बच्चों के लिए फनी शायरी पर लिखना यानी अपने नटखट बचपन को फिर से जीने जैसा ही है।बच्चों की हर बात में एक प्यारी सी अदा होती है।हँसते हैं,हँसाते है और खुल कर खिलखिलाते है।

बस नन्हें मुन्नों की फनी सी चुलबुली बातों और शैतानियों को ध्यान में रख ये दिल को गुदगुदाती कविताएँ लिखी हैं।बचपन में मिलकर चलते हैं|

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|नटखट बच्चों पर बचपन याद दिलाती शायरी|

 बच्चों के लिए फनी शायरी

बच्चों के लिए फनी शायरी की बात,याद आए बचपन की सब करामात

बच्चों की तारीफ़ में शायरी।51 गुदगुदाती रचनाएँ

1)माँ का दुलार भरा,पापा का प्यारा

बचपन नटखटपन सा,न्यारा-न्यारा।

 

2)ऊईं-ऊईं की आवाज़,जो आयी

बच्चों ने आफ़त,दी थी मचायी।

 

3)चाँद सी गुड़िया के,करने को दीदार

आसमान से झांकता,चाँद बार-बार।
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4)शरारतों में भी छिपा है,एक भोलापन

रो दे कोई ग़र,संग रो देते कोमल है मन।

 

5)गुमसम बैठे बच्चे,भला किसको कब भाते हैं

शैतानी करे तो डाँट भी,सबकी की ही खाते हैं।

 

6)बच्चों की धींगामस्ती से तो,बस राम जी ही बचाए

सोफा हो या बिस्तर,पल में क्रिकेट मैदान बन जाए।

 

7)चाँद तारों को अपनी मुट्ठी में रख,बातें करते हैं

कमाल है ये बच्चे क्या-क्या,उनसे सवाल करते है।

 

8)पूरे दिन घूमते ऐसे जैसे,हो रहा हो कोई फैंसी शो

मम्मी की सलवार और पापा की शर्ट पहन,बोले हे-ब्रो।

 

9)ख़ुदा की इस नेमत पर,हो रहा थोड़ा सा ग़ुरूर

कैसे शुक्रिया दूँ आपको,दिया इतना चेहरे पर नूर।

 

10)उफ़्फ़!देखो तो ये बच्चे, मुँह फुलाए बैठे हैं

बताते कुछ नहीं,बस रोनी सूरत बनाये बैठे हैं।

 

11)घर भर की बॉस दादी माँ,हैं बड़ी ही भइया रौबदार

गुड़िया के हुक्म पर कहती वो भी,यस माई सरकार।

बच्चों  पर फनी कोट्स

12)रुको ज़रा शैतानों,अभी सबको मजा चखाती हूँ

सोने भी देते नहीं,चलो पहले तुम्हें ही सुलाती हूँ।

 

13)एक कहानी वही पुरानी,एक राजा और रानी वाली

वही सवाल वही जवाब,सुनते थे रोज़,सुनाती नानी।

 

14)दादा और दादी से ज़िद सारी,पूरी करवा लेते हैं

न होने पर घर सारा आसमान पर,जो उठा लेते हैं।

 

15)बंदर की माफ़िक़ करते,सारे दिन ऊधम बाज़ी

एक मिनट को चैन नहीं,सबके सब दिखते पाज़ी।

 

16)अपने खिलौनों के टूट जाने पर,बच्चे रो देते हैं

दोस्त रोये तो फिर ओर ज़्यादा,वो भी रो देते है।

 

17)ख़ुशियों का सुंदर सा मेला,लगाये रखते हैं

बच्चे जहां भी हो,मन उपवन खिलाए रखते हैं।

 

18)काग़ज़ की किश्ती में ख़ुद को,अमीर समझते है

ये बच्चे ही तो है जो हर हाल,ज़मीर शुद्ध रखते हैं।

 

19)शैतानियों में एकदम,रहते बच्चे हमेशा ही मसरूफ़

व्यस्तता मत पूछो,टाइम नहीं,करते न कोई तआरुफ़।

 

(तआरुफ़=एक दुसरे से परिचय करना कराना)

 

20)रोज़ रात को जिद करते,सुनाओ एक कहानी

चाहिए वो ही कहानी,जिसमें हों वही राजा-रानी।

 

21)बच्चों की किलकारी से ही,घर का आंगन खिलता है

रूठना मनाना लड़ना लड़ाना भी,संग-संग चलता है।

 

22)बचपन हर किसी का ही,बहुत सुहाना होता है

बड़े होते हो महसूस,सचमुच यह दीवाना होता है।

 

बच्चों पर फनी शायरी इन hindi

 

23)बच्चों का भोलापन और होना उनका हमेशा  ही मस्तमौला

हँसाता हर किसी को,देख पहने उन्हें लंबा सा चोला।

 

24)अहो-अंजुम से देखने आते,नन्हीं गुड़िया की प्यारी सूरत

ताली बजा ज़ोर से हंसने को तरसें,बच्चों की प्यारी मूरत।

 

(अहो-अंजुम=चाँद-सितारें)

 

25)देख बच्चों का चुलबुलापन,थकान हो जाती है छूमंतर

भोली सूरत से तुतला कर पूछे जब,तैशे हो प्याले अंतल।

 

26)बच्चों बिन घर आँगन सूना,हर ओर दिखती वीरानी

किलकारी भरी हंसी अच्छी लगती,गूंज सुरीली वाली।

 

27)देखो बरखुरदार,मुस्कुरा लो जी भर,नहीं है अभी ग़म

ज़िंदगी है बड़ी कठोर,फिर मौक़े मिलेंगे बहुत ही कम।

 

