माँ के लिए क्या करें जब वह असफल हों,यह बात किसी भी बच्चे को थोड़ा परेशां करती है जब उसकी प्रेरक,सुपर महिला माँ खुद कभी असफल मानें पर ऐसे में एक माँ होने के नाते और एक बेटी के रूप में बहुत सी बातें साँझा करने आई हूँ जो आपको अपनी जननी को फिर से सफलता की उच्चतम श्रेणी में लाने में सहायक सिद्ध होंगी,ऐसा मेरा दृढ विश्वास है।

असफलता को बदलने के लिए लायेंगे मंत्र,जीवन फिर माँ का बनायेंगे पहला सा स्वतंत्र 

माँ के लिए क्या करें जब वह असफल हो

माँ के लिए क्या करें जब वह असफल हों,प्रेम भरे जज्बात,संग होंसला दें बनेगे सफल हालात 

माँ के लिए क्या करें जब वह असफल हों पर 81 कामयाब उपाय 

 

1.

क्या सच में माँ असफल हो सकती हैं

माँ जो हमेशा ही प्रेरणास्त्रोत रहीं है और आज स्वयं को असफल मान रहीं हैं,क्या माँ सच में ऐसा है और यदि आप को इस तरह के भाव मन में महसूस हो रहें हैं तो आज आपके द्वारा समय-समय पर दिए गए सुझावों को ही अमल में लायेंगे,आप को असफल होने के अपराध-बोध से मुक्त कराएँगे।यह भावना माँ के हृदय में भरनी होंगी। 

 

असफलता में ही सफलता छुपी है

असफल शब्द स्वयं में ही सफल होने के सुंदर विचार को इए हुए है और माँ ने यही सदा समझाया था और यही एकदम सच भी है।माँ आप को परेशां होने की बिलकुल भी जरूरत नहीं है क्योंकि मिलकर देखते हैं कि आखिर कहाँ क्या कमी रह गई जो आप ऐसा सोच रहीं हैं,माँ को निश्चिन्त करें।

 

आप दुनिया की सबसे महान व् सर्वोत्तम माँ हैं,यकीं दिलाएं 

आप माँ इस पूरे ब्रहामंड की सबसे बढ़िया,सबसे अच्छी माँ हैं और यह बात मेरे दिल से निकली हैं।आपके दिखाए गए राह पर ही चलने का सतत प्रयास और तमन्ना है और रहेगी,बस आपका प्यारा सा आशीर्वाद बनाएं रखिए। इया वार्तालाप से माँ को आपको यकीं दिलाना है क्योंकि यही वास्तव में सर्व-सत्य वचन है।

 

4.

आप सृजनहार है,ईश्वर की अनुपम कृति

माँ आप एक सृजनहार हैं,ईश्वर द्वारा स्वयं निर्मित उनकी सर्वश्रेष्ठ अनुपम कृति,तो आप कैसे असफल हो सकती हैं।जिसे खुद विधाता ने विशिष्ट गुणों से सजित करके ही धरा पर माँ के रूप में अपनी जगह प्रतिष्ठित किया हो,वो माँ कैसे कभी भी असफल हो सकती हैं।इस विचार को मन से दूर करिए और बस मुस्कुरा दीजिये।

 

5.

अंतर्मन की आवाज़ सुनने को कहें 

माँ आप ध्यान से अपने अंतर्मन की आवाज़ को सुनें,यह आखिर क्या कह रहा है क्योंकि हमारी अंतरात्मा हमें सही बताती है और दिशा ज्ञान भी देती है पर हम ही उसे अनसुना कर देते हैं।आप आराम से एक जगह बैठ कर खुद से पहले बात करे और फिर कोई फैसला लें।

 

6.

एकला चलो रे को याद रखने को कहें  

विश्वगुरु श्री रवीन्द्रनाथ टैगोर की आप बहुत बड़ी प्रशंसक रही है और उनकी प्रसिद्द पंक्ति ‘एकला चलो रे’ अक्सर गुनगुनाती रहती हैं।ऐसी खूबसूरत सोच वाले व्यक्ति को पराजय अनुभव कैसे हो सकती है-माँ।आप स्वयं में सशक्त हैं,निर्भय है ,दूरदर्शी हैं और हमेशा अपने संग आत्म-विश्वास की मुस्कान का गहना धारण किये रहती हैं तो आप सफल ही सफल हैं।

 

7.

हर हाल में आशावादी रखने में ध्यान देना होगा 

माँ आपके मन में न जाने क्यों एक निराशा का भाव पैदा हो गया है,इसलिए आप खुद को असफल की श्रेणी में रख रही हैं जब कि वास्तविकता इससे कोसों दूर हैं।मन के हारे हार है और मन के जीते जीत।आप ने ही तो सिखया था और आज इसी को अपनाने के लिए मैं आपसे अनुरोध कर रहा हूँ।बस मन से खुद को हरा हुआ बिलकुल भी महसूस न होने दें।

 

8.

श्री मदभगवतगीता पढने को दें

दुनिया का एक ऐसा अद्धभुत ग्रन्थ जो माँ आपको हर निराशा की स्थिति से बाहर निकल लायेगा।यह सिर्फ श्री कृष्ण  ने अर्जुन के निराश मन के लिए ही नहीं कहा था,दुनिया को हर दुःख से उबरने का सुंदर मार्ग दिखाया है। माँ को इस सुंदर रचना को पढने के लिए दें और अगर संभव हो पाए तो स्वयं भी साथ में इसे पढ़ें।जीवन की डगर फिर से सुहानी और मधुर लगने लगेगी और एक नयी दिशा दिखाई देगी।

 

9.

