माँ की कमी होने पर शायरी लिखना मानो दुख में भी अपनी जननी के समीप होने के अहसास को बयाँ करने जैसा है |
माँ की याद में शायरी लिखते हुए लगता है जैसे दुनिया में अपने बेशकीमती ख़ज़ाने को खो दिया हो। दिल को उनके पास होने की भावना को बनाए रखने में शायरी से बढ़कर और क्या सुकून दे पाएगा |
इन्हें भी पढना न भूले
|माँ की तारीफ में दिल को छूनेवाली शायरी|
माँ की कमी होने पर आते वो पल सब याद,सुख और दुःख में होता था उनका साथ
माँ की कमी होने पर शायरी। 51 Heart touching कविताएँ
1)माँ की कमी को पूरा न कर पाया,
ब्रह्मांड में कोई भी अब तक
मेरा प्रणाम आप को व पहुँचाना रब को भी
है आप वहाँ जब तक।
2)माँ और ममता एक दूजे के पूरक बन,
दिल के पास रहते हैं
हूक सी उठती हृदय में
पास आपको जब नहीं देख पाते है।
3)जीवन में मेरे सबसे ख़ूबसूरत अहसास रहीं,
माँ बन मेरी खुदा
पास नहीं हो कहते सब मुझे,
मेरे धड़कनें नहीं मानती,हुई है जुदा।
4)दिन रात एक घुटन मेरे जज़्बातों को,
न जाने क्यूँ रुला देती है
माँ आपकी की कमी बस कभी-कभी,
मुझे कुछ तोड़ सा देती है।
5)दिन भर की थकन मुरझाए चेहरे को,
तुम माँ पढ़ लेती थी
आज भूख लगी है बहुत,
बिन कहें क्या-क्या खाने को देती थी।
6)जब से गई है छोड़ माँ आप,
ख़ुशियाँ ही मानों रुठ गई मुझ से
बज़मे-इश्रत के बीच भी दिखती तन्हाई,
तबियत ही कहीं नहीं लगती तब से।
(बज़मे-इश्रत=ख़ुशी की महफ़िल|)
7)मेरी ग़मनाक मेरी ग़मगुसार रही आप माँ,
जीवन के उतार-चढ़ाव में संग मेरे।
एहतियात बरतता हूँ ग़लत न हो कुछ,
पर लगता है अजा-ए-ज़िंदगी गुम है बिन तेरे।
(ग़मनाक=ग़म को हरने वाली।ग़मगुसार=हमदर्द|
अजा-ए-ज़िंदगी=जीवन की शक्ति)
8)बादे-ए-सबा में बनी माँ आपके हाथ की,
चाय की चुस्कियाँ याद आती हैं
सुबहो-से शाम तक हर बात पर फ़िक्र करना,
मुझे ये बात बहुत तड़पातीं हैं।
(बादे-ए-सबा=सुबह की हवा का समय)
9)हाथों से बना ये सुंदर आशियाना भी,
कई मर्रतबा होता महसूस जैसे हो कफ़स
माँ तुम क्या गई जहाँ से,ज़िन्दादिल तुम्हारे बेटे की दिखती,
हुई धीमी जैसे नफ़स।
(कफ़स=जेल।नफ़स=हर साँस के साथ जुड़ा।)
10)एक आहट दरवाज़े पर सुनी,
लगा हवाओं ने ईश्वर से की होगी मुखबिरी
पायल की हल्की झंकार थी माँ बिल्कुल वैसी
या बैचेन दिल की थी ये जादूगरी।
11)नीम अँधेरे में सरे-शाम से यूँ कर रही थी,
सज्द-ओ-इबादत माँ के लिए
दिया रोज जलाया करो,कहतीं थी,
गोधूली की बेला में चौखट पर रब के लिए।
(सज्द-ओ-इबादत=पूजा करना)
12)रंगे-तलब कुछ गुम से हो गए हैं माँ,
