ससुराल पर कविता यानी प्रिय पति के माता पिता का घर जिसमें दुल्हने-लिबास में आने से लेकर सलामे-आख़िर तक उम्र बिताने के क़समें वायदे लिए होते है।खट्टे-मीठे,हँसते तो कभी रोते हुए अहसासों की कहानी ही रचना के रुप में लिखने की कोशिश है|चलिए मिलकर पढ़ते हैं|
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|ससुराल मायका पर दिलचस्प शायरी|
ससुराल पर कविता लिखी दिल से उस जहां पे,उम्र है गुजरती हँसते-रोते वहां पे
Best ससुराल स्टेटस् | 53 online कोट्स
1)मायके की मधुर यादें,भूला दे जो ससुराल
सही मायने में बहू को लगता,तब अपना घर बार।
2)परियों की रानी से,ख़्वाब है हज़ारों सजाए
ससुराल में इंतज़ार करेंगे,पिया पलकें बिछाए।
3)ससुराल कैसा है,बहू के चेहरे का नूर बताता है
सुर्ख़ गुलाबों की रंगत,सुंदर परिचय दे देता है।
4)ससुराल को मान दिव्य मंदिर,दिल से है अपनाया
सास-ससुर को अपने इष्ट-देव के, रूप में बसाया|
5)जिस घर में बहू को,बेटी सा प्यार है मिला करता
ससुराल को जन्नत सा,बनाने का जुनूँ वहाँ दिखता।
6)दोनों तरफ़ से ही है होती,समझदारी जब जहाँ
ससुराल व मायके का फ़र्क,नहीं दिखता फिर वहाँ।
7)माँ पापा जैसा मान-सम्मान,लिए है करने को मन
ससुराल में सास-ससुर को देने,मेरा संस्कारी मन।
8)शादी तो है एक खेल,क़िस्मत का जैसे जुआ
अच्छी ससुराल बढ़िया,नहीं तो जैसे बददुआ।
9)तौर-तरीक़े के सलीक़े यूँ तो,आते है सभी
ससुराल के नाम से,पर भूल जाते है तभी।
10)फ़िल्में हक़ीक़त से दूर,हुआ करती है
ससुराल तो पिया के घर में,हसीं हुआ करती हैं।
11)डाकिये की बाट,ससुराल में बेसब्री से है होती
पिता की चिट्ठी,अश्रुओं की धार बन है बहती।
12)रस्मों रिवाजों की रहती,एक लंबी फ़ेहरिस्त
ससुराल शब्द में,अपेक्षाओं की है बड़ी लिस्ट।
ससुराल पर सुंदर कविताएँ
13)एक ताजगी एक ख़ुश्बू-ए-अहसास,होता महसूस
ससुराल की चाभी बहू को दे,सासू ले सुकूं की सांस।
14)चली हूँ लें ख़्वाबों के संग,सुंदर एक सपना
ख़ुशियों भरा,मनपसंद, ससुराल मिलेगा अपना|
15)घर की रानी का रुतबा होगा,ससुराल में बहू का
हुक्म दे दिन रात सभी अहसास,कराते नौकरानी का।
16)लक्ष्मी मान ससुराल में,स्वागत करने की जुस्तज़ू
मायके से लक्ष्मी लाती रहे,यह कैसी भला आरज़ू।
17)न जाने क्यूँ ससुराल,भेजने की जल्दी है रहती
बंद दीवारों में साँसें,माँ,खुली हवा को हैं तरसती।
18)ससुराल में सास की सोच,बहुत मायने रखती है
बदले की भावना से तो,ज़िंदगी बस कटा करती है।
19)मायके की नन्हीं सी गौर्रिया,एकदम से बड़ी हो गई
ससुराल में हुक्म सुनने की आदी,वो होती चली गई।
20)शादी होते ही बहू से,हर किसी की ढेरों उम्मीदें
पर उसे पराया मान,हर ससुराल अनदेखी उस की है करता।
21)सात फ़ेरे जीवन की दशा,बदल है देते यक़ायक
ससुराल की सोच से ही,मायने पता चलते हैं तब।
22)माँ की जादू की झप्पी,पापा का प्यार से सर सहलाना
ससुराल में जा दिखता,जैसे खोया कोई क़ीमती ख़ज़ाना।
23)छोटी सी ही तो एक तमन्ना,बहू के दिल में रहती
परिवार के हर निर्णय में,सलाह उसकी भी काश! रहती।
24)गीता वाले देश में,अच्छे कर्मों की बात खूब होती है
