माँ का आत्मविश्वास कैसे बढ़ाएं,यह बात जेहन में आने की सुंदर भावना ही बेहद प्यारी है।माँ हमारी प्रिय जननी हमेशा हमारा मनोबल बढाती आई है और अब बारी बच्चों की है कि वो माँ के आत्मविश्वास को फलक की ऊँचाइयों तक पहुँचाने में आगे बढ़ें।
विश्वास से आत्मविश्वास के सफर पर चलते हैं,माँ को नए जहाँ से रूबरू करते हैं।
(ब्लॉग के अंत में दी गई कविता को एक बार जरुर पढ़िए,एक सुकून मिलेगा)
माँ का आत्मविश्वास कैसे बढ़ाएं,हर हाल साथ दें,स्पेशल महसूस कराएँ
माँ का आत्मविश्वास कैसे बढ़ाएं पर 63 अनमोल उपाय
1.
आत्मविश्वास असल में एक मानसिक और आध्यात्मिक शक्ति है
रामचरितमानस में तुलसीदास श्रद्धा और विश्वास को उमा और शिव का रूप मानते हैं।भवानी शंकरों वन्दे श्रद्धा विश्वासरूपिणौ यानि शंकर विश्वास हैं और भवानी श्रद्धा मतलब आत्मविश्वास।इन दोनों की कमी से मन को न शांति मिलती है और न ही मनवांछित परिणाम।
जीवन को सुंदर तरीके से जीने के लिए जब कोई भी कर्म किया जाता है तो वह अपनी आंतरिक शक्ति यानि आत्मविश्वास से ही संपन्न हो पाता है और माँ को यही याद दिलाना है।
2.
खुद को श्रेय देना सिखाएं
छोटी छोटी सी बातें भी न जाने कितनी खुशियाँ ले आती है। माँ सुबह से शाम तलक तक ढेरों व्यंजन बनाती हैं तो कभी किसी के आने पर घर की अलग सी सजावट करती है। सब जब खुश होते हैं और माँ मुस्कुरा कर रह जाती हैं। अब जब भी कोई अच्छी सी बात हो ,जैसे उनहोंने योग की मदद से अपना वजन कम किया है तो खुद को एक छोटा सा गिफ्ट दें। माँ का आत्मविश्वास ऐसा करने से बढ़ेगा।
3.
दुनिया में वो सबसे स्पेशल हैं,अहसास कराएँ
माँ के आत्मविश्वास को बढ़ाने के लिए हृदय से यह भाव जताना और अहसास कराना बहुत ही ज्यादा अहम् है कि वो अपने घर में और अपने बच्चों के जीवन में एक प्राथमिकता हैं।बच्चे जब माँ को स्पेशल महसूस कराते है वो क्षण किसी भी माँ के लिए अविस्मरणीय बन जाता है और यह बात उनके आअत्म्विश्वस को एक नए शिखर पर ले जा सकता है।
4.
खुद पर भरोसा करने में मदद करें
Believe on yourself.यह बात माँ भी हमें सिखाती थी पर समय के चलते शायद खुद भी कहीं न कहीं भूल रहीं हैं।माँ को फिर से याद दिलाना होगा कि आप पहले खुद पर भरोसा करें।स्वयं की शक्ति को जान कर वह आत्मविश्वास से भर जाएँगी।
आत्मनिर्भर बनाने में पूरा साथ दें
समय के साथ आज सभी महिलाएं आत्म-निर्भर होना चाहती हैं। माँ भी ऐसा चाहती तो है पर खुल कर अपनी भावनाएं व्यक्त नहीं कर पाती हैं।उनकी पढाई के अनुसार या किसी खास क्षेत्र में उनके हुनर के हिसाब से उन्हें आगे बढ़ने के बारे में जानकारी दी जाई जा सकती है।परिवार में अपना योगदान देने की बात से वो आत्मविश्वास से भर जाएगी।
6.