ईश्वर से माँ के लिए प्रार्थना करें 

जब मन दुखी हो या खुद को थोड़ा असहज स्थिति में पाते हैं तो सबके पालनहार ईश्वर की प्रार्थना से मन को असीम शांति का अनुभव होता है।माँ के लिए पूरे समर्पण भाव से ईश्वर से प्रार्थना करें ताकि माँ पुन फिर से उत्साह और उमंग के साथ जीवनधारा में अविरल प्रवाह से गति पकड़ सकें।प्रार्थना में बहुत शक्ति होती है,यह सर्व-सत्य है।

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माँ के पूजा स्थल में साथ में जाएँ 

माँ के साथ उनके पसंद के पूजा स्थल में साथ में जाएँ और जैसे भी विधि-विधान से उन्हें करना अच्छा लगे आप वैसा ही करें।पूजा स्थल में एक अलोकिक वातावरण का अहसास होता है और अनंत असीम सुख का अनुभव भी।माँ के संग होने के सुख का आनंद लीजिये और माँ को इस स्थिति से खुश होते हुए देखिए।

 

11.

भावनात्मक रूप से साथ हैं,महसूस कराएँ

माँ ऐसे में जरुर आहत हैं और खुद को असफल मान दोषी मान रहीं है और ऐसी स्थिति में उन्हें यह मजबूती से सन्देश देना आवश्यक हो जाता है कि आप उनकी भावनाओं से सहमत हैं और उनको परशान देख कर खुद भी आहत है।आप उनके साथ है हर हाल में,हर तरह की परिस्थिति में।यह उनमें एक विश्वास कायम करेगा कि उनके बच्चे उनकी भावनाओं का सम्मान करते हैं।

 

 12.

माँ को क्यों ऐसा लगता है,खुल कर बात करें

माँ से खुल कर बात करने की सख्त जरूरत है कि उन्हें ऐसा क्यों महसूस हो रहा है कि वह असफल हो गयी हैं।माँ से जब आप बात करेंगे तो हो सकता है वह अपने दिल की बात शेयर न करें या ना करना चाह रही हो परन्तु उन्हें अंदर से यह बहुत सुकून देगा कि आप उनके कितना ज्यादा सोचते हैं।

 

13.

वक्त-बेवक्त उनसे बात करते रहिए

माँ से ऐसे में वक्त-बेवक्त बात करते रहना चाहिए क्योंकि इस स्थिति में बुरे ख्याल ज्यादा आते है और अपना डेरा भी जमा लेते हैं।माँ संग कभी रसोई में,कभी टेबल लगते हुए तो कभी रात्रि में सोने से पहले आते-जाते हुए भी अपना व्यवहार ऐसा रखें कि माँ को भी लगे कि आप कुछ कहना चाहते हैं,माँ जरुर बात करेंगी।

 

14.

दूर होने पर विडिओ कॉल जरुर करें 

कई बार किसी भी वजह से आप को दूर जाना होगा या आप नौकरी के सिलसिले में बाहर रहते हैं तो ऐसे में आजकल विडियो कॉल एक बहुत ही अच्छा तरीका है जो दूरी को पास में ले आता है।बस जब माँ फ्री होती है तो उस समय को रोज बात करने का समय बना लीजिये,माँ के मन से असफल होने का ख्याल निकल जाएगा।

 

15.

माँ की असफलता को सफलता में बदलने में पूरा सहयोग करें

मान परेशां जब होता है तो माँ अक्सर चुप हो जाती है और किसी से कुछ भी नहीं बोलती हैं,अब तक हम बच्चे थे पर माँ अब हम बड़ें हो गए है आपकी तकलीफ को जरुर समझेंगे और पूरी समझदारी से उसका हल निकालने की कोशिश भी करेंगे।आप अपनी बात बस बताइए तो।

माँ को असफलता से बचाने की सुंदर युक्तियाँ

 

स्व-प्रेरित रहने के लिए बात करें

माँ ने आपको हमेशा स्व-प्रेरित रहने का हुनर सिखाया है और आज आपको भी माँ को उसी गुण को खुद पर आजमाने के लिए प्रेम से कहना है।माँ हंस देंगी कि अच्छा अब उनके बच्चे उन्हें उनका ही पढ़ाया हुआ पाठ पढ़ा रहें हैं।माँ को स्वयं को प्रेरित रहने के लिए बताना है और साथ में साथ भी देना है।

 

माँ से पूछे कि उनको कैसे मदद करें

माँ से आगे बढ़ कर पूछिए कि आप किस तरह से उनकी मदद कर सकते हैं ताकि वह फिर से स्वयं को सफलता की श्रेणी में मान पाएं।माँ हो सकता है उस समय ना बता पाएं पर देर-सवेर आप से अपनी मन की बात को शेयर जरुर करेंगी।ऐसे में आप जिस तरह की मदद की माँ को जरूरत लगे खूब बढ़ चढ़ कर करें।

 

 18.

चिंता चिता समान है 

यह सदियों पुरानी कहावत है और आज भी सोलह आने सच है क्योंकि अगर चिंता करने से समस्या ख़तम होती तो फिर हर कोई इस पद्धति को ही अपना लेते।माँ को बताना है कि समस्या का चितन तो चाहिए पर इतनी चिंता तो उनके स्वास्थ्य को भी खराब कर देगी,इसलिए चिंता न करे,प्रयास करें।

 

19.

हर बार सफल हों,जरुरी नहीं है 

माँ को यह सन्देश भी देना अहम् हो जाता है कि हर बार हर प्रयास सब सफल हो जाएँ यह कभी नहीं होता।कई बार कहीं न कहीं कोई कमी रह जाती है जो हमें नज़र नहीं आती है।अपने उददेश्य प्राप्ति के लिए खुद को असफल मानना नहीं है वरन अपने कार्य की अच्छे से समीक्षा करके फिर प्रयत्नशील होना है।

 

20.

