बेटी की विदाई पर कविताएं किसी के लिए भी बहुत ख़ुशी पर दिल को थोडा पीड़ा देने जैसा भी होता है |एक तरफ उसे उसके पिया के घर भेजने की जिम्मेदारी से मुक्त होने का अहसास व् दूजा घर में सूनेपन का दृश्य नजर आता है|
हर पुत्री अपने घर की राजकुमारी होती है और उसका जाना जैसे नन्हीं चिड़ियाँ का अपना नीड़ छोड़ दूर चले जाने जैसा रहता है|
पढ़ना न भूलें
|बेटी की शादी पर खूबसूरत कविताएँ|
बेटी की विदाई पर कविताएं,उसके हर अहसास भरे जादुई लम्हों की याद दिलाए
पुत्री विदा पर रचनाएँ| 75 सीधे दिल से लिखी कविताएँ
1)बेटी की विदा पर,माँ पिता की रहती यही कामनाएं
सुखी रहे खुश रहे,निकलती दिल से प्यारी शुभकामनाएं|
2)विदाई बेटी की पत्थर-दिल को भी,बहुत बैचैन कर देती है
गले लग पिता से न भेजने की बात,आंसुओं से वो करती है|
3)बचपन से लेकर अब तक की, वो यादें ताजा हो गई
बेटी की विदाई मन के अन्तस् को, चीरती चली गई|
4)घर की चहकती फुदकती गोर्रिया,एकदम चुप हो जाती है
विदा की बेला हैं समीप,गले लग प्यार अपना यूँ जताती हैं|
5)लगता है बस कल ही तो बात थी,गूंजी थी किलकारी अंगना
विदा पर आसुओं को पोंछ,पिता भेज रहे दूल्हे को बता सजना|
6)घर भर में रौब चलता था,सुबहो-शाम अब तक खूब
बेटी सोचे विदा पर,बदला एकदम कैसे सारा यह स्वरुप|
7)ऊँगली पकड़ नन्हें-नन्हें पांवों को,चलना सिखाया था
बड़ी इतनी जल्दी हो गयी,विदा कर पराया अब बनांया था|
8) स्कूल के पहले दिन पर, रो-रो कर किया था गला हल्कान
आज विदा हो दूजे घर कैसे रहेगी मेरी लाडो,दिल हुआ है परेशां|
9)बेटियां क्यों इतनी जल्दी, बड़ी हुआ करती हैं
विदाई सच में दिल को, छलनी किया करती हैं|
10)नन्ही सी लाडो मेरी,पल में समझदार बन गई
विदाई पर आसूं पोंछती मेरे,खामोश हो बस चली गई|
11)मेरी सबसे बड़ी दौलत, मेरी बिटिया रानी ही थी
विदाई पर लगा,जीवन भर की पूंजी मेरी गुड़िया रानी थी|
12)रोज जो लड़ता था, छोटी छोटी बातों पर बहन पर
विदाई पर सबसे ज्यादा सिसकियाँ ले रहा,उसके जाने पर|
13)एक सवाल हर बेटी विदा पर,निगाहों में भर पूछती है
जन्म तो भाई का भी यहीं हुआ,पराई वो कैसे कहलाती है|
14)जीवन के सारे गम, ऐ-खुदा,मुझे दे देना
बेटी की विदा पर मांगी, दुआ कबूल कर लेना|
15)पापा आप का स्नेहिल अपनापन,ताउम्र संग मेरे रहेगा
अंतिम साँस तक,वायदा विदा पर मेरा,आपका ख्याल न छूटेगा|
बाबुल की बेटी वाली शायरी
16)विदा के वक्त देते हैं पिता,अपनी सभी दुआएं
बेटी के जीवन में गम के बादल, न कभी बरस पाएं|
17)अपने जीवन भर की तपस्या से, ढूंढा तेरे लिए उत्तम वर
खुश तुझे रखेगा है यकीं,विदा पर फिर भी आते नयन भर-भर|
18)मेहँदी भरे हाथों में लाडो,खुशियों की चूड़ियाँ हैं बनवाई
व्यवस्था ही है कुछ ऐसी,कोई बेटी बाप के घर न रह पाई|
19)विदा पर चाहूँगा कहना बात पते की,सुन मेरी बिटिया रानी
ससुराल को दिल से अपनाना,तभी बन पाओगी घर की रानी|
20)बेटी विदा कहीं भी हो,दिल सबका भर आता है
कहीं न कहीं अपना पुराना दृश्य,याद आ जाता है|
21)कर आंसुओं को जज्ब,पिता ओढ़े रहते हैं एक मुस्कान
