माँ बेटे का रिश्ता दुनिया का सबसे पवित्र बंधन है | इसलिए जननी व पुत्र पर शायरी लिखना या समर्पित करना एक अमूल्य एहसास है।
मैं एक माँ हूँ और पूरे दिल से आपके लिए 51 खूबसूरत नगमे लेकर आयी हूँ जिन्हे आप पढ़कर खुश हो जाएंगे।
पढ़ना न भूलिए
|माँ की लाडली पर खूबसूरत शायरी|
माँ बेटे पर शायरी | 51 खूबसूरत रचनाएँ
1) माँ-बेटे का रिश्ता है यह बहुत ही ख़ास
प्यार भरा,ख़ुशनुमा रहते जिसमें सुंदर जज़्बात।
2)समर्पित भाव से आदर दीजिए,माँ को हर एक पल
बहुत उम्मीदें रखती है हर माँ,अपने बेटे से पल-पल।
3)दुनिया का है ये तो सबसे सुंदर व पवित्र रिश्ता
माँ की जान बसी बेटे में,बेटा भी कभी नहीं पीछे हटता।
4)आज लग रहे हो कुछ नाख़ुश और चेहरे पर छाई है उदासी
जादू की झप्पी चाहिए न तुम्हें,जानती हूँ,तभी हटेगी ये मायूसी।
5)जब-जब मन निराश हो,सोचता बेकार है जीना
निराशा में ही आशा है,ये सीख माँ की भरती जोश दुगना।
6)सुकून ढूंढ़ता रहा बन ख़ानाबदोश,जग में इधर-उधर
माँ के आँचल तले मन शांत हुआ,करूँ उनकी दिल से क़दर।
7)न जाने कैसे माँ बेटे के,टूटे दिल का हाल स्वयं जान लेती है
थके क़दमों की आहट सुन,कुछ बनाती हूँ,रसोई की ओर रूख कर लेती है।
9)माँ के सीने से लग जब बेटा,छोटा सा बच्चा बन रो पड़ता है
रोज़-ए-जजा आ जाती है नयनों में,समुद्र का पानी भी कम दिखता है।
(रोज़-ए-जजा =प्रलय का दिन)
10)माँ के दूध का क़र्ज़ न कोई उतार पाया,न ही उतार पाएगा
पर जब किसी नारी को देता सम्मान,फ़र्ज़ अदायगी ज़रूर अता कर पाएगा।
11)बेटा जब रोज़गार की तलाश में,निगाहों से दूर कहीं चला जाता है
दिखाती ख़ुद को बहुत मज़बूत,पर अंदर ही अंदर सब्र का बाँध टूट जाता है।
12)बन बेटे की माँ,स्थापित समाज के नियमों में ख़ुद को गौरवान्वित पाती है
अंश मेरा मेरे नाम को आगे बढ़ाएगा,सोच स्वयं पर इतराती है।
13)दुःख में चट्टान सी अडिग और पल भर में पिघलती मोम सी
ये माँ है जनाब!बेटे के संग रिश्तों की डोर है ऐसी,जैसी पवित्र ओम् सी।
14)माँ के आँचल में तपिश भरी दोपहरी में भी, मिलती ठंडी छांव सदा
दुनिया की जंग में चाहे जीत जाए कितना भी,सुकून है मिलता पर यहीं सदा।
15)जीवन की पहली गुरु,बेटे ने देखी माँ के रूप में
ज़िंदगी भर का साथ हर हाल,एक वायदे के रूप में।
16)दुख में भी तेरी मुस्कान न पड़ने देती,मुझ पर कोई ग़म का साया
बेटा हूँ तेरा रखूँगा ख़्याल सदा,बस संग तेरा बना रहे मेरा हमसाया।
17)मशवरा ये मानिए,माँ को सदा रखिए,अपने व्यवहार से प्रसन्न और ख़ुशनुमा
जन्नत को ढूँढने की फिर क्या ज़रूरत,है यहीं घर में ही तो,है और कहाँ।
18)मेरे ख़्वाबों की तासीर तुम हो,हो मेरी शांत आत्मा
माँ बेटा का जन्म-जन्म का सुंदर साथ,जोड़ता है वो परमात्मा।
19)ज़िंदगी है देखे कई उतार-चढ़ाव,दुख-सुख से रहा ताउम्र वास्ता
बेटा संग जब खुल के है हँसता,पूछती ज़िंदगी से क्या है बाबस्ता।
(बाबस्ता=संबंध)
20)माँ की हर दुआ में, बेटे की सलामती की गूँज बनी रहनी चाहिए