सफलता के पैमाने को ठीक से जांचने की बात करें 

माँ आपने कहीं सफलता के पैमाने गिनने में तो भूल नहीं कर दी है क्योंकि अवास्तविक लक्ष्य भी असफल होने का कारण बन जाते हैं।साथ में हर पैमाने पर हर बार खरा उतरना भी इतना आसान नहीं होता है तो माँ ने स्वयं के लिए क्या मापदंड स्थापित किये है उनको जांचने के लिए बताना भी जरुरी है।

 

21.

नजरिये को बदलना होगा 

माँ समय के साथ आप को अपना नजरिया भी बदलन होगा क्योंकि आज जिस गति से हर पल बदल रहा है उसमें चीज़े बहुत तेजी से इधर-उधर हो रही हैं।माँ आपने सिखाया था की ‘सात बार गिरें और आठ बार उठें’ यानि असफल होना और अच्छा करने को प्रेरित करता है और अंत में वैसा ही होता है जैसा आप चाहेंगी।इसलिए नजरिया बदलिए और फिर से जुट जाइए-माँ।

 

22.

असफलता एक नयी अंतर्दृष्टि प्रदान करती है 

असफलता हमें एक नयी अंतर्दृष्टि प्रदान करती है-क्यों माँ आपको ऐसा नहीं लगता क्या।आहार असफल हो रहें है तो उददेश्य नहीं उसको प्राप्त करने का तरीका बदलना होगा।खुद से पूछना होगा कि आखिर अभी क्या करना रह गया है।नए ढंग से नए जोश से फिर लग्न है माँ- मैं हूँ आपके साथ।

 

23.

माँ को अपने बारें में सोचने के लिए प्रेरित करें 

माँ रामायण में हनुमान जी भी अपने विशिष्ट गुणों को भूल चुके थे और याद दिलाने पर उन्होंने इतिहास ही रच दिया।माँ आप सबकी हमेशा रहगुजर यानि पथप्रदर्शक रहीं है आह आपको अपने उन्ही खास गुणों को याद करके फिर से नयी हिम्मत से लगना है।आप कितनी सफलता को प्राप्त करेंगी,आप को शायद अभी अहसास नहीं हैं।

 

24.

प्रेरक किताबों को पढ़िए 

जीवन की सही मायने में सच्ची दोस्त किताबें रही है है जो माँ आप तो जानती ही है -किसी को भी पथरीले रास्ते से निकल कर सुंही मंजिल की ओर ले जाने में सदा सक्षम रहीं हैं।आपके पास तो अपनी एक विशाल लाइब्रेरी है बस आप अपनी पसंद की पुस्तकों को निकालिए और पढ़िए भी,बस आप फिर सफलता की डगर पर ही होंगी।

 

25.

इतिहास की महान महिलाओं के बारें में पढ़ें

इतिहास आपका हमेशा ही बहुत पसंद का विषय रहा है और आप हमेशा हम सबको गाहे-बगाहे इसके प्रेरक प्रसंग सुनाती रही हैं तो आज माँ उसी इतिहास के स्वर्णिम पन्नों को पलटिये और उन महान महिलाओं की जीवनियों को पढ़ कर अपने अंदर एक नयी स्फूर्ति का संचार भी महसूस करिए।

 

कोई दिन बुरा हो सकता है,पूरा जीवन नहीं 

माँ दिन अच्छे बुरे हो सकते हैं पर किसी एक दिन से जीवन थोड़े ही बुरा या बेकार हो जाएगा।आप बिलकुल भी निराश या हताश न होइए क्योंकि आप एक बेहद बुद्धिमान और आत्मविश्वासी महिला हैं और आपने जीवन की कठिनाइयों को अपनी हिम्मत व् समझदारी से पर किया है। खुश होकर फिर से प्रयास करें माँ।

 

27.

आप से कोई गलती हुई हो तो दिल से माफ़ी मांगे 

अगर आप की किसी बात से माँ का दिल आहत हुआ है और वह इसके खुद को यानि अपनी परवरिश को ही बेकार मान असफल तो महसूस नहीं कर रहीं हैं,अगर कहीं कुछ भी ऐसा हुआ है तो करबद्ध हाथों से उन से सिर झुका कर दिल से माफ़ी मांगे व् आगे न करने का वचन भी दें।

 

28.

किसी ने दिल पर चोट तो नहीं पहुंचाई,पता करें

आप यह भी पता लगायें कि कहीं घर में किसी बड़ें लोगों ने तो कोई कमेंट न कर दिया हो या कुछ ऐसा बोल दिया हो जिससे माँ के आत्म-सम्मान को ठेस पहुंची हो और वह अंदर ही अंदर खुद को असफल मान दुखी हो रही हों।माँ से बात करके या घर के माहौल को देख कर भी अंदाज़ा लगाया जा सकता है।

 

29.

एक नन्हें बच्चे की तरह माँ को सोचना है,प्रेम से बताएं 

माँ आज तो आप एक नन्हें से बच्चे की तरह व्यवहार कर रही है तो फिर उस छोटे से शिशु की बह्न्ति सोचना भी होगा कि जैसे उसे हर चीज़ सीखनी है तो आपको भी नए सिरे से जानना होगा न माँ।कैसे आपको अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए कौन कौन से साधन जुटाने है और उनका इस्तेमाल भी जानना होगा।

 

 30.