पर ससुराल में बहू पर ही क्यूँ,लागू हुआ करती हैं।
बेहतरीन ससुराल शायरी
25)कर्तव्य ही ग़र याद हैं,तो ससुराल में मिलती इज्जत
अधिकारों की चर्चा,बेवजह तनाव पैदा में करती शोहरत।
26)बचपन वाले सजीले राजकुमार का,होगा दीदार
मायके से छूटने का दर्द पर उभर आता है,बार-बार।
27)ससुराल की कल्पना,हर लड़की के ख़्वाबों में सजती
पिया संग अपने सुंदर आशियाँ की,उम्मीदें वहाँ पलती।
28)शिक्षित होने और डिग्री धारी,होने में है बहुत अंतर
ससुराल कैसा है,दुल्हन की ज़िंदगी तय होती इसी के अंदर।
29)सारी पढ़ाई लिखाई एक पल में,
ख़त्म ही कर दी जाती है
ससुराल में बात-बात पर मीनलेख,
हर बात में जब निकाली जाती है।
30)ससुराल आ मायके में मन में,
भाभी की कदर ओर बढाई
उन जैसे ही सुघड़ बहू बनने की,
एक कसम मैंने भी खाई|
31)ससुराल न जाने कैसी जेल सी हुई,
मुई! ये तो बंधुआ मज़दूरी सी हो गई
कितना भी दिन रात कर लो काम
चाहते किसी की फिर भी पूरी न हुई।
32)अपना घर अपने माँ पापा को छोड़,
एक लड़की पिया संग सपनें संजोती है
ससुराल आते ही बदले, मौसम के मिज़ाज से,
क़िस्मत को सही मान, दिल ही दिल में रोती है।
33)हर परिवार का परिवेश,वातावरण,
रस्मों-रिवाज थोड़ा अलग तो होता है
ससुराल को माना जब अपना घर,
फिर कहाँ कुछ ख़राब लगता है।
34)सुबह की चक्की की आवाज़,
बहू की शामत समझो आ गई
सास की नाराज़गी सुबह-सुबह,
सरेआम ऐसे ही जता दी गई।
35)रूठने का एक तरफ़ा,रिवाज है जहां
ग़लती ग़र बेटा करे,मनाए उसे ही वहां
ससुराल में जोर सास का,ही है चलता
बहू से नाखुश अगर,सुना फिर कोई नहीं करता|
36)चार बर्तन होते जहाँ,है खटकते कभी कभी
मन न मैला करने की बात, थी बताई सभी
सास को मानना लाडो, अपनी माँ सदा
ससुराल में इज्जत, है वहां मिलती तभी|
बहू की ससुराल के लिए शिकायत भरी शायरी
37)यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते,रमन्ते तत्र देवताः
सदियों से ग्रंथों में,पढ़ा सुना है गया
बेटी के आने पर,मातमी चेहरे हैं दिखतें
पितृसत्तात्मक में क्रूर क्रंदन है खूब सुनते।
38)दूज़े घर की हो अमानत,माँ से सुना
पराये घर से आई हो,सास ने कहा
मेरे हिसाब से है चलना,पति ने हुक्म दिया
दहलीज़ न हो पार,बेड़ियों ने ज़कड़ कर कहा।
39)दादी की लाडो,माँ-पापा की परी,
विदा पर ही अच्छे से समझ जाती है
यह मायका अब हुआ पराया,
नम आँखों से पराए घर चली जाती है।
40)ससुराल का दूजा नाम है जिम्मेदारी
कर्तव्य याद बस रखना,बिटिया हमारी
अपना स्नेह जब सबसे तुम दिखलाओगी
तभी तो सब के दिल में जगह बना पाओगी|
41)लाडो से पली,पापा की परी
सोने के पिंजरे में क़ैद ऐसी हुई
हमारे यहाँ तो यही होता है,
इससे कभी भी आज़ाद न हुई।
42)मायके ने बताया,ससुराल घर है तुम्हारा
सास ने जताया कि रौब चलेगा हमारा
ज़िंदगी भर दिमाग़-दिल से रहा पूछता
आख़िर आशियाँ क्यूँ तय नहीं हुआ तुम्हारा।
43)अपने लिए बहू हर तरह के,
कष्ट झेल ही जाती है
मायके के लिए कोई ताना,
बर्दाश्त नहीं कर पाती है
लाख गहनें भी दिल की चुभन,
नहीं हैं निकाल पाते
ससुराल में अनकही जंग,