बेबसी सी लगती हैं,किसने जारी किये थे कभी ऐसे हुक्मरान|
22)विदाई के समय बड़ी-बड़ी हवेलियाँ में भी,आती है वीरानी
न झम-झम पायल की बजती,न कोयल की कूक सुनती सुहानी|
23)नाज नखरों से पली हमारी गुड़ियाँ,विदा पर कहती बुआ रानी
गलती पर डांटने की जगह,प्यार से बताना,करे गर कोई नादानी|
24)फिजाओं में महके खुशबू,मिले सबका लाड-दुलार
विदा पर अपनी बिटिया की चिंता, तो होती बार-बार|
25)सासू में अपनी माँ को देखना,ससुर में पिता जैसा देना सत्कार
विदा पर शिक्षा देते,देखो अब वही है तुम्हारा अपना घर-बार|
26)शादी ब्याह तो ऊपर से ही, लिख कर आते है
विदा पर बेटी को यह समझा कर, ढाढस दिलाते है|
27)प्राणों से प्यारी बेटी को,जब बाबुल विदा करते हैं
टुकड़े को दिल के,देते हुए अंदर से थोड़ा डरते हैं|
28) विदा शब्द हर लड़की को, कर जाता है स्तब्ध
आख़िर ऐसी व्यवस्था क्यूँकर बनाई, जो कर दें निशब्द।
29)बन बेटी का बाप,माना स्वयं को सदा सौभाग्यवान
विदा पर मन है व्यथित,हो रहा है आज बहुत परेशां|
|30)बेटियों से जो चहल- पहल,घर के कोने-कोने में रहती है
विदा हुई वो महक यहां से,ससुराल में फिर रौनकें होती हैं|
पुत्री की विदाई पर भावनात्मक कविताएँ
31) एक कोख से भाई और मैंने जन्म था लिया,बाबा बताओ न
रखा उन्हें अपने पास,विदा किया मुझे क्यों,कोई जवाब तो दो न।
32)पापा के बरगद व माँ के आँचल की छांव से, दूरी ऐसी हुई
विदा क्या ऐसी हुई,उसी पल से मैं पीहर की मेहमान बन गई।
33)पापा यूँ विदा के नाम पर,ख़ुद से हमें दूर न कीजिए
संबल बनूँगी,ध्यान रखूँगी,एक बार सेवा का मुझे मौक़ा तो दीजिए।
34)भेजना था जो अपने से दूर,तो ये पंखों वाली उड़ान क्यूँ सिखाई,
फ़लक की सीढ़ी भी देते हो,बेटी कह फिर क्यूँ की मेरी विदाई|
35)बेटी की विदाई पर माँ को रोज़-ए-जजॉ सा अहसास होता है
पिता का दिल भी भी ऐसे में,कब तक ख़ुद को रोक पाता हैं।
( रोज़-ए-जजॉ=प्रलय का दिन)
36)बहुत धूमधाम से बेटी की शादी का,शाही जश्न भी हुआ
पर विदाई पर सदियों की तरह,आँसुओं का आगमन भी हुआ।
37)छोटी सी चोट पर झट से,
घर भर में तूफान जो लाती है
विदा पर गले लग बाबुल के,
उनके आंसुओं को पोंछती जाती है|
38)लाडली बेटी की विदा पर,
दादी के आँखें नहीं रूकती व्याकुल हैं
गुड़िया बन दुल्हन अपने घर जाएगी,
इस बात से थोड़ा आकुल हैं|
40)खुश रहो सदा और मीठी वाणी का
रखना साथ
विदा पर बेटी के कहते माँ पिता,
सुख से रहना आबाद|
41)पिंजरे में बैठा तोता भी,
अपनी नन्ही परी की विदा पर है चुप
दे रहा दुआएं,जहाँ भी जाओ तुम,
बस रहना सदा ऐसे सदा खुश|
42)भोर की किरणें कल भी,
फिर मुंडेर पर पसरेंगी
विदा हो जा रही बिटिया की आवाज़,
मगर नहीं सुनेगी|
43)हाथों में रची सुंदर मेहँदी को देख,
दे रही माँ खुद को तसल्ली
विदा पर जाती बेटी को कहती,
देखना ससुराल में तुम राज करोगी|
44)एक तरफ वियोग है तो दूजी ओर,
पिया से मिलन की बेला
विदा पर बेटी को कहे माँ,ये ही है सच
,यही है जीवन का मेला|
45)जीवन में सांस्कृतिक परम्परागत ढंग को तो,
मानना होगा
बेटी नहीं रही किसी के पास आज तलक,
ससुराल तो जाना ही होगा|
