बिखरे परिवार पर शायरी लिखना मानों समाज की पीड़ा को उजागर करने जैसा है|आज हर परिवार में बिखराव है आपसी सवांद का न होना और सिर्फ अपने लिए ही सोचना एक परम्परा सी बनती जा रही है|
बिखरे परिवार पर कविताएँ लिखने का मकसद समाज में एक नवचेतना लाने की कोशिश भी है|
पढ़ना न भूलें
|अधूरे रिश्तों पर प्रेरक शायरी|
बिखरे हुए परिवार पर शायरी,है कोशिश यही एक,बढ़े आपसी भागीदारी
बिखरे परिवार पर रचनाएँ| 61 कविताएँ सोचने को विवश कराएँ
1)कटु सत्य आज का, बिखरा हुआ है हर परिवार
कहते सभी पर करने क्या,नहीं कोई सोच विचार|
2)वृह्द्द परिवार इतिहास में, हो गया अब दर्ज
अधिकार चाहते सभी,भूले अपने-अपने फर्ज|
3)एक सोच होती थी, सुंदर साथ की पहले
बिखरे परिवार ने आस तोड़ी,अब मैं पहले मैं पहले|
4)पैसों की अन्धाधुंध दौड़ में, रिश्तें नाते छूट गए
होश आने से पहले ही,परिवार पर बिखर गए|
5)वर्चुअल दुनिया ने अपने आगोश में, सब को ऐसा लिया
गैर लगने लगे अपने,अपनों ने अपने घर को ही भूला दिया|
6)बज्मे-इश्रत कभी घर की बैठकों में,सजने का नहीं रहा
मसरूफ है इतना व्यक्ति,दौर हंसने का भी नहीं रहा|
(बज्मे-इश्रत=ख़ुशी की महफ़िल)
7)डाकिये को तकती थी, जो आँखे इंतजार में
अब तो कौवा भी नज़र मुंडेर पर,नहीं कहीं आता|
8)हिचकियाँ बेतहाशा किसी के आने का,अंदेशा पक्की थी होती
परिवार ऐसे बिखरे कि दूर-दूर तक,कोई खोज खबर नहीं आती|
9)ख्वाबों को पूरा करने में, परिवार सारा लग जाता था
अब क्या हैं सपनें,बताने में शर्मिंदी न जाने क्यूँ है होती|
10)तिनका-तिनका जोड़ सारी उम्र,जिन के लिए लगा दी
ओल्ड फैशन बता आशियाना नया,नयी राह अपना ली|
11)दुःख इस बात का नहीं,दूर तुम अब रहने लगे
तीज- त्यौहार की रौनक में भी, एक दूरी बनाने लगे|
12)बिखरे परिवार में दिल को परेशां, करती तनहाइयाँ
नश्तर सी चुभती सुइंयाँ,खता क्या हुई,क्यों ये हैं खामोशियाँ|
बिखरे परिवार पर दर्द भरी रचनाएँ
13)ताउम्र एक-एक मोती को चुन,थी बनाई नायाब माला
पल में बिखरा परिवार,आंधी को जोर नहीं था पर इतना|
14)घने बादलों ने आशियाँ को,कुछ इस तरह से घेर लिया
नाज था जिन पर,उन्होंने पल में ही अस्त्तिव इसका मिटा दिया|
15)बिखरे परिवार की सिसकियाँ,यूँ तो कोई न सुन है पाता
दरवाजों को खोलने में भी,सन्नाटा ही हर ओर है पसरा दिखता|
16)धूल की गर्त जम जाती है, अक्सर,उन रोशनदानों पर
जहाँ कभी थे हंसी ठहाकें,अब वीरानगी पसरी अलावदानों पर|
17)बिखरे परिवार की दास्ताँ, घर-घर में है दिखती अब
जिन्दगी है आरादायक,पर आनंद के अनुभूति गायब है अब|
18)गर्मियों की छुटियाँ और बच्चों के आने का इंतजार
आँखें पथरा सी जाती हैं,नौनिहाल व्यस्त रहते बेशुमार|
19)महफ़िलों में दिखते हैं, वो ही लोग अक्सर
परिवार बिखेर जाते हैं, जिनके वेवजह अक्सर|
20)कटु सत्य घर-घर का, हो चला है आज
परिवार नेमप्लेट पर ही बचा है,उसका नाम|
21)विशाल दरख्त भी, टूट कर सूख जाते है
अपने नन्हें बच्चे, जब जल्द बड़े हो जाते हैं|
22)अपनी जड़ों से दूर,ओराक़-ए-,शजर औरों के भाने लगे
परिवार बिखरा कुछ ऐसा,दूर से ही पीले पत्ते नज़र आने लगे|
(ओराक़-ए-,शजर=पेड़ के पत्ते)
23)जीवन मे कसरते-गम की कसक,होती है सबको
