई चिढ़ाता,कोई हँसता तो कोई हँसाता,
अभिभूत सब चहूँओर।
44)हिरणी सी चंचलता देख नन्हों की,
मन खुश हो जाता है
लड़ते एक पल आपस में,
दूजे ही पल मेल मिलाप हो जाता है।
45)सूरज में भर अनेक रंग,
बजाता छोटू ताली बना ड्राइंग अजब
सोफ़े पर चाँद-सितारों को ला बिठाया,
कल्पना है वाह!ग़ज़ब।
46)बंदर मामा बंदर मामा चले कहाँ
बच्चे पूछे सिर की टोपी गई कहाँ
नक़ल करने की आदत अब छोड़ो न
हुआ बहुत घुड़की देना बस छोड़ो न।
47)मुझे चाहिए मेरा बचपन वाला चंदा मामा
चरखा कातती नानी माँ वाला ही चंदा मामा
सारी दुनिया ढूँढें तुम में न जाने क्यों ओर क्या
मेरा भोलामन बस कहता,तुम ही हो मेरे चंदा मामा।
48)दादी की सारी साड़िया,
पहन बनी दुल्हन गुड़िया रानी
वारी-वारी जाए सब देख देख कर,
नज़र उतारे मम्मी प्यारी।
नटखट बच्चों पर कविताएँ
49)माँ की मीठी लोरी की लय में बसे हो तुम चंदा मामा
बारिश की बौछारों में खेलते हो छुपन-छुपन क्यूँ-हे रामा
दूध पियो जल्दी,आवाज़ लगाती माँ,देख रहे ऊपर चंदा मामा
माँ की झिड़की में दिखते हो,तुम्हीं तो हो मेरे चंदा मामा।
50)टिंकू जी की बिट्टू जी से साइकिल चलाने,
पर हुई ज़ोरदार लड़ाई
पहले मैं और पहले मैं,
वर्चस्व की बात जो निकल थी आई
दादी ने दोनों को फिर बारी बारी से,
साइकिल चलवाई
प्यार से ना लड़ने की बात भी,
आराम से उन्हें समझाई।
51)तारों की गिनती में नानी माँ ने,
पूरी बच्चों की टोली को लगाया
जो गिन कर ठीक बताएगा,
ईनाम का हक़दार वही कहलाएगा
बच्चों ने मिल कर लगा जुगत,
एक समान गिनती नानी को बतलाई
हंस कर नानी माँ ने चाँद तारों की कहानियाँ,
पूरी रात जी भर सुनाई।
नटखट बच्चों पर शायरी पर लिखना मानों अपने प्यारे से बचपन में लौटने जैसा हैं|यादों के झरोखों से आती खुशबू को शब्दों में बांधने की कोशिश की है|पढ़िए जरुर बचपन की नटखटपन से भरी रचनाएँ|COMMENT BOX में अपनी राय भी लिखिए|
रास्ता था लम्बा, मुश्किलें थी क्रूर
दिल में लेकिन मशाल जला कर चली आयी मैं इतनी दूर।