बाबा की बिटिया हुई परायी शायरी
46)तिनका-तिनका जोड़ बाबुल,
लाडली को प्यार से हैं पालते
कर शिक्षित सिखा अदब कायदा,
विदा से दूजे आँगन में हैं रौंपते|
47)जिनके नहीं है बेटी वो भी,
उस समय खुद को नहीं रोक पाते
माँ-बहनें याद कर अपना समय,
दिल को कहाँ अपने हैं समझा पाते|
48)सुबह की चाय और रात्रि भोज की चर्चाए,
अब कौन करवाएगा
बेटी की विदा पर सोच रहे,
अब घर मे हंसी-ठाहके कौन लगाएगा|
49)जन्म पर लाडली की पहली किलकारी पर,
पापा दौड़ पड़े थे
विदा कर रहे स्वयं उसको आज,
कहाँ एक पल भी जुदा नहीं रखते थे|
50)माँ पापा के जीवन के उपवन का,
सबसे सुंदर फूल बेटी है
पर क्या करे,विदा कर,
दूजी बगिया में भेजने को भी मजबूर हैं|
51)विदा के वक्त होता है महसूस हर लड़की
वो तो थी इस घर की मेहमान
प्यार से भला कोई करता है ऐसी खातिरदारी
नहीं सपने में भी था इसका गुमान|
52)सोच बेटी विदा हो आज ससुराल चली जाएगी
घर आँगन में तो वीरानी छा,नीरवता आ जाएगी
जहाँ हर वक्त थी रहती,मधुर हंसी की गूंज सुनाई
हाय! कैसी सामाजिक परिपाटी,पल भर हो जाएगी पराई|
53)बचपन से था बताया हर लड़की को,
आएगा लेने एक राजकुमार
पर ये नहीं सोचा था,
विदा के वक़्त माँ पापा को रुलाएगा बार-बार।
54)अपने संस्कारों से रिश्तों की दिल से,
क़दर करना,बाबुल ने बताया
जिम्मदारियों को निभाने,
बेटी को विदा पर पिता ने वचन फिर दोहराया।
55)बेटी की विदा पर उसके जीवन की,
हर सफलता याद आती है
कभी ट्रोफी कभी मैडल,
कभी ढेरों उपहार से नवाजे पलों की याद आती है|
दिल को छू लेने वाली बेटी विदाई शायरी
56)दिल का टुकड़ा,एक अजनबी को दे देना,
नहीं होता इतना आसान
विदा के वक़्त दिल की दुखन को
मापने का होना चाहिए,कुछ इंतजाम|
57)विदाई पर बेटी करती प्यार भरी,
अपने बाबुल से लड़ाई
झूठ था बोला क्यों मुझे,
मैं थी आपकी अपनी ही,हुई क्यों पराई|
58)याद रखना लाडो हमारी,
ससुराल है अब नया तुम्हारा आशियाना
सास ससुर नन्द देवर को अपनाना दिल से,
हमें पर भूल न जाना|
59)अपनी कन्या रत्न को बाबुल,
खुश होकर भेजना चाहते हैं
आंसूं ना झलक जाए,
बहाने से काम है अंदर जा नीर बहाते हैं|
60)घर में अब भाई संग कौन,
कभी झगडा तो कभी मनुहार करेगा
विदा पर दोनों के गले रुंधे,
अब वो पहले सा गिला शिकवा कौन करेगा|
61)खुश रहना और खुश व्यवहार से रखना
सबको हमेशा बिटिया प्यारी
आशीर्वाद बना रहे ईश्वर का तुम पर
तुम हो सारे दुनिया की बेस्ट बेटी हमारी|
62)विदा के वक्त दुआ मांगे बाबुल
ईश्वर से अपनी बेटी के लिए
आदर सत्कार मान सम्मान मिले
संकट में साथ मिले आपका,सदा के लिए|
63)तुम को बेटी मैंने शिक्षा व् संसकारों से, अलंकृत है किया
विदा कर रहा हूँ रीत है,पर घर ये तुम्हारा भी है,याद रखना
अपने सुंदर तौर तरीकों से मान-सम्मान, सदा सबका रखना
पर अन्याय व् अनुचित को कदापि भी, किसी हाल में न सहन करना|
64)बेटियां घर की शान व् हुआ करती हैं गुरुर
होती बाबुल के दिल का टुकड़ा,हैं होती उनका गुरुर
दूजे घर जाकर रहने के,सब तौर तरीके बतलाते हैं
पर गर हो अनुचित कुछ संग उसके,आगे बढ़ कर साथ निभाते हैं|