परिवार बिखरा क्यूँ जानने की, ललक नहीं किसी को|
(कसरते-गम=दुःख की अधिकता)
24)गिरफ्तारे-कफ़स सी, होती जा रही है जिंदगानी
बिखरे परिवारों की बनती, जा रही एक सी कहानी|
(गिरफ्तारे-कफ़स=पिंजड़े का कैदी)
बेस्ट बिखरा परिवार quotes
25)जो दिल से जुड़े हो,उन पर ऊँगली न कभी उठाइए
बेआवाज़ टूट जाते हैं रिश्तें,फिर बाद में न पछताईए|
26)अपने ही घर में, एक अजनबीपन सा लगता है
परिवार में हल्का सा बिखराव,दूर बहुत करता है|
27)हर वक्त सिर्फ अपने लिए ही,सोचना कभी अच्छा नहीं होता
नाजुक से रिश्तें गर बिखरे, तो फिर जोड़ना बहुत मुश्किल है होता|
28)औरों के किस्से सुन, हैरान बहुत होता था
खुद एक किस्सा बन जाऊंगा,ऐसा सोचा न था|
29)बिखरे है अपने ही जिगर के टुकड़े,क्या हो गया यह चलन
कुछ भी कहने से पहले अब,कितना सोच-विचार करता है मन|
30)हर खुशबू से अपनों को, एकदम पहचान लेता था
लगता है इत्र अब उम्दा,बाजार में मिलता ही नहीं|
31)इतनी भीड़ मधुशाला में, दिखती है कुछ ज्यादा
अपनों को समझने में काश,थोडा वक्त लगा देतेज्यादा|
32)अहम् से हुई है सबकी जिन्दगी- ख्वार
जिधर देखिये,हरओर बिखरा हुआ है परिवार|
33)हर किसी से जिन्दगी,जीने की बात करता हूँ
परिवार बिखरा है,कहने में मगर अंदर से डरता हूँ|
34)परिवार की अहमियत की समझ,एक उम्र गुजरने पर आती है
पर क्या करिए तब,बिखराव, अपना असर तब छोड़ जाती है|
35)नफ़स दर नफ़स जिन्दगी तो जी रहें है
अपनों की कसक मगर दिल में रखें हुए हैं|
(नफ़स दर नफ़स=हर साँस के साथ जुड़ा हुआ|
परिवार टूटने पर शायरी
36)बिखरे परिवार का गम,जीवन को न यूँ जीने देगा
खुशियाँ जब आएगी,संग न अपनों का,जश्न न होने देगा|
37)दीवार पर सजी तस्वीरें,खामोश हो गई है अब
परिवार जब एक था,खुद ही खुद बोलती थी तब||
38)हर संभव की कोशिश,मर्यादा को सदा निभाया
गैरजिम्मेदारी की आदत ने, पल भर में सब गवांया|
39)जब दोस्त मान दिले हाल को,ब्या सारा क्या किया
तिनका सा बिखरा घर,एक पल उन्होंने जाया नहीं किया|
40)जब आपसी सवांद में होने लगे दूरी,बन जाता ये आधार|
समझ लीजिये है यह शुरुआत,परिवार के बिखरने के आसार|
41)शब्द हो निशब्द,बिखर जाते है सारे ही जज्बात
परिवार संग न हो तो ख़ुशी का भी,नहीं होता अहसास|
42)चलो अपनों के बिखरे हुए जज्बात,सम्भालते हैं
थोडा सा झुक के मिलने का, कोई कारण निकालते हैं|
43)एक ऊँचा मुकाम,हासिल तो कर लिया
बिखरे परिवार का गम, मगर रुला मुझे गया|
44)कठोर शब्दों को बोलने में, की जो हड़बड़ी
बिखरने में परिवार के फिर, होगी ही होगी गड़बड़ी|
45)अपनों से लड़ाई कैसी भी हो,झुक जाना चाहिए
पर कोई इरादतन नीचा दिखाए,तो फिर हट जाना चाहिए|
टूटते रिश्तें शायरी इन hindi
दिल गर दुखा हो बहुत तो सब्र,थोडा तब कर लीजिये
जुबां से निकले अल्फाजों को,वश में अपने रखा कीजिये|
46)बिखरे परिवार का दर्द लिए,
अकेले ही हूँ घूमता,सह न पाउँगा
डरता हूँ जिक्र किया किसी से गर
शायद खुल के भी कह न पाउँगा|
47)जिन्दगी में जब हार महसूस है होती
यानि अपनों का साथ छूटा हुआ है
आगे बढ़ कर हाथ उनका थाम लेना चाहिए
जीवन की पंगडंडी पर साथ चलना चाहिए|
48)रिश्तें सवारनें में पहल दोनों तरफ से
