बीमार माँ के लिए दुआ हर वो संतान मांगती है जिनकी जननी ही किसी कारण अस्वस्थ हो जाएँ | आखिरकार माँ के साथ हमारा रिश्ता दुनिया का सबसे खूबसूरत एहसास है |
माँ का नाम लेते ही एक प्यारा सा मुस्कुराता चेहरा आंखों के सामने आता है | इसलिए मेरे वर्तमान ब्लॉग के माध्यम से, मैं माँ के लिए अनेकों प्रार्थनाए तथा दुआएं समर्पित कर रही हूँ |
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बीमार माँ के लिए दुआ, उपासना तथा प्रार्थना का एक अदभुत संकलन
1) ईश्वर की जीवित प्रतिमूर्ति- माँ।
दिल से तुम्हें वंदन अभिनंदन व प्रणाम माँ।
2) दुनिया का सबसे बेहद अहम व खूबसूरत,
है माँ से दिल का रिश्ता
आख़िर दुआ किन लफ़्ज़ों में माँगू,
रहे सलामत बस ये पवित्र रिश्ता।
3) न जाने कैसे और क्या हुआ,
तमाम वैद्यों को बहुत हैरानी हुई
मैंने दिल से माँगी दुआ,माँ की सेहत के लिए,
बिन दवा वो दुरुस्त हुई।
4) माँ के ममतामयी स्पर्श में रहता था जादू,
जब जब बीमारी से सामना हुआ
छुआ यूँ दिल पे रख हाथ अपने,
मोजजा तारीख़ में हुई दर्ज,दुआ से कमाल हुआ।
(मोजजा=चमत्कार)
5) करते है प्रार्थना हाथ दोनो जोड़ कर,
हे ईश्वर आप से आज,कर बहुत ऐतबार
चेहरे पे यूँ माँ की उदासी देखी नहीं जाती,
करिए दुआ क़बूल बस एक बार।
6)गुजारिश की है उस रब से,
यूँ अदब से सर झुका कर हमने
दुनिया की सबसे बड़ी दौलत,
माँ ही,सिर्फ़ और सिर्फ़ चाहिए हमें।
7)सुनो! प्रभु दुआएँ दिल से भेजी हैं हमने,
आपके दरबार
बीमारी माँ की देखी नहीं जाती,
न करना आप इंकार।
8) हर इम्तिहान देने को हूँ मैं तैयार,
सुन रहे हो न ईश्वर
बशर्ते उसमें बस माँ से जुदाई की,
कोई बात न लिखी हो।
9)जब भी मैंने जो चाहा,हे!खुदा,
वो मिला हर बार बेशुमार
तकलीफ़ में आज माँ है,
ख़ुशियों की वापसी की करते है दरकार।
10)नाज़ुक तबियत से गुज़र रही हैं,
मेरी ख़ुशबू -ए-रुह,मेरी ग़मगुसार मेरी माँ
कहीं कभी कोई नेक कर्म किए हो जो मैंने,
वो आज दुआ बन क़बूल हो जाए,ऐ-खुदा।
(ग़मगुसार=ग़म को दूर करने वाली)
11)नफ़ासत से हौले से छुआ मैंने माँ के,
बेजान हुए हाथों को अभी-अभी
ग़ज़ब हुआ,दुआ क़बूल हुई,
आँखें खोल वो मुस्कुरा उठी तभी।
12)दिल की गहराइयों से दिल से करते है,
ये ही दुआ बार-बार
चमत्कार दुनिया में होते हैं,
यक़ीं करने को हम भी हैं बेक़रार।
13)आफ़ताब की चमक,महताब की शीतलता,
बेताब हूँ वहीं देखने को मुस्कान
क्या प्रार्थना से ज़्यादा कुछ ओर भी करना होता हैं,
बताओ न भगवान!!