बहुत ज्यादा सोचने की आदत से बचें
आज सारी दुनिया ही ओवेर्थिन्किंग की आदत से न जाने कितने तरह के मानसिक अवसाद से परेशां है,जिनमे माँ भी है। हर बात को लेकर इतना ज्यादा सोचती है कि उसके ख्याल से ही वो इस हद तक खुद को इतना दुखी कर लेती है और जबकि वास्विकता में ऐसा कुछ होता ही नहीं हैं। इस आदत से माँ को बचाना और इस पर खुल कर बात करना और इससे बाहर निकलने में उनका साथ दें।माँ स्वयं ही आत्मविश्वास से भरी होंगी।
7.
मन को शांत रखवाने में ध्यान दें
माँ क्योंकि अपने मन की बात अक्सर किसी से भी शेयर नहीं करती हैं ताकि बाकि लोग परेशान न हों,पर यदि माँ खुद चिंतित है या चुप-चुप है तो यह तो कोई अच्छी बात नहीं है। उनकी बात को सुनें, ध्यान देकर सुनें और उनके मन को शांत करने में निर्णायक भूमिका भी निभाएं ताकि वो वह फिर से प्रफुल्लता से जीवन को जी सकें।
8.
अपनी अंतरात्मा की ही सुनें
घर एक ऐसी जगह है जिसमें अनेक व्यक्तियों का समूह भी है और सबकी अपनी-अपनी विचारधारा भी है।माँ कई बार यह सोच कर निर्णय नहीं ले पाती कि कहीं किसी को कोई ठेस न पहुँच जाएँ। माँ को भरोसा दिलवाएं और उन्हें अपने निर्णय अपनी अंतरात्मा से चुनने को कहें। यह बात उनके आत्मविश्वास को बल देगी।
9.
कठिन समय में दृढ़ता से साथ दें
जीवन में उतार-चढ़ाव आते ही रहते हैं। कोई भी असका अपवाद नहीं है।माँ ने हमेशा बच्चों का हर हाल साथ दिया है।आज जब वो थोड़ा कठिन वक्त से गुजर रही है तो बच्चों को आगे बढ़ कर उनका साथ एक अडिग चट्टान की भांति देना चाहिए ताकि वो हिमत से सामना कर पाएं और यही जज्बा उन्हें स्वयं ही आत्मविश्वासी बना सकेगा।
10.
उनके गुणों से परिचित कराएँ
ईश्वर की सबसे अनुपम कृति हैं माँ।रूप्यार्ड किपलिंग के अनुसार – हर घर में ईश्वर नहीं रह सकते हैं और इसीलिए उन्होंने हर घर में माँ को दिया है।आज वही माँ अपने अनमोल गुणों को न जाने क्यों भूली सी हैं।समय आया है कि उनकी खोई हुई शक्ति यानि उन्हें उनके नायाब गुणों से परिचित करवा कर प्रसन्नता से भर दें।अपने भूले गुणों को पाकर वह खुद ही अपने लिए एक सशक्त मार्ग तय कर लेंगी।
11.
वो खुश रहें,इस बात का ध्यान रखें
घर-गृहस्थी के अनवरत कार्यों में उलझी माँ इतनी व्यस्त रहती हैं कि खुश रहना भी होता है,भूल जाती हैं। आवाज़ दो तो मुस्कुरा देंगी पर अक्सर एक ख़ामोशी का लबादा ओढे हुए दिखती हैं।यह बच्चों की जिम्मेदारी है कि माँ को खुश रखने के उपाय सोचें। जैसे-उनसे बातें करते रहना,हंसी मजाक की बातें चलती रहें।खुश रहना माँ ने हमें सिखाया और अब बच्चों की बारी है कि वो अपनी जननी को हर हाल खुश रखें।
पितृसत्तात्मक व्यवस्था में सुधार करने की कोशिश करें
समाज की सबसे बड़ी समस्या है हर घर में पितृसत्तात्मक व्यवस्था,जिसके चलते हर नारी एक निरंतर दवाब में रहती है।पिता सब जानते समझते हुए भी न साथ देते हैं और न ही कोई परिवर्तन करना चाहते हैं।माँ की अनेक भूमिकाओं में बहू,भाभी और न जाने कितने रिश्ते जहाँ अपेक्षाएं अधिक है और अधिकार सिर्फ कागजों में।इनमे सुधार लानेमें माँ का साथ देने में पुरजोर प्रयास करें।
13.