माँ को थोड़ा आराम मिले,इसकी समुचित व्यवस्था हो 

माँ जो लगातार अनवरत काम में ही लगी रहती है तो थका हुआ शारीर भी खुद को ही असफल मानने लगता है कि जैसे उसको ही सब कुछ व्यवस्थित करना मानों नहीं आता है और इसे ही अपनी पराजय मान दुखी भी हो जाता है।माँ के आराम की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए और आपको वह सब करना है।

माँ को असफल मानने की भावना से निकालने के उपाय

 

माँ को 24 घंटों के काम से आराम दिलवाएं

कभी आपने सोचा कि 24 घंटों में कार्य सीमा सबकी तय होती है सिर्फ माँ की छोड़ कर क्योंकि कभी किसी ने इस ओर ध्यान दिया ही नहीं और जब सब की छुट्टी हो तो माँ के ऊपर और दिनों से भी ज्यादा काम।माँ को कब काम करना है और कब नहीं किसी ने आज तक विचार भी नहीं किया,पर आज से आप इस ओर गंभीरता से सोचिये।

 

 

32.

माँ की छोटी छोटी जीत को सेलिब्रेट करें 

माँ की छोटी छोटी जीत को सेलिब्रेट करने की आदत डालिए ठीक वैसे ही जैसे माँ आप हर छोटी बड़ी ख़ुशी में सबसे ज्यादा प्रसन्न नज़र आती है जैसे-माँ ने पैदल चलने की ठानी है और हर दूजे दिन पहले से ज्यादा कदम उन्होंने पूरे किये तो एक आइसक्रीम खिला कर ही ख़ुशी मनाइए।माँ को प्यार से बधाई दीजिये।

 

33.

 माँ को प्यार से गले लगायें 

एक नन्हें शिशु की भांति ठीक वैसे ही जैसे बचपन में माँ आपको असफल या थोड़ा सा परेहन देख अपने गले लगा कर प्यार भरा समर्थन देती थी।आप जन्म से सुनती आई धड़कन की मधुर आवाज़ की लय में एक बेहद सुकून महसूस करके शांत और एक नयी उर्जा से भरते थे,आज आपको भी माँ को गले से लगा वाही मीठा सा जादू भरा स्पर्श महसूस कराना है।

 

34.

माँ आपको खुद पर भरोसा कायम रखना है 

माँ का खुद को असफल मानना यानि उनका अपने ऊपर जो भरोसा था वो कहीं न कहीं कुछ कमजोर हुआ है।माँ को फिर से उसी उत्साह और उमंग की समुद्र जैसी हिलोरों से अवगत कराना है और उन्हें यकीं दिलाना है कि किसी भी सूरत में उन्हें अपना होंसला नहीं खोना है क्योंकि वह एक सशक्त महिला है और आप उनके साथ हैं।

 

35.

 दिनचर्या में बदलाव लायें

माँ की दिनचर्या में थोड़ा बदलाव करके देखिये क्योंकि कई बार एक सी  समय सारणी भी कुछ माहौल को निस्तेज जाने- अनजाने कर जाती है और माँ वैसे भी अधिकांश वक्त घर पर ही बिताती हैं तो एक नीरसता महसूस कर सकती है और नतीजा खुद पर एक असफलता का आवरण बेवजह ओढ़ लेती हैं।परिवर्तन से यह संभव हो सकता है।

 

36.

अपनी परवरिश पर गर्व महसूस करें 

माँ के लिए यह हमेशा ही गर्व भरी बात होती है जब हर कोई उनकी संस्कारित परवरिश की तारीफ करता है और माँ आपको कभी भी निराश या खुद को असफल नहीं मानना चाहिए।माँ आप ने जो संस्कार और उत्तम आचरण सिखाया है उस पर हमेशा नाज करिए।

 

37.

बच्चे को पहला अक्षर कैसे सिखाया था,याद करें 

माँ की मनस्थिति को समझने की कोशिश करें ठीक वैसे ही जैसे माँ ने जब आपको पहला अक्षर बनाना सिखाया था,दिन रात बिना थके बस आपको माँ को मजबूत मनस्थिति को बढावा देना है। हर वक्त बात करके उनके मन को जान कर मन को ही बताना है कि वह एक परफेक्ट माँ हैं।

 

38.

ओवरथिंकिंग से बचना सिखाएं 

जीवन में माँ की एक समस्या बहुत बड़ी है और वह है हर चीज़ के बारें में जरूरत से ज्यादा सोचते रहना।कई बार परेशानी होती इतनी बड़ी नहीं है जितनी माँ उसे सोच कर कर लेती हैं।इससे उनके स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ता है और वह बीमार हो जाती है और चिंतित दिखती हैं। माँ को इस समस्या से निकलाने में मदद करें।

 

39.

खुद को दोष देने की आदत से निकालें 

माँ की यह आदत उन्हें बहुत दिक्कत में दाल देती है क्योंकि वह घर में किसी भी असफलता का दोषी खुद को ही मानती है और इसकी वजह से उन पर एक अनदेखा तनाव और स्ट्रेस बेवजह आता है।माँ को बताना है कि हर बात के लिए खुद को कसूरवार मानना छोड़ें।समय समय पर चर्चा से इस आदत से बचाया जा सकता है।

 

40.

गलती होना कोई अपराध नहीं है 

अब मान लीजिये किसी वजाव से अगर कोई गलती हो भी गई तो इसके लिए खुद को इतनी बड़ी सजा देना कि हर वक्त उदासरहना और खाने पीने के प्रति विरक्ति दिखाना क्या ठीक है- माँ। कभी भी नहीं आप भी एक इन्सान हैं और आपको भी औरों की तरह गलती करने का अधिकार है,परेशां होने का नहीं।मिलकर समाधान निकाल लेंगे।

 

41.

