फौजी की छुट्टी पर शायरी यानि देश के प्रहरी का अपने घर जाने के उत्साह को बताती है|माँ बाबा,बहन भाइयों व अपनी पत्नी व् रोज राह निहारते बच्चों को देखने की उमंग किसी से नहीं छुपती है|
फौजी के मन की उमंग भी बस देखते ही बनती है|बड़े प्यार से यह ब्लॉग उन्हें समर्पित है|
फौजी की छुट्टी पर शायरी,अपनों से मिलने की होती पूरी तैय्यारी
सैनिक के अवकाशकाल पर कविताएँ | 69 भावपूर्ण रचनाएँ|
1)लो जी ग़ज़ब बात,आज तो हो गई
फ़ौजी की छुट्टी,तुरंत ही पास हो गई।
2)माँ-बाबा से मिलने की,तलब है बहुत देर से लगी
छुट्टी की अर्ज़ी थी भेजी,मंज़ूर होने में देर न लगी।
3)आज अपनी जननी से मिलने,अपने गाँव जाऊँगा
आशीर्वाद ले कर उनका फिर,नयी उमंग जगाऊँगा।
4)बज्मे-इश्रत दोस्तों की,फिर से जमेगी
छुट्टी मिल गयी,सबके संग दावतें रहेंगी|
(बज्मे-इश्रत=ख़ुशी की महफ़िल)
5)गज़रे की महक सजनी की, बुलाती है रह-रह कर
बाट जोहती रहती है मेरी,पूछती है कब आओगे घर।
6)सुन छुट्टी की मंज़ूरी,फ़ौजी की तबियत खिल गई
नन्हें बच्चों सी,शरारत चेहरे पर मचल-मचल गई।
7)वक्त आज लगता है, कुछ ज्यादा ही बढ़ गया
छुट्टी क्या मिली,फौजी का वक्त काटे ना कटा|
8)माँ के आँचल की ठंडी छाव फिर मिल जाएगी
कर रही इंतजार वो भी,दहलीज पर ही मिल जायेगीं|
9)गाँव की चौपाल की, वो जोरदार चर्चाएँ
छुट्टी की सुन करते, मेरे लिए प्यारी सदाएं|
10)खेत-खलिहानों की हरियाली, याद आ रही है
छुट्टी ले कर अब वहीँ से, गुजरने की बारी आ रही है|
11)अकेले में बैठ घर की,बहुत याद आती है
छुट्टी हुई अब,जाने की सोच और ज्यादा आती है|
12)सुन छुट्टी की बात, खिलते फ़ौजी के जज़्बात
अरसा बीता मिले सबसे, जम के करेंगे अपनी बात।
13)माँ का हूँ लाडला,मेरा राजा हीरो कहती है
छुट्टी की सुन खबर, हर वक्त राह तकती है|
14)छुट्टी तो बस छुट्टी ही,दिल को मोहती होती है
क्या फौजी क्या कोई ओर,सबको अच्छी लगती है|
15)सुन सरहदों पर शोर,माँ का दिल घबरा जाता है
छुट्टी मिली बेटे को,सोच मिलने को खुश हो जाता है|
फौजी की छुट्टी status
16)छुट्टी एक फौजी की, बहुत कीमती होती है
अमन रह पाए जब देश में,तभी मंजूरी होती है|
17)कुछ दिन की छुट्टी, जो फौजी को ऐसे मिल गयी हैं
घर वालों को तो जैसे, मनचाही ख़ुशी ही मिल गयी है|
18)फ़ौजी के तीज त्योहार,सारे साल के होंगे अब
धूमधाम से जश्न मनायेंगे,छुट्टी पर आयेंगे जब।
19)जब जब देश पर,अचानक कोई भी ख़तरा मंडराया
छुट्टी लेने से पहले,मोर्चे पर जा दुश्मन को फिर डराया।
20)फौजी बन कर, जिम्मेदारी के मायने समझ आए
छुट्टी पर जाकर,घर के असली मायने अब समझ आए|
21)नन्हीं मेरी परी,कब से मिलने की ज़िद थी कर रही
खुश हो जाएगी देख मुझे,ख़ुशी मुझे भी मिल है रही।
22)ख़त पाकर अपनों का मन होता था, मिलने को व्याकुल
दूरी एक फौजी से पूछो,छुट्टी मिलते मिलने को हो आकुल|
23)जानते है हमारी सजनी, कुछ तुम नहीं हो जताती
छुट्टी फौजी को मिली तो,घूमाने की बात याद है आती|
24)घर में इंतज़ार करती सब निगाहों को,महसूस करता हूँ
छुट्टी मिलने पर ही,मिलने की सबसे उम्मीद रखता हूँ।
25)देश के लिए राखी की पुकार को भी,था किया अनसुना
छुट्टी मिली है अब,त्योहार पूरे जश्न से मनेगा,सुन प्यारी बहना।
26)भारत माँ को दिलोजान से अपनी,करते हैं फ़ौजी न्योछावर
छुट्टी मिले तो जननी से भी,मिलने को होता है मन आतुर।