अकेलापन महसूस न होने दें
एक समय के बाद माँ के जीवन में अकेलापन आ जाता है।माँ को आदत ही नहीं होती है कि अकेले भी रहना होंगा। माना आप स्वयं भी व्यस्त रहतें हैं पर अपनी माता से हर रोज बात करें और उन्हें अकेलेपन को सदुपयोग करने में मदद करें।उन्हें यह नहीं लगना चाहिए कि अब उनकी किसी को भी जरुरत नहीं है।उनसे किसी भी तरीके से संपर्क बना रहना चाहिए।
14.
कविता या शायरी द्वारा अपनी बात कहने के लिए प्रोत्साहित करें
माँ के लिए कोई खूबसूरत कविता या शायरी लिखिए और उचित मौके पर उन्हें दीजिये। माँ के प्रति आभार जताते हुए और अथक प्रयासों की प्रशंशा करते हुए अपने जीवन में उन्हें सर्वोच्च स्थान की अनुभूति कराइए।आप सौभाग्यशाली हैं जो उन जैसी अद्धभुत गुणों वाली माँ मिली हैं। माँ का दिल भर आएगा और वो खुद को गर्वित महसूस करेंगी।
15.
जादू की झप्पी
सदियों से आजमाई हुई यह निराली ट्रिक कभी फेल होती ही नहीं। माँ से जब भी मौका मिलें या जब वो उदास हों या चुप चुप सी लगें तो बस एक प्यार वाली जादू की झप्पी दें और happy hormones का जादुई असर देखें। न सिर्फ आपको असीम आनंद की अनुभूति होंगी वरन माँ में एक नया जोश और आत्मविश्वास बढ़ जाएगा।
16.
न्यूज़ को सुने और चर्चा भी करें
आज जिस दुनिया में सब जी रहें है और पूरे विश्व में कहीं भी क्या घटित हो रहा है,जानना आसां हो गया है। अक्सर जब इस तरह की चर्चा होती है तो माँ मूक और मौन रहती है और इसी बात को लेकर घर के लोग उन्हें कमबुद्धि की मानते है और इग्नोर करते हैं। माँ को आदत डलवाएं औए साथ में उनसे राय भी मांगे। सटीक राय क्या होती है माँ के साथ आप भी हैरान हो जायेंगे।
17.
गूगल पर या किताबों द्वारा अपने ज्ञान को बढ़ाएं
गूगल बाबा के ज्ञान से माँ अभी पूरी तरह परिचित नहीं है। काम की व्यवस्ता या क्या जरूरत है वाली बात भी रहती है। माँ को यह बात समझाने की सख्त आवश्यकता है कि बिना ज्ञान आदर नहीं मिलता। महान कूटनीति के जानकार चाणक्य ने बहुत पहले ही कहा था कि शिक्षित व ज्ञानी व्यक्ति को हर जगह आदर मिलता है।इसलिए उनके आत्मविश्वास को सही दिशा देने के लिए ज्ञान अर्जित के तरीके बताएं।
माँ का आत्मबल बढाने के निराले टिप्स
18.
नयी टेक्नोलॉजी से नाता जुडवाएं
माँ ने अपने ज़माने की पढाई तो बहुत अच्छे से की हुई है पर आजकल की जो टेक्नोलॉजी है उससे थोड़ा घबराती हैं।पता नहीं कुछ गड़बड़ न हो जाएँ,इस विचार से ही वो नया सीखते हुई भी डरती हैं।माँ के इस काम में आगे बढ़ कर उन्हें वैसे ही सिखाना है ठीक जैसा उन्होंने आपको अल्फाबेट य वर्णमाला कभी अआप्को बचपन में सिखाई थी।
19.
ऐतिहासिक कहानियों को सुनाएँ
इतिहास अपने आप में एक ऐसा हिस्सा है जो दुःख में भी किसी को भी नयी आशा की किरणें दिखा सकता है। घर में अपने इतिहास से जुड़ें हुए किस्सों को अपनी दिनचर्या का एक हिस्सा बनाये।ऐतिहासिक वीरांगनाओं और आदर्श महिलाओं की बातें माँ के लिए एक सुखद घटना होगी और उनमें भी कि-मैं भी कर सकती हूँ- की भावना आएगी।
20.