14)ग़ज़ब हुआ खुदा ने दुआ सुन ली,
आँखें खोल माँ मुस्कुरा दी,थे वहीं जज़्बात
ख़ुश हूँ हैरान हूँ,सच्ची दुआ में है इतना असर,
मुझे न था अब तक ये अहसास।
15)माँ के होंठो पर सर्द ख़ामोशी,
आँखों में ठहरी नमी है
दुआ करके नासाज़ तबियत में,
हँसी फिर से लौटनी है।
16)तलबगार नहीं ऐसे जो क़िस्मत से,
हद से ज़्यादा मागेंगे
हाँ,माँ स्वस्थ रहे सदा,
ये अपनी हद से ज़्यादा मागेंगे।
(तलबगार- चाहने वाला)
17)दुआ माँगते है कैसे,
नहीं पता मुझे तरीक़ा इसका
माँ को बीमार देखा और
मंदिर में सर झुका दिया।
18)मेरे हर ख़्वाब और ख़्वाहिशों में किया
आपने हमेशा माँ सज़दा
आज बीमार हैं आप,एक दुआ दिल से खुदा से,
ख़ुशहाल रहे आप सदा।
19)दुनिया एक है पर कोई ईश्वर
तो कोई खुदा कह बुलाता है
माँ बीमार है आज, दुआ कहूँ या प्रार्थना,
समझ नहीं आता है।
20)मौन होकर जब की आँखें बंद,
दुआ की मैंने माँ के लिए अभी-अभी
सुना है सुनते हो उनकी भी,
शब्द नहीं मिले जिन्हें ज़ुबा में कभी।
21)मन है उदास व घर-आँगन में छाया है,
हर ओर एक नितांत सूनापन
मेरे संग ये पेड़-पौधे भी,हुए दुआ में शामिल,
माँ की बीमारी से दिखता यूँ वीरानापन।
22)सोच काँप जाता हूँ सिहर उठता है तन बदन,
एक अनहोनी कल्पना को लिए
मेरे कुछ अच्छे कर्मों की दुआ भी,
क्या नहीं होगी क़बूल आज मेरी माँ के लिए।
23)आज अपने हौसले की शिद्दत की
आज़माइश की है
बीमार माँ के लिए,जल्द ठीक हों,
दिल से खुदा से दुआ की है।
24)सुना है उपर वाले की कुछ नाराज़गी से है मुझसे,
किया है ये सवाल
माँ हो सेहतमंद,माफ़ करना ऐ खुदा,
इबादत न करने का है मुझे भी मलाल।
25)कुछ अरसे से मसरूफ हूँ,
खुदा से आदाब नहीं हो पाता है
शायद इसलिए माँ बीमार है,
दुआ माँगू,इसी बहाने याद दिलाना चाहता है।
26)माँ और ईश्वर में बहुत समानता है,
जान गए है
नाराज़गी जताने का ये एक अच्छा सबब है,
मान गए है।
27)आफताब की चमक कम हो सकती है,
माँ के प्यार की नहीं
मैं मिलने आऊँ वो दिखे बीमार,
दुआ में मेरी कोई कमी तो नहीं।
(आफ़ताब-सूरज)
28)अपने लिए नहीं,
बीमार माँ के लिए हाथ जोड़ दुआ माँगता हूँ
जन्नत नहीं चाहिए मुझे,
बस माँ के पैरों में बसर चाहता हूँ।
29)दुआएँ क़बूल हो मेरी,
इतना हक़ आज अपना जताना चाहते हैं
मन से जो माँगो देते हो आप,
आज इस बात का असर देखना चाहते हैं।
30)जिन्हें चाहिए हीरे-जवाहरात,
महल बाग़ीचे,उन्हें ये सब दे दो
मुझे आदत नहीं माँ के बग़ैर जीने की,
बीमार हैं,उन्हें वापिस दुआ में दे दो।
31)सुना है दुआ में याद औरों को भी रखो,
तो रब जल्दी सुनता है
माँ बीमार हो गई,याद नहीं पड़ता,
कब किसका बुरा मैंने चाहा है।
32)भोला भाला हूँ,ज़माने के चलन से
वाक़िफ़ नहीं हुआ हूँ इतना
माँ जो बीमार है,दुआ कैसे माँगू,ये भी नहीं सीखा,
जतन भी किया कितना।
33)सदा ख़ुश रहो,ग़म की परछाईं भी न छू सके तुम्हें,
माँ ने कहा सदा
बस इसी आवाज़ सुनने के लिए दुआ माँगता हूँ,बीमार माँ के लिए,
तुझसे ऐ मेरे खुदा।
34)सज़ा देने का ऐ खुदा,
कोई ओर रास्ता इख़्तियार होना चाहिए
माँ हो बीमार,दुआ करूँ और बेतहाशा आँसू बहे,
बस ये नहीं होना चाहिए।
35)माना बहुत सी कमियाँ हैं हममें,
दिल दुखाया गर किसी का बेसबब में हमने