65)चाह बेटी की विदा पर,हर बाबुल की यही बस रहती है
माँ सा प्यार सासू माँ में मिले,दिल की धड़कन यही कहती है
पिता सा प्यार ससुर में झलके,भाई की कमी देवर न होने दें
बहनों सी चुहलबाजी और मन की बात नन्द रानी पूरी कर दें|
बेटी की विदाई पर काव्यात्मक अभिव्यक्ति
66)ईश्वर की सबसे अनुपम कृति स्वयं तुम हो,ऐसी ही रहना
बन सरल आबशार सी,अविरल बन अपने परिवार में रहना
सरस्वती के ज्ञान रूप सी तुम,शिक्षित होने का भान अपना देना
ससुराल में इतना प्यार मिले,विदाई की सोच कभी भी मत रोना|
67)हृदय में भर उल्लास, नव जीवन में प्रवेश करो
अपनी मधुर मुस्कान से दिलों को, जीतने का प्रयत्न करो
विदा करना एक रस्म है, इस घर से उस घर जाने की
अधिकारों से पहले बस, अपने कर्तव्यों को स्मरण करो|
68)विदा के वक्त, वो सारा बचपन याद आता है
झूले पर झूलते झूलते जाना,कौन भूल पाता है
गुड्डे-गुडिया का ब्याह रचाना,आज स्मरण कराता है
अपनों के हृदय की पीड़ा को,अब बेहतर समझ आता है|
69)पापा की लाडली रुला सबको,विदा हो ससुराल जा रही है
दादी दादा के हृदय में तो मानों,एक शूल सी चुभी जा रही है
चाचा चाची बुआ फूफा जी भी, सब उदास चुप चुप हो रहे हैं
बच्चों की मुखिया लाडो बेटी,संग सबके,खुद भी नीर बहा रही है|
70)बचपन से सुना था शादी करने,एक बांका राजकुमार आएगा
सफ़ेद घोडें पर बिठा कर,परियों के देश स्वप्नलोक ले जाएगा
सोचा न था बदले में अपने घर को, एक दिन यूँ छोड़ना पड़ेगा
विदाई पर अपनों की आँखों में ही,आंसुओं को देखना पड़ेगा|
71)विश्वास है पूरा तुम पर लाडली बेटी,नए घर में जल्दी रम जाओगी
छोटे बड़े सबके मन पर सदा, अपने मीठे व्यवहार से प्यार पाओगी
कर्तव्यपथ से न डिगना कभी भी, हे मेरी रत्न समान बिटिया सुनो
विदा पर पिता सद्वचनों से कहते,अपने कौशल से जीत की राह अपनाओगी|
72)विदाई पर अपने उपवन को, सूना देखते है जब
फूलों में एक मुरझाई सी बात, महसूस करते हैं जब
आंगन की तुलसी भी उदास, नज़र है आती हर ओर
समां ऐसा ही होता है,बेटी कोई विदा होती है जब|
73)एक ईटों के मकान को,घर बनाती हैं बेटियां
भाइयों पर तो पूरा रौब-दाब,खूब दिखातीं हैं बेटियां
बहनों से गुपचुप बातें, साँझा किया करतीं हैं बेटियां
विदा पर माँ पापा के गले लग,बस रो देती हैं बेटियां|
74)बेटी के होने के बाद, न मांगी कोई रब से मन्नत
घर में जीवंत अहसास था,माना होती है ऐसी ही जन्नत
एक अजीब सी रिक्तता,आ जाती है माहौल में फिर
विदा के बाद बेटी तेरी याद, बहुत दिल को है सताती फिर|
75)विदा का वक्त सच में, बड़ा ही दुखदायी है होता
जूही की कली को सौंप,अधिकार ख़त्म सा हो है होता
दिल और आँखें कहना कहने से भी, नहीं मानते अक्सर
रोज-ए-जजा का सा अहसास,सभी को ही है होता|
(रोज-ए-जजा=प्रलय का दिन)
बेटी की विदाई पर कविताएं लिखते हुए खुद भी भावुक मन हो चला है|एक बेटी और एक माँ के दिली ख्यालात से पूरी तरह वाकिफ हूँ कि वो वक्त अब भी बहुत याद आता है|
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रास्ता था लम्बा, मुश्किलें थी क्रूर
दिल में लेकिन मशाल जला कर चली आयी मैं इतनी दूर।