औरों की स्वीकृति की इच्छा न करें

बचपन से माँ को देखा है कि हर कार्य के लिए औरों की स्वीकृति लेने की कुछ आदत सी बनी हुई है और जब ऐसा नहीं होता तो वह अपने आसपास एक ऐसा ताना-बाना बुन लेती है जैसे मानों उनसे कोई बड़ा परध हो गया हो।माँ अपने निर्णय खुद लीजिये और जब सही नहीं साबित हो तो विचार करके अगली बार दूसरा निर्णय लीजिये पर औरों की इच्छा से नहीं चलना है।

 

42.

स्वयं को माफ़ करना सीखें

महता बुद्ध का कहना है कि जिस पल हम पहले स्वयं को माफ़ करना सीख जाते हैं तभी से जीवन को जीना शुरू करते है,इसलिए स्वयं को माफ़ करना जरुरी है न कि खुद को तरह तरह से सजा देना। अपने मान की शांति के लिए और एक सफल जीवन के लिए माँ आप पहले स्वयं अपराध मुक्त रहने की आदत डालिए।

 

43.

वास्तविकता से मुँह न मोड़ें

बच्चों के साथ ही समय बिताने पर जब माँ को यकायक अकेले रहना पड़ जाएँ तो भी अंदर से एक टूटन या हताशा की भावना आ जाती है।घर में जो चहल- पहल वाली रौनक में एक उदासी सी आ जाती है वह भी माँ को ऐसा सोचने पर मजबूर सा कर देती है,इस बात पर ध्यान दें। 

 

आदर्शवादिता से बाहर निकलें

सदियों से चली रीति-रिवाजों के नाम पर सारे नियम कायदे ऐसा लगता है कि माँ के हिस्सें में ही आए हैं। भगवन तो हमारे माता-पिता है जो हमेशा अपने बच्चों के प्रति दयालु भाव रखते है ठीक आप की तरह ही,फिर किसी भी रीति को न मानने का दवाब माँ इतना क्यों लेती हों।रिलैक्स रहना माँ को बताएं। 

 

ना कहने की आदत डालना जरुरी है 

माँ को सब के काम को करने की ऐसी आदत है जो अच्छी तो बहुत है पर कई बार ठीक से न होने पर वह एक मानसिक रूप से असफल मानने लगती हैं और कहाँ और क्यों गलती हो गई इस मकड़जाल में उलझ जाती हैं। माँ को ना कहने की आदत को डलवाना आप की जिम्मेदारी है,इस ओर ध्यान दीजिये।

 

46.

किसी भी प्रकार के दवाब न आएं 

माँ अक्सर दवाब में आ जाती है जब भी कोई उन्हें कुछ भी यह कह देता है कि ऐसा तो नहीं करना चाहिए था और माँ बस एकदम से प्रेशर में आ जाती हैं।अपने समय में से वक्त निकाल कर ही वह हर संभव प्रयास करती है और फिर कोई थोड़ा सुनाते हुए यह बोल दें तो माँ घबरा जाती है और इसे अपनी असफलता से जोड़ लेती हैं। माँ का स्थ देना है कि उन्होंने जो कोशिश की वह बहुत है।

 

47.

किसी से भी अपनी तुलना न करें 

घर में या कही आसपास एक तुलनात्मक तरीका समाज में रहता ही है और ऐसे में माँ भी कभी -कभी उस तुलना में खुद को भी शामिल कर लेती है और पूरी तरह से मैच न करने पर थोड़ा मन से दुखी भी हो जाती हैं जो उन्हें निराशा में डालता है और एक पराजय की भावना भी लाता है।माँ को इस स्थिति से बचाना है।वह अपना बेस्ट कर रही है यह दिलासा देनी है।

 

48.

उम्र बढ़ रही है,इसे स्वीकार करें 

उम्र के बढ़ते बदलाव को स्वीकार करना जरुरी है क्योंकि कभी कुछ भूलने पर भी माँ को लगता है कि अभी तक तो ऐसा हुआ नहीं था,न जाने अब क्या होता जा रहा है है या कभी उतनी चुस्ती फुर्ती से कार्य नहीं हो पाता है जैसे पहले वह चुटकियों में कर देती थीं।माँ ऐसे ही होता है,टेंशन न लिया करें।

 

49.

नकारात्मकता से दूर रहें 

घर-गृहस्थी में किसी किसी बात पर सब की राय अलग अलग होती ही है पर अगर माँ के संदर्भ में बात थोड़ा नेगेटिव ढंग से कही जाएँ तो स्वाभाविक है कि उन्हें बुरी लगेगी ही।माँ को ऐसे लोगों से और ऐसी बातों से दूर रखने का ध्यान रखें व् माहौल को आनंदमय बनाएं।

 

50.

सकारात्मक लोगों से बातचीत करें 

बहुत सारी सामाजिक संस्थाएं ऐसी हैं जहाँ समाज के कल्याण के लिए सकारात्मक बातचीत के जरिये अनेक प्रायस किये जाते हैं।माँ को ऐसी सुंदर सोच वाली संस्थाओं से जोड़ें व् आप भी कभी माँ के साथ जरुर जाएँ और भाग भी लें जिससे माँ को बेहद अच्छा लगेगा।सोच फिर से पॉजिटिव होते ही माँ के मन से असफलता की भावना भी ख़त्म खुद ही हो जाएगी।

 

51.