पर ये क़तई गवारा नहीं,बदले में कर बीमार माँ को,
काँपती ज़ुबा दे दे हमें।
36)वो नसीहतें वो हिदायतें जो सुनते आए है,
बचपन से अब तलक
ईश्वर सबकी सुनते हैं,बीमार माँ कहती थी,
दुआ मैं भी माँगूँगा तब तलक।
37)बस एक ही मेरी दुआ,
ऐ मेरे खुदा,क़बूल हो जाए
बीमार माँ के चेहरे पे,
हँसी की सरगम लयमय हो जाए।
38)माँ बस माँ होती है,
उन बिन जीना होगा फ़िज़ूल
तबियत नासाज़ है उनकी,
मेरी दुआ को रब करो न क़बूल।
39)अश्रुधार की झड़ी लग जाएगी,न रोके से रुकेगी फिर कभी
बीमार माँ को गर आपने ऐ ईश्वर,
ठीक न किया अभी।
40)बीमार माँ की तकती आँखें,
शायद कर रही याद मासूमियत भरी यादें
दुआ यही करते है अपने खुदा से,
लौटा दे फिर बचपन व उसकी मीठी यादें।
41)चाँद की किश्ती चाहिए,
चाहिए फिर अहो-अंजुम का दिलकश नज़ारा
बीमार माँ के लिए दुआ माँगी है,
चाहते है बुलंद हो फिर सितारा हमारा।
42)ये प्रण लिया है बीमार माँ को,
हर हाल ईश्वर से स्वस्थ कराके ही मानेंगे
मेरे लिए यूँही ज़िद करते हुए माँ को देखा है,
बचपन में कई मर्तबा हमने भी ऐसे।
43)ईश्वर आपकी ही प्रतिपूर्ति है-माँ,
सुना पढ़ा है कई बार
ख़ुद को ख़ुद से जुदा करने का,क़सम आपकी,
ये खेल न होने देंगे इस बार।
44)पूरे मनोयोग से जी-जान से,करते हैं इल्तिजा,
हे खुदा! ये बार बार
दुआ दिल से माँगी है,बीमार माँ को स्वस्थ कर दें,
बैचेन है करने को दीदार।
45)सुनो मेरे प्रभु,जानते हो न,संकट काल गहरा है मुझ पर आया,
हुआ है सब बेनूर
प्रार्थना स्वीकार कीजिए,
बीमार माँ को सेहतमंद करने का ख़्याल कीजिए ज़रूर।
46)माँ से घंटो यूँही बतियाना और मेरा
यूँ चहक-चहक जाना
बीमार है माँ,दुआ माँगता हूँ,
मेरा लौटा दो बस ये क़ीमती ख़ज़ाना।
47)दरवाज़े पर आ गई हैं ज़िम्मेदारियाँ,
माँ को बीमार देखकर
बचपन न छीनों यूँ मुझसे,
दुआ करता हूँ दोनो हाथ जोड़ कर।
48)ठंड लग जाएगी,चलो तुलसी की चाय बनाती हूँ,
इस आवाज़ का आदी हूँ मैं
बीमार माँ है बिस्तर पर,दुआ में चाहता हूँ,
फिर उठ कर चाय वही पिलाए मुझे।
49)सुबह की अलसाई नींद,और वो नींद से उठाती,
परदे हटा दिखाती सूरज की झलकी
माँ बीमार है,दुआ करते है,
दे जल्द ही महसूस हो वो माँ की हल्की सी थपकी।
50)अनुभव बताता है कहते हैं,दुआएँ होती है असरदार व बेमोल
सिर जिसने झुकाया उनकी शरण में,निकला बन वो अनमोल
माँ अज़ीज़ है दिल की धड़कन होती है,ज्यूँ जीवन में ज़रूरत जीने के लिए
बीमार हैं,शरण में आया हूँ आपकी,दुआ मेरी भी हो बस हर हाल क़बूल।
51)ऐसा कभी हुआ ही नहीं कि एक दिन भी माँ से मिला नहीं
हकीम ने कहा सुनो,करो दुआ,क्यूँकि अभी मिलना ठीक नहीं।
क्या सच में माँ बीमार भी हो सकती है,ऐसे तो कभी सोचा नहीं
पर हक़ीक़त है यही,कि दुआ के सिवा और कुछ,अब कर सकते नहीं।
52)जीवन में जब भी रहा कठिन वक़्त,माँ का साथ था एक अड्डिग चट्टान सा
आशीर्वाद बन रास्ते निकल आते थे न जाने कैसे,माँ का यही अरमान था
जीतने के लिए जीत के जुनूँ को बनाओ मूलमंत्र,दी थी माँ ने यही सीख
दुआ प्रभु आपसे आज बीमार माँ के लिए,आए जीवन में मधुरता जैसे मीठी मिष्ठान सा।
53)अश्रुयुक्त निगाहें छिपाए हूँ,डर हैं कही तुम्हें ख़बर न हो जाए
टुकड़ा जिगर का तुम्हारा बेबस है,ये जान तुम्हारी बैचेनी न बढ़ जाए