27)क़रीबे-मंज़िल थी,पर थे घर के लोग बेख़बर
फ़ौजी को छुट्टी पर अचानक देख,चेहरे पर आया नूर|
28)क्षितिज के उस पार,घर जाने को मन करता है
बस छुट्टी मिली फ़ौजी को जब,तैयारी करता है।
29)प्रतीक्षा की रात्रि कुछ और ज़्यादा,बढ़ी बढ़ी थी लगी
छुट्टी की फ़ौजी को जैसे मिलने की,खबर उस दिन थी मिली।
30)डोर-ए-सांस में याद माँ की,बहुत ही ज़्यादा आ रही थी
चमत्कार हुआ ऐसा उसी दिन,छुट्टी की खबर तभी ज्यों मिली थी।
Best फौजी छुट्टी कोट्स
31)एक लम्बा अरसा बीता बहनों से,
राखी ना बंधवा सका
पूछती है हंस कर,भाई फौजी,
आया जा,अब ओर न तरसा|
32)यूँ सरहद पर साथियों को,
छोड़ जाने को मन रोकता है
पर छुट्टी ले घरवालों के लिए,
करने का फर्ज भी बनता है|
33)कश्मकशे-फ़िक्रों-ख़्याल,
फ़ौजी का दिन रात चलता रहता है
छुट्टी है ज़रूरी,
घर वालों से मिलने जाने को दिल भी तड़पता है।
34)दुश्मन का सिर काटने का,
जिगर फ़ौजी हर एक रखता है
पर अपने मासूम बच्चे की याद में,
मगर चुपचाप रो भी पड़ता है।
35)बच्चा हो या बड़ा
घर में सबसे बतियाना अच्छा लगता है
फ़ौजी तो छुट्टी मिलने पर ही,
ये अरमान पूरे कर सकता है।
36)माँ की याद बहुत आने पर,
आंसुओं को पोंछ लेते हैं
फ़ौजी छुट्टी की ग़र हो जाए मना,
दिल को समझा लेते हैं।
37)जी तोड़ मेहनत का जज़्बा लिए,
मोर्चे पर रहते फ़ौजी डटे हुए
छुट्टी पर घर में भी,रहते चौकन्ने,
आंतरिक दुश्मनों को देखते हुए।
38)कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी और हिमालय से
दक्षिण छोर तक
छुट्टी पर जाते फ़ौजी तभी,
सुरक्षित हो देश जब हर मोड़ तक।
39)यूँ छुट्टी लेकर घर जाकर,
मिलने को रहता है फ़ौजी का मन
पर आँच देख आती तिरंगे पर
,तत्पर पहले वहाँ होता उसका मन।
40)माँ भारती की सेवा में फ़ौजी ने पूरी शिद्दत से,
किए थे सभी पूरे वायदे
छुट्टी मिलने पर गाँव जाने की सोच,
मधुर बजने लगे दिल में सभी बाजे।
41)पहिया-ए-काल न रूकता है कभी,
न ही कभी भी रुकेगा
छुट्टी मिली है मिल सबसे आऊँ,
फिर न जाने कब मौक़ा मिलेगा।
42)सरसों का साग और मक्के की रोटी की,
तैय्यारी हो गयी होगी
छुट्टी की सुन बच्चों की लम्बी फरमाइशों की,
फेहरिस्त बन गयी होगी|
43)जननी और मातृभूमि,
दोनों के लिए जान हर वक्त रहती तैयार है
छुट्टी फौजी को मिलती है जब,
जननी से मिलने को होता बेकरार है|
44)मोर्चे पर घर की परवाह नहीं,
किया करता है कभी कोई फ़ौजी
बंकर में बैठा अकेला,
छुट्टी पर कब जाएगा घर,सोचता फ़ौजी।
45)दरवाज़े पर कुंडी की आवाज़,
जानी पहचानी थी,माँ के दिल ने कहा
उठ के देखा उसका फ़ौजी बेटा ही,
छुट्टी पर आया हुआ था।
फौजी की छुट्टी पर भावुक रचनाएँ
46)मुलाक़ाते-नागहाँ अपनी सजनी से,
फ़ौजी ने सोचा,कुछ इस तरह
छुट्टी की खबर नहीं देंगे,
मिलेंगे रूबरू जाकर,हैरां करेंगे इस तरह।
(मुलाक़ाते-नागहाँ =अचानक भेंट)
47)युद्ध की रणभेरी में बीमार माँ को,
देखने भी ना जा सका था
शिक्षा तुम्हारी थी,मातृभूमि के लिए जो,
छुट्टी मिली तो अब ना रुक सका।
48)तिरंगे की बनाने शान,
फ़ौजी हर हाल हर वक्त मुस्तैद रहता है
गोशाए-ख़्याल में छुट्टी मिलने पर,
सबसे मिलने की चाहत भी रखता है।
49)देश के रखवाले है,
वतन को बहुत ज़्यादा,दिल से करते है प्यार
फ़ौजी हूँ,छुट्टी मिलने पर,
रहता हूँ मगर अपनों से मिलने को भी बेक़रार।
50)कर्तव्य की डोर देश सेवा में,