अनावश्यक हस्तक्षेप करने वाले रिश्तेदारों से दूरी बनाएं 

अक्सर रिश्तेदारी में ऐसे कई लोग मिल जायेंगे जिनका काम बेवजह हर चीज़ में नुक्कताचीनी करना या अपना अधिक अधिकार दिखाना रहता है और माँ लिहाजवश उन्हें कुछ कह तो नहीं पाती है पर अंदर से घुटन महसूस करती है और खुद को असफल मान कर परशान भी हो जाती हैं तो ऐसे में आप आगे बढ़ कर माँ का बचाव करें।

 

52.

माँ को थोड़ा आराम मिले,इसकी समुचित व्यवस्था हो

माँ की दिनचर्या में सब कुछ निर्धारित है बस आराम के पलों को छोड़ कर मानों वह कोई मशीन है जिन्हें सारे समय बस कम ही करना है और ऐसे में थका हुआ शरीर खुद पने लिए भी ठीक से नहीं सोच पाता है। माँ के आराम के लिए दिन में भी समुचित व्यवस्था करिए ताकि वह सदा तरोताजा महसूस करें।

 

माँ के लिए भी एक इतवार होना चाहिए 

माँ के लिए कभी सोचा कि उनके लिए कभी कोई छुट्टी या इतवार होना चाहिए।वह इन्सान है जिन पर सिर्फ जिम्मेदारी ही तय है। यह बिलकुल गलत है उन्हें भी एक छुट्टी मिलनी चाहिए और जिसे वह अपनी मर्जी से व्यतीत कर पाएं।आपको यह काम करवाना है।

 

54.

अभी बहुत कुछ करना है का भाव रखें 

माँ को यह प्यार से बताने की जरूरत है कि अभी आगे उन्हें अपनी जिंदगी में बहुत सारे काम करने हैं और इसके लिए उनका प्रफुल्लित और सेहतमंद रहना अतिआवश्यक है ताकि वह ख़ुशी से कार्य कर पाएं।माँ को आगम जीवन के सुंदर पक्ष को दिखने की जरूरत है जैसे उन्हें अभी दादी या नानी माँ बन कर मस्ती करनी है।

 

55.

अकेले रहने में न घबराएँ

जीवन में कई बार ऐसी परिस्थितियां आ जाती है जहाँ माँ को अकेले रहना पड़ सकता है और यह सोच कर ही वह घबरा रही हो या कुछ जरूरत से ज्यादा सोच रही हो।ऐसे में माँ को यह तसल्ली देना आवश्यक है कि वह ऐसा न सोचें क्योंकि आप हैं उनके साथ।अकेले में भी संपर्क बनाएं रखेंगे।

 

माँ के सपनों को ऊँची उड़ान दें

माँ ने जो स्वप्निल सपनें आपने अपनी आँखों में न जाने कब से संजो कर रखी हुई होंगी तो बस माँ के संग उनके ख्वाबों को फिर से हकीकत में बदलने के लिए कमर कास कर साथ दें और हर संभव प्रायस करें और असफल होने की भावना से हटा कर पूरे करने में सहयोग दें।माँ के सपनों में संग-संग उड़ने की हिम्मत दें।

 

 57.

माँ की  रुचियों को विकसित करें

माँ की अनेक  रुचियाँ मन के किसी कोने में बसेरा किये हुई होंगी,उन सबको बाहर निकलने की भरपूर कोशिश करें और माँ से बात करके कैसे उन्हें पूरा कर सकते है या एक नयी दिशा में रुख को मोड़ सकते हैंव् जब आप माँ की रुचियों को जानेंगे तो ख़ुशी के सठुन्हें आत्म-संतोष भी मिलेगा कि आप उनके लिए सवेंदनशील हैं।

 

58.

माँ को एक भावुक हस्तलिखित पत्र लिखें 

सदियों से हाथ से लिखें पत्रों की अपनी ही एक खूबसूरत डगर रही है और जहाँ से कभी कोई भी खाली हाथ नहीं लौटता है।आज ही अपने हृदय के भावों को शब्दों की माला में पीरों कर उन्हें ख़त के माध्यम से भेजिए।निसंदेह माँ न सिर्फ खुश होंगी बल्कि उनमें एक नयी उर्जा आ जाएगी जो उन्हें असफल होने के भाव से मुक्ति दिलाएगी।

 

59.

माँ को आशावादी बनाने के लिए एक कविता लिख कर दें 

पत्र की भांति ही कविता या शायरी भी माँ के दिल को चुने में बहुत सहायक सिद्ध होगी।माँ के योगदान और उनके निस्वार्थ प्रेम व् त्याग की तारीफ करते हुए एक भाव विभोर कविता लिखिए और उन्हें एक सुंदर से कार्ड पर प्रेषित करिए।माँ में आशा की किरण चमक उठेगी।

 

60.

माँ को व्हाट्सएप्प पर स्माइली इमोजी के साथ अच्छा सा सन्देश लिखें 

आज कल व्हाट्सएप्प पर अनेक तरह तरह की मन को मोहने वाली इमोजी अस्सानी से मिल जाती है तो बस जब भी माँ के मन में अपनी सफलता को लेकर कोई भी संदेह पनपे आप सुंदर सी इमोजी को ढूंड कर और एक अच्छे से सन्देश के साथ माँ के व्हाट्सएप्प पर भेंजे और इसका फिर असर भी देखें।

माँ असफल ना होने पाएं पर अनमोल सुझाव

 

61.