28)उफ़्फ़!तुम्हारी इस प्यारी सी,क्यूटनेस पर हो सब फ़िदा

बड़ी-बड़ी गोल आँखों में,खो जाते सब होते ना फिर जुदा।

 

29)बेजान गुड्डे गुड़िया की,बचपन वाली शादी याद आती है

गुल्लक तोड़ दावत में मिलती टाफ़ी,चाकलेट तड़पाती है।

 

30)चौखट वाले उड़नखटोलों में नींद,कितनी गहरी आ जाती है

पारियों से रोज़ मिलने,आसमाँ में कहकशॉ भी हो आती है।

 

31)पल भर में हो हो जाती है,आपस में एकदम कट्टम-कट्टी

ईगो नहीं होती क्योंकि दूजे पल में,दोस्ती होती पक्कम-पक्की।

 

32)हमारे उदास होने पर आके,धीरे से बच्चे जब मुसकाएँ

भूल जाते हम भी सब कुछ तब,गले से उनको हम लगाएँ।

 

33)भरी दोपहरी आम का बगीचा,छुप -छुप बच्चे उसमें जाए

माली भइया देख न लें,गुपचुप तरकीबों की जुगत लगाए।

 

बच्चों पर फनी बेहतरीन कविताएँ

 

34)छोटी छोटी ख़्वाहिशों के पूरा होने पर,

खुश हो जाते हैं

ये बच्चे ही तो हैं जो एक टाफ़ी पर भी,

बस मुस्कुरा देते है।

 

35)गंजूँ हुए मुन्ने राजा,

टकला -टकला कह सब चिढ़ाए

टुकुर-टुकुर आँखें घुमा गोल-गोल,

धीमे से पर वो मुसकाए।

 

36)मम्मी ना सुने जब और पापा भी

इधर उधर को बगले झांके

मुन्ने राजा,थाम छड़ी दादा जी की,

चले फिर सबके आगे-आगे।

 

37)जोकर वाली टोपी पहन,

घर भर में गोलू सबको हँसाए

पापा का ऑफिस और मम्मी की ऑनलाइन भी

क्लास मिस हो जाए।

 

38)लाख मना कर लो,बारिश में मत खेलो,

ठंड लग जाएगी

पूछते है बड़ी मासूमियत से,मेहमान है हमारी,

जल्दी ही चली जाएगी।

 

39)कभी गिटार बजाए तो

कभी बंदूक़ की गोली से डराए

पापा प्यारे की नक़ल करके,

राजा बेटा सब पर हुक्म चलाए।

 

40)सुबह सुबह ठंड देख,

बच्चों को उठाना अच्छा तो नहीं लगता

मगर नौनिहालों को,

गबरु जवान भी तो है बनाना पड़ता।

 

41)चरर-मरर चरर -मरर,

हल्की सी आहट दरवाज़े पर

चुपके से देखूँ जरा,

आँखें उधर से उनकी झलकी दरवाज़े पर।

 

42)मुन्नू चुन्नू पहन कोट और टाई,

चले अकड़ में दिखा शाही ठाट-बाट

दादा जी का चश्मा लगा शान से,

दिखाए अपने राजसी शाही अन्दाज़।

 

43)भरी दोपहरी आम का बगीचा,

छुप -छुप बच्चे उसमें जाए

माली भइया देख न लें,

गुपचुप तरकीबों की जुगत लगाए।

 

बच्चों की शैतानी पर शायरी

 

44)खट ख़ट करके बड़ी मुश्किल से,

दरवाज़ा देर तक खटखटाया

मम्मी की लिपस्टिक लगे मुन्नी ने पूछा,

अरे कौन है भाया आया।

 

45) नन्हीं नन्हीं हरकतों पर बच्चों की,

घर सारा हो जाता लोटपोट

सोते हुए की देखने मुस्कान,

निहारते रहते दादा दादी और दोस्त लोग।

 

46)उसकी एक छोटी सी प्यारी मुस्कान ने,

मुझे एकदम हंसा दिया

चिंता में बना था चिंतामणि,

चेहरे पर खिलखिलाहट को सजा दिया।

 

47)ड्राईक्लीन हुई साड़ी पहन बनी गुड़िया मम्मी,

करी ऐसी की तैसी

लगाये डाँट हिला हाथ ज़ोर से सबको,

बिलकुल अपनी मम्मी जैसी।

 

48)अपना एक छोटी सी नदिया,

काग़ज़ की किश्ती चलती जाए

चेहरे पर ख़ुशी ऐसी,

कुबेर का ख़ज़ाना जैसे हाथ लग जाए।

 

49)दुनिया भर के लालच देती,

ख़ाना खिलाने में मम्मी सारी

दिन में तारें  दिखाते,

बच्चों की ना को हाँ में बदलना पड़ें भारी।

 

50)किसी ने रहीम को तो किसी ने राम को,

आवाज़ दे खेल से वापस जब बुलाया

मिट्टी में सने अपने अपने राम रहीम को,

एक पल में नहीं कोई पहचान पाया।

 

51)सुनो जी सुनो मम्मी-पापा जी,गुड्डे की अपने शादी रचानी है

सहेली मीनू की गुड़िया,इसकी दुल्हन बना घर लानी है

जल्दी-जल्दी कपड़ें सिल दो,देर नहीं कुछ लगानी है

टिक्की गोलगप्पे और क़ुल्फ़ी की,दावत भी करवानी है।

 

बच्चों के लिए फनी शायरी लिखना एक बहुत ही मज़ेदार अनुभव रहता हैं।अपने बचपन को यदि ज़िंदा रखना है तो बस बच्चों के साथ रहिए।पढ़िए बच्चों पर फनी कविताएँ  और सुहाने दिनों को याद करिए।

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