के बीज वहीं है डल जाते।
44)डोली में बैठ पिया के संग,
दुल्हन के सपनें सजते हैं
दिल की धड़कनों में,
संगीत के सात सुर बजते है
कृष्ण-राधा की जोड़ीं मान,
मधुर-मधुमास दिखते हैं
इन्द्रधनुष के खूबसूरत रंगों के,
स्वप्निल संसार रचते हैं|
45)घर-गृहस्थी चलने के लिए,
टन भर सहनशक्ति चाहिए
दृढ़ता से रिश्तों को निभाने की
अविरल भक्ति चाहिए
रूठ कर अलग-थलग बैठ,
काम नहीं चलता है कभी
सब को संग-साथ लेकर,
ख़ुशी का माहौल रखना चाहिए|
46)इतने बड़े घर की बेटी हो,
बिन कहे भाव रहता,ख़ाली हाथ नहीं आना
पर जब भी जो आये,उसमें नाकमुँह
फिर भी तरह-तरह के बनाना
अरे!बेटे की बोली सरेआम बाज़ार में,
क्यों नहीं हो लगाते
जिसनें बेटी के रूप में सौंपा अपना कलेजा,
उसे ही हो सताते।
47)ससुराल में माँ की कमी,
बहुत ही ज़्यादा है खलती
सुबहों-से शाम तक,नख़रे सहने की आदत,
रह-रह उठती
बिन कहे मेरे दर्द को जान,गले लगा राहत,
अब नहीं मिलती
रिश्तें तो बहुत है बन जाते,
पर हमराज़ माँ सी नहीं मिलती।
48)अपने घर जाकर ही शौक़ पूरे करना,
मायके से ही सुनती आई
ससुराल को मान अपना,
छोटी सी फ़रमाइश कहने की हिम्मत जगाई
बेग़ैरत सी निगाहों ने सबकी,
अहसास की भाव-भंगिमाएं बनाई
हद में रहा करो,ऐसी बातों की तुम्हें कौन सी थी आदत,
जता दिल को चोट पहुँचाई।
ससुराल के लिए अनमोल रचनाएँ
49)त्यौहारों का बेसब्री से इंतज़ार,
पहले ऐसे नहीं कभी किया
मायके में सबसे मिलने को,
दिल बैचैन भी ना ऐसा हुआ
बहन भाइयों से लड़ने-झगड़ने की,
बातें का ज़िक्र भी नहीं किया
ससुराल में आने पर ही,
इन सब जज़्बातों का सैलाब ख़ुद ही हुआ।
50)माँ की नसीहतें रह-रह कर,
याद ससुराल में खूब आती हैं
घर के कामों को सिखाने की बात भी,
अच्छे से समझ आती है
चाहे कितने भी बड़े ओहदे पर,
हो आसीन बहूरानी
घर आकर चाय-ख़ाना बनाने की ज़िम्मेदारी,
उसी की ही मानी जाती है।
51)ससुराल में बहू होने के मायने का अर्थ,
अब खूब अच्छे से समझ आए
दिल गमग़ीन होते भी
लबों पर मुस्कान का हुनर भी ख़ुद ही आ जाए
ख़ातिर-तवज्जों में किसी की भी कमी,
किसी भी हाल न कम हो जाए
उम्रदराज़ बहू भी नवेली बहू सी ही बस,
दिनरात रसोई में नज़र आए।
52)बारिश में भीग,बाहर से आकर
तुलसी अदरक की चाय,याद आती है
ज़रा सी तबियत बिगड़ने पर,
सरदर्द पर मालिश दिल को तड़पाती है
सुबह की अलसाई नींद में,
फिर से सो जाने की तलब सताती है
ससुराल में मायके की हर छोटी बड़ी बात,
पलकें नम कर जाती है।
53)ससुराल में अपने होने का अहसास,
शबो-रोज़ कराना है होता
अपनी उपस्थिति क़ायम करने के लिए,
जज़्बा दिखाना है पड़ता
सच्चे दिल से ननदों को बहन,
देवर को भाई मानना है होता
सास में माँ व ससुर जी में पिता जैसा मान,
है जताना होता।
ससुराल पर कविता यानि भारतीय परिपेक्ष में आमतौर पर रोजमर्रा की घटनाओं को शब्दों में ढाला है| Poems:In Law’s House में कुछ गंभीर,कुछ फनी और कुछ एक नयी सोच को जगाती हुई रचनाएँ हैं|पढ़िए जरुर और COMMENT BOX में अपनी राय भी बताइये जरुर|
रास्ता था लम्बा, मुश्किलें थी क्रूर
दिल में लेकिन मशाल जला कर चली आयी मैं इतनी दूर।