नए कोर्स को करने का मन बनाएं 

माँ आज के ज़माने के हिसाब से चलने के लिए बहुत कुछ सीखना होगा क्योंकि बदलाव भी तेजी से हो रहा है इसलिए माँ का जिस क्षेत्र में रुझान हो उस से संबंधित कोई कोर्स कर लेने से उनमें एक नया आत्म-विश्वास आ जाएगा और वह सफल होंगी इसी भावना से ओत-प्रोत होकर लक्ष्य की ओर बढ़ जाएँगी।

 

सामाजिक संस्थाओं से जुड़ें

माँ को सामाजिक संस्थाओं से जोड़ें ताकि जब वह अपने आसपास दुःख से घिरे हुए लोगों के जीवन को बहुत करीब से देख पाएंगी और इससे उन्हें अपनी सफलताओं को अंदाजा होगा कि उनके पास सब कुछ है और वह कहीं अकारण तो खुद को असफल माने हुए बैठी हों।माँ का मन भी ऐसी जगह जाकर बदलेगा।  

 

गरीब बच्चों को निशुल्क शिक्षा दें

माँ को हमेशा गरीबों की मदद करना अच्छा लगता रहा है तो आप माँ को एक दिशा दिखा सकते है कि घर में ही किसी एक जगह पर वह आसपास के गरीब बच्चों को पढ़ा सकती हैं या उनकी पढाई में मदद कर सकती हैं या किसी एक बच्चे को अडॉप्ट करके उसके भविष्य को सुंदर बनाने में सहयोग कर सकती हैं,इससे उन्हें खुद अंदर से बहुत आत्म-संतोष मिलेगा।

 

माँ का हेल्थ चेकअप कराएँ 

माँ को कोई शारीरिक कष्ट तो नहीं है,ध्यान दें,क्योंकि कई बार शरीर में अंदर कोई ऐसी बीमारी तो नहीं पनप रही है जो उनको ऐसा महसूस करा रही है।माँ का वार्षिक हेल्थ चेकअप वैसे भी कराते रहना चाहिए ताकि समय रहते बीमारी पकड में आ जाएँ और उचित इलाज भी संभव हो पाएं।

 

मैडिटेशन करने के लिए अनुरोध करें 

ध्यान क्रिया एक बेहद पुरानी पद्धति है जिससे परिणाम हमेशा ही लाभप्रद रहें है।इतिहास में ग्रंथों में इसके उपयोग बहुत विस्तार से प्राप्त हैं।माँ को किसी आसपास योग केंद्र में सही तरीके से मैडिटेशन करना सिखा सकते हैं और नियमित अभ्यास से निश्चित रूप से माँ के मानसिक स्वास्थ्य में बहुत फायदा होगा। 

 

66.

योग की कक्षा ज्वाइन करवाएं

विश्व भर आज भारतीय योग को मान रहा है।जसने भी योग को अपनाया उसने हमेशा ही लाभ पाया। मन के ऐसे विचारों को भी एक सकारात्मक दिशा दिखने का काम योग करता है और साथ में श्ररिक रूप से चुस्त-दुरुस्त तो हर हाल बनाता ही है।

 

67.

लाफ्टर क्लब में सम्मिलित होने के लिए बताएं 

आजकल जगह जगह पर लाफ्टर क्लब या सामूहिक रूप से मिलने जुलने के सामूहिक ग्रुप मिल जाते है।इस तरह की संस्ताओं का मुख्य उददेश्य आपसी मेलजोल के साथ साथ ख़ुशी के तरीके खोजना और खुल कर हँसना-हँसाना ही रहता है क्योंकि खुल कर हँसना सेहत के लिए एक वरदान से कम नहीं है।एक हँसता हुआ चेहरा स्वयं में प्रेरक रहता है।

 

68.

ऑनलाइन दुनिया से नाता जोड़ें

माँ को भी ऑनलाइन दुनिया से जोड़ें ताकि वह भी अनेक तरह की नयी नयी चीजें सीख पाएं और दुनिया कितनी सिमट कर पास-पास आ गई है,इसे महसूस कर सकें।माँ की रुचियों के हिसाब से भी ऑनलाइन से कैसे वह ओर ज्यादा जानकारी जूता सकती है और उसे अपने लिए कैसे अच्छे से इस्तेमाल करके आगे बढ़ सकती है,इससे उन्हें कुछ नया सोचने का मौका मिलेगा।

 

69.

ऑनलाइन शौपिंग खूब करें 

शौपिंग अक्सर मन की परेशानियों को दूर करने में कारगर सिद्ध होता आया है।बाजार अगर जाने का मन नहीं है तो बस ऑनलाइन अनेक ऐसे प्लेटफॉर्म्स हैं जहाँ पर घर बैठे ही अपनी पसंद के सारी चीज़े मिल सकती हैं और नापसंद होने पर वापिस भी हो जाती हैं और समय समय पर अनेक डिस्काउंट भी मिलते रहते हैं।

 

70.

अपनी सहेलियों संग घूमने का प्रोग्राम बनाएं 

माँ का उनकी सहेलियों के संग घूमने का प्रोग्राम भी उन्हें नयी उमंग से भर सकता है क्योंकि अपनी खास दोस्तों या सहेलियों से दिल की बात हो जाती है और उनके द्वारा दिए गए सुझाव भ जल्दी समझ आ जाते हैं।एक पंथ दो काज यानि माँ भी खुश और थोड़ा बाहर निकलने का अवसर भी।

 

71.

घर के माहौल में जीवंतता लायें

घरों में आजकल एक अजीब सी नीरसता आई हुई है क्योंकि जिसे देखिये वो अपने काम में इतना व्यस्त है कि आपसी बातचीत भी कम हो गई है और अआपसी दिलों की बातें भी और नतीजा स्वरुप एक अलग तरह की चुप्पी सी घर में प्पसरी हुई दिखती है जोकि रिश्तों में अलगाव लाती है और यह दृश्य माँ को तनाव देगा।

 

घर को एक नया रूप देने का विचार करें 

घर में थोड़ा सा बदलाव कई बार बहुत अच्छे रिजल्ट ले आता है। मिल कर माँ से बात करके और उनके हिसाब से कुछ परिवर्तन करके देखिये और माँ के चेहरे पर घर की नयी साज-सज्जा का असर भी महसूस करिए। सफाई पसंद माँ को अपना घर सजाने का शौक ही बहुत झोटा है और इसमें तो उन्हें अच्छा लगेगा ही लगेगा।

 

73.