आपके जाने के बाद जीवन से ऐसे
कौसे-क़ुजह क्षितिज के उस पार देखने की,
अब कोई चाह होती नहीं वैसे।
(रंगे-तलब=इच्छा का रंग| कौसे-क़ुजह=इन्द्रधनुष)
13)वक़्त ने शायद कुछ घंटे बढ़ा दिए हो,
ये ख़्याल रह-रह के आता है
समय कटता ही नहीं न ही कोई दस्तक माँ हैं देती,
वक़्त कैसे न जाने गुज़र जाता है।
14)ग़म को ख़ुशियाँ बनाने का सलीका,
ख़ूबसूरती से सिखाया माँ आपने
पर इस हुनर को ज़िंदा रखना लगता है मुश्किल,
क्यूँकि आप नहीं है अब सामने।
15)तुम्हारी लोरियों में माँ चाँद का जादू
आज भी बरक़रार है
हैं आप भी वहीं न,मिलने को आपसे
जिया मेरा बेक़रार है।
16)कुछ क़यास लगाते हैं कि माँ की वापसी,
खुदा के घर से कैसे होगी
कुछ ख़ुद ही बताओ न माँ,
आपकी कमी जीवन में पूरी कैसे होगी।
17)आज जिस मुक़ाम पर हूँ ये माँ,
आपके दिए संस्कारों व परवरिश की ही देन है
जानते हैं कैसे ग़मों में भी मुस्कुराने की,
तुम्हारी आदत की बदौलत ये मिला चैन है।
18)तन्हाई सी लगती है यूँ कहने को तो,
होते ही है लोग आस-पास
माँ तुम बिन जीने की आदत नहीं मुझे,
फिर भी छोड़ चली गई आप रब के पास।
19)सूनी हैं दीवारें और उस पर मुनक्कश
मुस्कराती आपकी तस्वीर
घर में पसरा सा सन्नाटा,बैचेन दिल ढूँढता
आपकी आवाज़ कैसे सुनूँ, सोचता हूँ तदबीर।
(मुनक्कश=चित्रित|तदबीर=तरकीब)
20)चलो उठो जल्दी देर हो जाएगी,
ये आवाज़ न जाने कहाँ हुई हैं गुम
चाँदनी यूँ तो बिखरी हुई हैं आँगन में,
संग मेरे तुम्हारी तुलसी भी है गुमसुम।
21)हरे भरे पेड़ के पत्तों में दिखती उदासी,
मानों मौसम भी हुआ है ग़मज़दा
माँ तुम्हारी कमी दिखती हर ओर,
बाग़ों-बहारॉ दिखते जैसे हो छाईं हों वहां दौरें-खिज़ा।
22)जीवन का सबसे अटूट रिश्ता,
जिसकी नहीं कोई भी मिसाल जहाँ में
माँ का निस्वार्थ प्यार,जाने के बाद दिल ढूँढे,
हर ज़र्रे-ज़र्रे हर निगाह में।
23)माँ तुम थी बिन डिग्री की,
सबसे होशियार डाक्टर पूरे घर परिवार की
नासाज़ हुई तबियत आज,कोई पकड़ न पाए चाहिए
आख़िर एक परखी नज़र भी|
24)बेटी बन जब माँ का किरदार निभाया मैंने,
दुख तकलीफ़ों को भी जान पाई
तुम हीं थी एक ऐसी शख्स जिसका मुक़ाबला
कोई शै भी आज तक न कर पाई।
25)माँ आपने निभाया सदा एक सूत्रधार का किरदार,
बखूबी परिवार में
आज कहाँ हो ढूँढता हूँ घर की
हर वस्तु हर जर्रो-दीवार में।
26)ईश्वर के आगे नत मस्तक रहतीं थी,
हम सभी की दुआ सलामती के लिए
मैंने भी आज ये करके देखा विनती भी की,
पर नज़र क्यूँ न आई आप मेरे लिए।
माँ की कमी पर शायरी और स्टेटस
27) यूँ इंतज़ार रहती है माँ