काम बेटे भी ऐसे करें,हर जन्म में वो ही माँ बने,हरकतें ठीक रहनी चाहिए।
21)माँ -बेटे एक दूजे की सलामती की करें प्रार्थना,होता आया और यही हुआ
हर जन्म में साथ यही बना रहे,दोनो की एक दूजे के लिए निकलती यही दुआ।
22)माँ से करती दुनिया मेरी शिकायत,कि हूँ मैं थोड़ा बावला
बता दो न सबको ज़रा आज यह,हूँ मैं तेरा जो लाडला।
23)मंदिर जाने की ज़रूरत कभी लगी नहीं
घर पर माँ है न,फिर कुछ ओर माँगने की तलब भी नहीं।
24)किन हालातों से लड़ कर माँ ने मुझे बनाया मुक्कमल
बारी मेरी है अब,बेटा बन लायक़,नाम उँचा करूँ उसका मुसलसल।
(मुसलसल=लगातार)
25)न सिर्फ़ बेटी की विदाई ही माँ को रुलाती है
बेटे दूर जब जाते,माँ आँसुओं को नहीं छिपा पाती है।
26)बचपन में हर बात में वो जो नन्हा,यूँ रूठ कर बस रो देता था
बड़ा हुआ बेटा,बस अब आँसुओं को जज़्ब ख़ूब कर लेता था।
27)माँ का सहारा पापा का दाहिना हाथ व पूरे घर की ढाल होते है
ये बेटे ही होते है जो ऊपर से सख़्त व दिल से बहुत नर्म होते है।
28)बेटियाँ पापा की लाडली तो बेटे माँ के कलेजे का टुकड़ा होते है
छोटी-छोटी ख़ुशियों को देने के लिए,दोनो ही दिल बहुत बड़ा रखते है।
29)दुनिया का एक बेहद ख़ूबसूरत बंधन,जिसमें मिलावट नहीं होती है
बहुत ख़ुशनसीब होते है वो बेटे,जिनकी माँ उनके ही पास होती है।
30)देख बेटे की आँखों में नमी,ख़ुद भी रो दिया करती है
ख़ुद को ही मान क़सूरवार,ख़ुदा से दुआएँ ख़ूब किया करती है।
31)देख गुमसुम बेटे को,
आँखों से बह जाती है जैसे नदियाँ की धारा
ये अनोखा रिश्ता है नहीं मिल सकता
माँ जैसा कोई,दुनिया में दुबारा।
32)एक लड़की को अपनी दुल्हन के रूप में
जब बेटा तलाशता है
तो उसके गुणों में कही न कहीं अपनी माँ की
छवि को ही ढूँढता है।
33)माँ बेटे के बीच नाराज़गी का दौर भी,
अक्सर ख़ूब चलता है
भावनाओं की पहचान का ये तरीक़ा भी,
कुछ ख़ास हुआ करता है।
34)माँ से बढ़कर त्याग की मिसाल आज तक,
न कोई खोज पाया न ही ढूँढ पाएगा
जो स्वयं ईश्वर का दूसरा रूप हो,
उसे कैसे कोई ओर दुनिया में बना पाएगा।
35)बुरे व्यवहार पर भी मुँह से निकलें सिर्फ़ दुआएँ
प्रार्थना करती है कि हे ईश! बस इसमें सुधार आएँ।
36)चौखट पर लगा,
आँधी-तूफ़ाँ बेटे के लिए कोई अंदेशा ले के आई
ख़ुद अँधेरे से डरती माँ,
हिम्मत के संग वहाँ जा खड़ी हो, ललकार आई।
37)हर माँ को अपना बेटा ही
सबसे सुंदर तारा लगता है
चाँद हो या सूरज उसे उसमें भी
अपना बेटा ही दिखता है।
38)ज़रा किसी माँ से पूछिए तो,
सबसे ख़ूबसूरत तोहफ़ा है क्या
बेटा बस मान-सम्मान दे,
बस इससे बढ़ कर ओर कुछ है क्या।
39)माँ बेटे का ये सुंदर रिश्ता,
समुद्र की गहराई जैसा स्थिर व ठहरा
जितना भी चाहे नाप लो,
उतना ही होता जाएगा ये ओर भी गहरा।
40)कुम्हार की मिट्टी की तरह,
बेटे को बहुत प्यार से तराशती है माँ
दुनिया की चकाचौंध से घिर बदल वो जाए,
तो बहुत परेशान होती है माँ।
41)ये कलियुग है,राम के भेष में
रावण जैसे बेटे भी मिलते है
जो ऊँगली पकड़ सिखाते थे
चलना कभी बचपन में उन्हें