मज़बूती से बंधी होती है
छुट्टी फ़ौजी को मिलने पर भी,
निगाहें सरहद पर होती हैं।
51)छुट्टी की खबर सुन फ़ौजी को,
गाँव की ख़ुशबू आती है याद
लहलहाते खेत जिनमें,
पिता की मेहनत से खिलखिलाते हुए ख़वाब।
52)छुट्टी फ़ौजी की न हो नामंज़ूर,
घर में सब करते हैं दुआएँ
कितने दिनों के बाद आने का बना सिलसिला,
बस जल्दी से आए।
53)फ़ौलादी जिगर और शेर सी हिम्मत,
रखता है एक फ़ौजी
छुट्टी की सुन,एक बेटे और पिता के दिल सा,
करुणा भाव है एक फ़ौजी।
54)एक अरसा बीतता है,
तब होती एक फ़ौजी की छुट्टी की मंज़ूरी
पर देश संकट में सेवा पहले,
नहीं लगती कोई तब मजबूरी।
55)माँ बाबा के आपके अकेलेपन का,
दर्द खूब समझता हूँ
फ़ौजी छुट्टी मिलते ही,आऊँगा मिलने,
वायदा मैं करता हूँ।
सैनिक की छुट्टी पर सुंदर कविताएँ
56)माँ की याद आते ही नखरे करने भी,
खुद आ जाते है
छुट्टी मिली है अब,मिलेंगे पकवान,
मिलने की ललक बढ़ाते है|
57)छुट्टी फ़ौजी को जैसे ही मिलने की,
खबर ज्यों ही लगती है
नन्हीं गुड़िया के लिए,
एक गुड़िया लेने को उमंगें मचलती है।
58)माँ भारती सुनो न! एक फर्ज,
जननी के लिए भी पूरा करना है
छुट्टी से आकर आपकी सेवा में रहूँगा,
वायदा ये भी करना है।
59)जिस माँ ने तिरंगे की इज्जत करना
,हमेशा सिखाया है
छुट्टी में जाकर उनकी सेवा करना,
मुझे भी भाया है।
60)अदम्य शौर्य और साहस से फ़ौजी,
हर जगह पहचाने जाते हैं
छुट्टी मिलने पर जहाँ से भी गुजरे,
अपनी छाप छोड़ जाते हैं।
61)एक नया जोश एक नयी ऊर्जा का
अहसास हो जाता है
फ़ौजी का मन भी छुट्टी की सुन,
अपनों से मिलने को तड़प जाता है।
62)पहाड़ों के छोटे-छोटे से बंकरों में,
मन की बातें लिखता हूँ
छुट्टी मिली है अब सब के साथ,
शेयर करनी की चाह रखता हूँ|
63)छुट्टी कुछ दिन की ही हैं,
बहुत कुछ करके आना है
फौजी को घर के सारे दायित्त्वों को भी,
आखिर निभाना है|
64)इंतज़ार फ़ौजी की छुट्टी का,
हर घरवाला है करता
तरसती निगाहें देखती राह,
तीज-त्योहार सब फिर मनता।
65)सुन पंछी जा जाकर संदेश,
मेरी माँ को दे देना
छुट्टी मिल गयी अब तो,
आँखों को तसल्ली दे आना।
66)न हम हिंदू न मुसलमान,
सैनिक की वर्दी धारी है होती
छुट्टी मिलने पर भावनाएँ भी हमारी,
एकदम वैसी ही हैं होतीं।
67)छुट्टी कुछ दिन की ही हैं,
बहुत कुछ करके आना है
फौजी को घर के सारे दायित्त्वों को भी,
आखिर निभाना है|
68)बर्फीली हवाएँ न डाल सकी,
मेरा हौसला में कभी भी ख़लल
माँ के ख़त ने मुझ फ़ौजी के दिल में
मगर कर दी है हलचल
माँ भारती की रक्षा हेतु,
अलख सेवा करने की तुम्हीं ने थी जगायी
परेशान नहीं होना,
छुट्टी मिलने की है आज ही अर्ज़ी है लगायी।
69)बात छुट्टी की नहीं,
पर अपनों की याद आती है
मिलने की तड़प भी,
तब एकदम से जाग जाती है
माँ बाबा बहन भाइयों से मिले,
हुआ एक अरसा
पत्नी बच्चों के ख़त पढ़,
देखने को मन है तरसा|
फौजी की छुट्टी पर शायरी लिखना एक बहुत ही प्यारा अहसास होता है| एक फौजी को अवकाश बहुत ही मुश्किल से मिल पाता है क्योंकि सरहद की रक्षा हेतु बहुत बार छुट्टियाँ रद्द हो जाती हैं|ऐसे में जब holidays मिलती हैं तो कदम अपनों से मिलने को दौड़ पड़ते हैं|
दिल से लिखी सैनिक की vacations पर शायरी पढियेगा और COMMENT BOX में अपनी राय लिखियेगा भी|
रास्ता था लम्बा, मुश्किलें थी क्रूर
दिल में लेकिन मशाल जला कर चली आयी मैं इतनी दूर।