तुम्हारे आने की हर सुबहो-शाम
बेसुध हो मैं पुकारू तुम्हें,
आख़िर किस दिशा से ले गए तुमको श्याम।
28)हर डगर हर पंगडंडी पर खोजती निगाहें मेरी,
माँ तुम्हें शबो-रोज़ देखने के लिए
कुहरा सा छा जाता है नयनों के डोर खोलूँ जब भी ,
दीप मंदिर में जलाने के लिए।
29)कहते है सब यूँ इतना नीर
जो माँ की याद में आँखों से बहाओगे
रोज़-ए-जजा क्या पृथ्वी पर
समय से पहले ही ले आओगे।
(रोज़-ए-जजा=प्रलय)|
30)दुलकते आँसू ठहर ठहर यूँ मेरे रुख़्सार पर,
तुम्हारी याद में माँ रोके नहीं रुकते
क्या इतनी निष्ठुर हो गयी हैंआप,
कि पाँव यहाँ आने को ही नहीं मचलते।
31)माँ जब से तुमसे
ये लम्बी मीलों की दूरी हो गयी
हँसती खेलती दुनिया भी
लगता है जैसे अब वैरी हो गयी।
32)याद है क्या वो लम्हा जब अपनी पहली कमाई को,
तेरे चरणों में मैंने रखा था
भावुक किस क़दर हुई थी माँ आप,
उस लम्हे को देखने को आपने व्रत भी रखा था|
33)सूती साड़ी में गरिमा से शोभायमान
चमकता था माँ आपका चेहरा
महँगी साड़ी ख़रीदने की हैसियत हुई है अब,
आके बाँधो न मेरा सेहरा।
34)बहन-भाईयों के झगड़ों में
सुलह की डोर जैसी थी माँ
दूरियाँ बढ़ गई फिर से सब में,
आपकी बहुत दरकार है सुनो!न माँ।
35)तरन्नुम में तुम्हारी गाईं लोरी,
नींद के आग़ोश में सुला देती थी,हैं न माँ
आज कोसों दूर है नींद मुझ से,
आसमां से आ कुछ गुनगुना दो,सुनो न माँ।
36)तुम एक नेक इंसा हो,
ऐसा आज मुझे भरी महफ़िल में कह बुलाया गया
दीं तालीम आपने ही माँ ये,
बतरन्नुम फिर अहसासे-ग़ज़ल में सुनाया गया।
37)अँधेरे में मैं डरती थी,
जानती थी आप माँ बख़ूबी न
आज तमस् छाया मेरे मन में,
जुगनू सी बन आ जाओ न।
38)माँ के गले लग एक बहुत प्यारी धकड़न से,
ख़ुद को जुड़ा पाती हूँ
आज वो अहसास गुम सा है,
फिर उसी मीठी लय को सुनना चाहती हूँ।
39)जीवन को लगा दाँव पर बनती जो जननी,
प्रातःस्मरणीय वो हैं माँ
अब उस लोक पहुँच ईश्वरीय स्वरूप बनी हैं,
उस ईश की अनुपम कृति माँ।
40)हल्की सी चोट पर मेरी जो हो जाती थी,
एकदम बैचेन व व्याकुल
हैं सुरक्षित उस लोक में,
पर माँ क्या आप नहीं देख पा रही मैं हूँ मिलने को आकुल।
41)ईश्वरीय स्वरूप माँ थी विधाता की,
सबसे कोमल हृदय वाली कृति
आज सोचती हूँ कि ऐसे कोई कैसे,
चला जाता है छोड़ अपनी प्रीति।
42)असीमित प्यार अनुराग का सुंदर मेल
दिखता सिर्फ़ माँ में बेमोल
सच्चा स्नेह आश्रय हुआ अब गुम,लौटा दो प्रभु मेरी माँ को,
है जो अनमोल।
43) माँ के ऋण से उऋण होने का
कोई तरीक़ा दे मुझे बताए
दिन रात याद उनकी रह रह कर,