आज उनके हाथों की देख
यूँ होती कंपकंपाहट
वृद्धाश्रम में जा किसी बहाने,
अपने ही आप छोड़ देते है।
42)जीवन की उलझनों को,
जब बेटा माँ के संग साँझा करते है
यक़ीनन वो पल हर माँ के दिल के,
बहुत पास और बहुत ख़ास होते है
दुनिया यूँही नहीं कहती माँ को,
जीवन की पहली वो गुरु होती है
यही सच है वो हर वक़्त,
जीवन में पहली और आख़िरी गुरु ही रहती है।
43)समय चाहे रहे कितना भी प्रतिकूल
माँ का बेटे पर और बेटे का माँ पर
आपसी विश्वास का जो खिलता सुंदर फ़ूल
न कभी मुरझाए,बनाए समय को हर हाल अनुकूल।
44)हालात कुछ अब ऐसे भी,
दिखते है घर-घर में
निगाहें फेर बेटे अपनी ज़िम्मेदारियों से,
यूँ मुँह चुराते है
मरने पर माँ के,दुनिया में ढोंग रचते
फिर ऐसा बढ़िया
कर बड़े-बड़े ब्रह्मभोज,
सबको झूठा प्यार जताते है।
45)दुनिया के लिए माँ हमेशा ही,
ममतामयी हुआ करती है
बेटे के लिए दिल में नरमी,
पर ग़लती पर थोड़ी सख़्ती भी करती है
माँ इस जिम्मेदारी को दिल से
बहुत ही क़रीब से समझती है
प्यार तो वही रहेगा
,पर ग़लती पर क्या करना,तरीक़ा वो ख़ूब जाना करती है।
46)हर गुनाह की माफ़ी सिर्फ़ माँ की अदालत में
बिना शर्त मिलती है
पर दुबारा ग़लती नहीं करेगा,
ये भरोसा वो दिल में बसा कर रखती है।
काश!हर घर के बेटे इस विश्वास को
न तोड़ने का गर ख़्याल कर लें
इस गर्व की अनुभूति ही सिर्फ़,हर माँ
अपने बेटे से चाहा करती है।
47)करती हर वक़्त पूरी सबकी फ़रमाईशें,
थक कर हो जाती चूर माँ,
बेटे की एक हल्की सी मुस्कान पर,
सारी थकान बस भूल जाती है माँ।
ग़ुस्सा हो डाँटती,पिटाई भी कर देती,
जब परेशान हो जाती माँ
कमाल है फिर ख़ुद ही हो दुखी,
ज़ार-ज़ार रोने लगती है माँ।
48)घर की दहलीज़ पर यूँ चहल क़दमी में
बेटे की बाट जोहती है
अब भी मुझे जान छोटा बच्चा,
इंतज़ार में घड़िया गिना करती है।
देख बेटे की आँखों में नमी
ख़ुद भी रो दिया करती है
ख़ुद को मान क़सूरवार,
ख़ुदा से दुआएँ फिर किया करती है।
49)दुनिया में गर बनाना है
अपना नेक नाम
माँ को देना सदा दिल से
प्यार व सम्मान।
घर समाज और देश का
न होता उँचा नाम
गर माँ ने न भेजे होते
अपने बेटे होने क़ुर्बान।
50)माना हो गए हो तुम अब बड़े,
निर्णय लेने का हक़ है तुम्हारा
माँ का दिल है न मेरा तो,
माने तुम्हें अभी भी वही नन्हा छोटा सा दुलारा।
माँ-बेटे का रिश्ता दुनिया में
सबसे ख़ास और है सबसे प्यारा
बेटे के लिए माँ सदा और माँ के लिए बेटा
दुनिया में सबसे न्यारा।
51)तरक़्क़ी हो बेटे की,
ये दुआ माँ दिन रात ईश्वर से करती है
बेटे के लिए न जाने कितने तरह के
व्रत-उपवास करती है
ये माँ है जनाब! बस बेटे के लिए ही
हर पल जिया करती है।
भूल कभी मत जाना अपनी शान-शौक़त में,
ये भी संग में कहा करती है।
उम्मीद है कि माँ बेटे के रिश्ते पर शायरी जो मेरे दिल से निकली है आपके दिल तक पहुंची होगी |COMMENT BOX में अपना सन्देश जरुर भेजिए|
रास्ता था लम्बा, मुश्किलें थी क्रूर
दिल में लेकिन मशाल जला कर चली आयी मैं इतनी दूर।