पेड़ पौधों के बीच अपना वक्त ज्यादा लगायें 

हरे-भरे पेड़- पौधें न सिर्ग जीवन के लिए जरुरी हैं वरन घर में एक उर्जा और खुशनुम माहौल बनाने में बहुत ही सहायक भी।सुबह-हम माँ संग उनके इस मूक बच्चों समान पेड़ों से बातें करिए,उन्हें सहलाइए भी। उदास से उदास मन भी मुस्कुरा उठेगा और माँ में भी एक नयी उम्मीद जाग जाएगी

 

74.

छोटी-छोटी बातों से अपनापन दिखाएँ

माँ जब इतना सुस्त है और खुद को कहीं न कहीं असफल मान रही है तो ऐसे में छोटी छोटी बाते दिल जीत लेती है जैसे- माँ का हाथ सीढियों पर चढ़ते हुए,माँ जब बैठी हो तो एक तकिया उनकी कमर के पीछे लाकर रख देना,रात में सोने से पहले उन से बात करके जाना,बजे से लौटते हुए कोई सब्जियां,फलया ऑरेंज वाली आइसक्रीम जैसी चीजें माँ को खुश करेंगी।

 

75.

 माँ को बाहर घूमाने ले जाएँ

माँ अगर हर वक्त घर ममे ही रहती है तो एक सी दिनचर्या भी बेवजह उदासी या खुद में एक निराशा का भाव ले आती है। माँ को बाजार ले जाएँ या कहीं आसपास घूमने जा सकते हैं।किसी पहाड़ी स्थान पर या समुंदरी किनारे पर जाकर सबको अच लगता है। माँ की पसंद की जगह का प्रोग्राम बना कर उन्हें ले जाएँ।

माँ के असफल होने पर सफलता के सही तरीके

76.

मूवी एक साथ देखने का प्रोग्राम बनाएं 

सिनेमाघर में एक साथ पूरे परिवार के साथ बैठ कर फिल्म देखने का आनंद ही कुछ ओर है और साथ में ठंडा पेय और पॉपकॉर्न,बस सब कुछ देर के लिए अपने दुःख दर्द भूल ही जाते हैं।माँ की पसंद के हीरो-हेरोइन वाली मूवी में ही जाएँ ताकि वह उसको पसंद करें और फिर से ख़ुशी महसूस कर पाएं।

 

77.

बाहर से ही लंच/डिनर करके आएं 

अब जब माँ संग फिल्म देख कर बाहर आएं है तो फिर समयानुसार लंच या डिनर भी खिन बाहर ही करवाएं। माँ की पसंद की डिशेस का ही आर्डर दें और फिर एक मीठा पान भी खिलाएं क्योंकि माँ को यह खाना जरुर अच्छा लगेगा। घर लौटते हुए फिल्म की बातें करते आना और साथ में चाय की चुस्कियां लेकर उस पर चर्चा माँ को फिर से प्रफुल्लित कर देगा।

 

78.

पार्लर से दोस्ती करनी जरुरी है 

माँ को यूँ तो किसी मेकअप की जरूरत है ही नहीं पर पार्लर में कभी कभी जाना एक अलग तरह का रिलैक्सेशन दिलाता है। एक अच्छी सी मालिश या चेहरे की मसाज बहुत आराम पहुंचाएगी।पार्लर में नए तरीके के बहुत सी क्रीम मिल जाती है जो उन्हें सुकून भी दिलवाएगा और आराम से भी, किसी भी तरह का अवसाद को कम करने में सहायक भी।

 

79.

स्वयं पर संदेह करना बंद करना होगा 

माँ यह जो आपकी आदत है कि किसी भी कार्य को करने से पहले ही आप खुद पर स्नादेह करती है कि पता नहीं ठीक से होगा या नहीं,इसे ऐसे नहीं सोचना है।आप बहाद शक्तिशाली और समझदार है और पूरे यत्न से अपने काम को अंजाम देती आई है,इसलिए बेफिक्री से रहें।

 

80.

धैर्य से उनकी बात सुनें 

माँ को जब बभी ऐसा लगे तो उस समय उन्हें ऐसा आखिर लग ही क्यों रहा है,जानने की कोशिश करें उनके  साथ संवाद को लगातार बांयें रखें और अपने सुझाव और समर्थन देते रहें।एक सौहाद्रपूर्ण वातावरण बना कर रखें ताकि माँ बिना झिझक के अपने मन की बात को विस्तार से अप स साँझा कर पाएं।

 

81.

समाधान खोजने की प्रक्रिया जारी रखें 

माँ सफलता और असफलता तो जीवन का दूसरा नाम है और आप हमेशा हमें यही सिखाती आयीं हैं।अपने ऊपर पूरा भरोसा रख कर अपने कार्य को अंजाम दें और अगर सफलता नहीं मिलेगी तो फिर से दुबारा देखेंगे कि कहाँ पर क्या कमी रह गई थी,आप हर हाल में सफल होंगी,यह तय है।

माँ के लिए क्या करें जब वह असफल हों 81 बेहद कामगार सुझाव यह बताने की कोशिश है।आप भी पढ़िए माँ के असफल होने पर कैसे उन्हें सफल बनाएं पर अनमोल उपाय।COMMENT BOX में अपनी राय से अवगत भी कराएँ।