बेसाख़्ता ईश्वर से है यही मेरी बस तम्मना और दिली आरज़ू
स्वस्थ हो आप जल्दी,हँसता हुआ चेहरा जल्द आपका बस नज़र आए।
54)स्वयं पर किया सदा भरोसा पर आज आँखें डबडबाईं हैं
माँ को यूँ देख बीमार,धड़कनें भी हद से ज़्यादा डगमगाई है
मंदिर की पवित्र सीढ़ी पर झुका माथा, करते है ये प्रार्थना
आपके आशीर्वाद से ख़ुद को भाग्यवान,समझने की घड़ी आई है।
55)हिम्मत न हारे कभी,न कभी आँसुओं ने रोज़-ए-जजा दिखाने की ज़िद अपनाई है
आज लगता है क़ुदरत ने हमारे सब्र के इम्तिहान की,जैसे लेने की क़सम खाई है
माँ को देखा नहीं यूँ मुरझाए चेहरे से,लगता है जैसे क़यामत आज ही आई है
दुआ पूरी होगी है विश्वास,वो होंगी फिर सेहतमंद,उम्मीद दिल ने बख़ूबी जताई है।
(रोज़-ए-जज़ा – आखिरी दिन)
56) ग़मगीन हाल था मेरा,निस्तेज चेहरा व बुझा बुझा सा था दिल
देख मुझे इस हाल में,बीमार थी माँ,पर फिर भी इशारा किया आ मुझ से मिल
तरबतर हुई आँखें जो बाँधे थी अब तक,सैलाब को किए अंदर जज़्ब
दुआयें सच में रंग लातीं है,बहुत सुकून मिला,अब तक था जो बैचेन दिल।
57)सात सुरों के सप्तक में सबसे मीठा मधुर स्वर है-माँ
लाड-लड़ाती,नाज़ उठाती,मान-मनुहार कर हमें मनाती-माँ
ख़ुद जो यूँ हो जाती बीमार,लगती सारी दुनिया बेहद वीरान
रब हाथ जोड़ करते आपसे दुआ,लौटा दो बस मेरा जहान।
58)पूरी बगिया को महकाती माँ,ताकि खिले भाँति भाँति के फ़ूल
तितली सी उड़ती संग संग,कराहते पैर से निकाले काँटों की शूल
प्यार से सिंचित करती अपनापन व सहलाए बतियाए न होती कभी कोई चूक
माँ तुम यूँ बीमार नहीं लगती अच्छी,दुआ माँगेंगे ईश्वर से,वही करेंगे माफ़ सारी भूल।
59)शिकायत है माँ तुम से,न सिखाया कभी दुख सहना जिया हुआ है हलकान
ख़ुद ही सहती रही हर पीड़ा को,नहीं कराया कोई अहसास क्यूँ रहती हो परेशान
आज देख तुम्हें यूँ बीमार,विरक्ति हुई ख़ुद से,लगती वीरान ये जमीं-आसमान
दुआ खुदा तुमसे,कुछ नहीं ओर देना,बस दे दो मेरी माँ मेरा जहान।
60)याद है माँ,तुम्हारे कोमल स्पर्श ने मुझे सदा सहलाया है
सुंदर प्यार भरे जज़्बातों को अहसासों से जतलाया है
माँ,सोचा न था कभी,आप भी बीमार हो सकती है इस क़दर
दुआ करें हो कोई जब तकलीफ़ में,आपका सुझाया रास्ता ही अपनाया है।
61)आसमां का वो कहकशॉ और हर ओर चमचमाती झिलमिलाती चाँदनी
करती रक्साँ परियाँ यूँ झूमझूम,माँ सुनी थी तुम्हारी मुँहज़ुबानी ये कहानी
आज फिर बन गुलाबी परी,रब से मिलने जाने की मन ने है ठानी
तुम बीमार हो न,दुआ माँगेंगे चंदा मामा से,जहाँ कातती चरख़ा अपनी बुढ़िया नानी।
62)माँ एक नाम प्यार का,जज़्बात का,अंतर्मन में बसे मीठे अहसास का
जीवन के हर पायदान में मज़बूती से थामे ईश्वर के दूसरे नाम का
क्षितिज के उस पार उगते सूरज व हँसते हुए शांत चाँद का
यूँ हो गई हो बीमार तुम,जाने न देंगे,दुआ से ले ही लेंगे,नाम एक इत्मिनान का।
आशा करती हूँ कि मेरे द्वारा लिखी गयी बीमार माँ के लिए दुआ और शायरी आपको पसंद आयी होंगी | आपकी माँ जल्दी से ठीक हो जाएं इसके लिए उन्हें पूरे दिल से प्यार कीजिये व रब से विनती कीजिये|COMMENT BOX में अपने सन्देश भी भेज सकते हैं|
रास्ता था लम्बा, मुश्किलें थी क्रूर
दिल में लेकिन मशाल जला कर चली आयी मैं इतनी दूर।