होनी तो जरुर चाहिए
पहल खुद कर समझदारी की ताजपोशी
खुद कर लेनी चाहिए|
49)बिखरे हुए पारिवारिक रिश्तों में,
अचानक से पहुचं जाना
संजीवनी बूटी सा काम करेगा
ऐसा सोचा भी न था अब जाना|
50)बिखराव की बात गले से, नहीं थी उतर रही
बस नज़रें झुका के, कुछ कहना चाहा था जैसे ही
वो मेरे अपनें ही तो थे, जन्म से ही सदा साथ साथ
अश्रुधार बह निकली इधर भी और उधर भी,साथ साथ|
51)वक्त बेदर्द बन कब सामने आ जाए
परिवार में बिखराव कब किस रूप में आएं
कल तक मिसाल जिनकी दी जाती थी शौक से
वो ही एक दिन चर्चाए-आम लोगों में बन जाएँ|
52)नए दोस्त की शक्ल में,वो रहगुजर से जब दिखे
गम को दूर करेंगे,ऐसे जादूगर से जब लगने लगे
नशा कुछ ऐसा फिर सिर चढ़ कर जब बोलने लगे
परिवार बिखरने को हैं,आसार जब ऐसे दिखने लगे|
53)हंसी में दर्द की उदासी, अब छाने को है
सफल बहुत हैं पर तन्हाई, डेरा ज़माने को है
बेबात भी हंस के दाद देना,अब आम आदत हुई
परिवार संग नहीं है,परछाई भी दूर भागने को है|
54)महफिले परिवार के संग ही, बहुत अच्छी लगती है
दर्द के वक्त कंधें पर रखी, हाथ की तसल्ली जोश देती है
प्रयास इतने ज्यादा होने चाहिए, बिखराव न हो पाए कभी
दुःख में भी सुख की उपस्थिति ही, स्वयं दर्ज हुई होती है|
55)उसूलों पर टिके रहना, बेशक जरुरी होता है
पर उसके लिए जिद दिखाना,रिश्तें कमजोर करता है
घर के बुजुर्ग जब सलाह, कोई दिया करते हैं,ऐ-दिल
उस वक्त अपनी ही चलाना,नासमझी की हद करता है|
Hurt दर्द भरी शायरी
56)बाहर की दुनिया में गलती की, कोई नहीं होती गुंजाईश
जरा अपने दिल की करने की सोचिये,होंगी बहुत फरमाइश
परिवार क्या होता है,जीवन की ठोकरे ही बताया करती हैं
बिखराव आ तो जाता है,सुलझाने में मौका नहीं दिया करती है|
57)हर सफलता हर कामयाबी बनती है
परिवार हो जब संग साथ साथ
बिखरे अगर तो सोचिये फिर शांत मन से
किसके साथ मनाएंगे अपनी जश्न भरे जज्बात|
58)बिखरने के बाद, परिवार की याद आती है जब
तीज-त्यौहार के पकवान की, मिठास याद दिलाती है
मन करता है वो ही हो जाए, काश फिर से मेल-मिलाप
देर न कीजिये,नक्श-ए-पांव बढ़ा,कीजिये सुंदर आगाज़|
59)बिखरा परिवार अंदर से, खोखला है कर देता
तस्वीर में हँसता हर चेहरा, उदास दिखा है करता
मीठी चाशनी में घुलते हुए,उन शब्दों से बचिए जरुर
तारीफों के पुल बांध कर, देते है जो आपको मगरूर|
60)छोटी सी बात थी,पर दिल चोट खा ही गया
अकड़ में भूल-भाल सबको, झटके में छोड़ आ ही गया
गैरों की नज़रें इनायत रही,सिक्के थे जेब में मेरे जब तलक
परिवार ने ही संभाला मुझे,उम्मीद से बढ़ कर अब तलक|
61)जीवन में परिवार,ईश्वर की एक सुंदर सौगात है
बना कर भेजा एक जगह,सबसे खूबसूरत उपहार है
धन-दौलत,हीरे मोती,ऊँचे पद का रहता न कोई अर्थ
परिवार में बिखराव है तो जीवन में सब कुछ है व्यर्थ|
बिखरे हुए परिवार पर शायरी को पढने पर,अगर किसी का भी दिल अपनों से मिलने को मचल जाएँ तो यह इस ब्लॉग की सफलता होगी|दिल से लिखी बिखरे परिवार पर शेरो-ओ-शायरी पढ़िए जरुर| COMMENT BOX आपकी राय जानने को उत्सुक है|
रास्ता था लम्बा, मुश्किलें थी क्रूर
दिल में लेकिन मशाल जला कर चली आयी मैं इतनी दूर।