इस क़र्ज़ अदायगी की बात सुनाए।
44)यूँ आज तुलसी के पेड़ तले
,दिए की रोशनी माँ का अहसास जगा गई
क्या सच में माँ स्वर्ग से चुपके से आ,
बिन आहट ख़ुशबू-ए-रूह महका गई।
45)तुम्हारे जाने के बाद की दास्ताँ,
माँ लिखने को क़लम आज उठाई है
स्याही बग़ावत कर रही है,
क्यूँकि नैनों में बदरिया जो घिर आई है
अल्फ़ाज़ बूँदो में भीग पत्ते पर,
ज्यूँ ओस से रुक गए ठिठक कर
तेरे दरस करने को आज ईश्वर के दरबार में,
दुआ की अर्ज़ी लगाई है।
46)होली के रंगो में नहीं रही,टेसू की रंगीन फुहार तीखी
दिवाली की रौनक़ की चमक धमक भी,दिखती है अब फीकी
दिलासा क्या था वो झूठा,कि मिल रब से जल्द आ जाओगी
रो पड़ता है दिल मेरा ज़ोरों से,कि तुम तो अब नहीं कभी दिख पाओगी|
47)समुद्र में उठती-गिरती ज्वारभाटे की लहरों से न यूँ डरा करो
जीवन में आए जब तूफ़ा,माँ कहती थी,हिम्मत से लड़ जाया करो।
दुनिया का उसूल है जो घबराता है मुश्किलों से,उन्हें ज़्यादा डराता है
आज मन घिरा है अवसादों से तुम बिन,आके मेरा हौसला भी तो माँ बढ़ाया करो।
48)मेरे सुकोमल हृदय के पटल पर,मेरी पहली गुरु माँ है आप
गिर न जाऊँ कहीं बड़े होने तक भी,झट से पहले ही पकड़ लेती थी आप।
आज मन तूफ़ाँ आँधी के झंझावत से,घिरा हुआ है देखो तो हर ओर
ज़रूरत है आपकी करुणामयी सलाह की,बन के आओ न मेरी ओर|
49)ये मदर्स डे मनाने से क्या उतार पाएंगे,इस जन्म में माँ के प्यार का क़र्ज़
बड़े-बड़े हुए राजे महाराजे भी,न रत्ती भर कुछ कर पाए,बन गया उनके दिल का मर्ज
माँ थी जब पास बड़े सुकून में थे,समझाती थी देखो नहीं ऐसे सोचा करते है
माँ बहुत हुई बात ऊपर वाले से,आ भी जाओ हम यही अब दुआ करते है।
50)न की कभी कोई पूजा,न संग माँ आपके गयी मंदिर में कभी
मेरी आराध्य आप थीं दिखती थीं माँ दुर्गा सी तो कभी जैसे हो माँ कालरात्रि
देवी महागौरी सी सौम्यता यूँ रची बसी थी,आपके शालीन चेहरे पर सदा
अब स्वयं आप सब से होंगी मिल चुकीं,मुझे भी मिलना है आप से अभी की अभी।
51)माँ शब्द की ममता का पैमाना न हुआ है न ही होगा कभी
बच्चों के लिए समर्पित भाव दुनिया में माँ से बढ़कर नहीं हुआ अभी
सूरज की तपिश में आंचल की ठंडी छांव सा चाहिए फिर मुझे वहीं सुकून
बड़ा हूँ सब के लिए पर तेरा तो आज भी नन्हा मुन्ना ही रहूँगा अभी भी।
माँ की याद में लिखी मेरी ये शायरी आपको कैसी लगी, Comment box में ज़रूर साझा कीजियेगा | आपके विचार जानने की उत्सुकता रहेगी।
रास्ता था लम्बा, मुश्किलें थी क्रूर
दिल में लेकिन मशाल जला कर चली आयी मैं इतनी दूर।