श्री कृष्णा ने कैसे अर्जुन को अवसाद से निकाला
महाभारत का वो दृश्य जब हताश और निराश अर्जुन युद्ध लड़ने से मना कर देते है और ऐसे में श्री कृष्णा उन्हें गीता का परम ज्ञान देकर फिर से उनकी उर्जा को नवजीवन देते हैं।माँ के लिए आप को भी वैसे ही पार्थसारथी बनना है और उन्हें एक आत्मविश्वासी महिला के रूप में स्थापित भी करना है।
21.
जो उनका आत्मविश्वास कम करें,उनसे दूरी करवाएं
परिवार में या जान पहचान में बहुत से लोग हो सकते हैं जो उनके आत्मविश्वास को कम करने का जानबूझ कर कोशिश करते हो।ऐसे लोगों से थोड़ी दूरी उनके आत्मबल को बढ़ाएगा।माँ संकोंच वश कह नहीं पाती हैं पर आप बेबाकी से अपनी भाव-भंगिमा से जता सकते हैं कि अगर माँ की भावनाएं कोई भी आहत करेगा तो आप अपनी माँ के साथ खडें होंगे।
22.
सकारात्मक लोगों से मिलवाएं
जैसा संग वैसा ही मन। यह बात एकदम सही है क्योंकि जिन लोगों के साथ ज्यादा साथ रहता है उनका असर गाहे-बगाहे आने लगता है।माँ को ऐसे ग्रुप्स या ऐसे संस्थाओं से मिलवा सकते हैं जो माँ के विचारों को एक सकरात्मक प्रभाव डाले।वो हर पल को आनंदमय तरीके से जियें।
23.
सोशल मीडिया से नाता जुड़वाएं
आजकल बिना सोशल मीडिया के जीना जैसा अधूरापन सा लगना।किसी भी चीज़ को हम कैसे लेते हैं यह तो खुद व्यक्ति पर निर्भर करता है।माँ जो स्वभाव से हर चीज़ में अच्छाई देखती हैं वो सोशल मीडिया से जुड़ कर अनेक नए प्लेटफॉर्म्स खोज सकती है अपनी रूचि के अनुसार और जाहिर है यह सब उनका आत्मविश्वास हर हाल बढ़ाएगा ही।
24.
उनकी सहेलियों से बात करवाने के मौके बनाएं
माँ की सहेलियों एक बहुत ही अहम् भूमिका निभा सकती हैं क्योंकि वो उन्हें बचपन से जानती है और कैसे उनका मनोबल बढाया जाया जा सकता है,इस बात से बखूबी वाकिफ भी होंगी ही।उनसे संपर्क करें और माँ को एक बहुत ही आत्मविश्वास से परिपूर्ण रूप में देखें।
25.
ननिहाल पक्ष से जल्दी जल्दी मुलाकात करवाएं
माँ जोकि सबकी मेहमानदारी में व्यस्त रहती हैं पर खुद अपने घरवालों यानि अपने मायके में नहीं जा पाती है क्योंकि स्वभाव से त्याग वाली भावना ज्यादा हैं यह कोशिश जरुर करें कि अपने ननिहाल पक्ष से उनकी मुलाकात जरा जल्दी-जल्दी हो पाएं ताकि वो खुद में एक उर्जा महसूस करें।अपने जन्म के बहन भाइयों से मिलना हमेशा ही सुखद होता है।
बाबाओं के चक्कर में न पड़ें,ध्यान दें
निराश और परेशां व्यक्ति कई बार अपनी बात को जब घर में नहीं कह पाता है तो बाहर के लोग इसका फायदा उठाता है और धर्म के नाम पर जो आजकल जगह-जगह चालाक लोगों ने आश्रम के नाम पर लूट -खसूट के नए नए आश्रम या संस्थाएं बनाये हुए है।माँ इन सब चक्करों में न आएं,इस ओर ध्यान देना जरुरी है।
27.
डर के आगे जीत है,इस पर चर्चा करें
बचपन में जब बच्चा डरता है चाहे अन्धेरें से या किसी भी अन्य बात से,माँ आगे बढ़ कर उसकी हिम्मत बढाती हैं और मैं हूँ न,कह थामे रहती हैं। आज आपको उन्हें संभालना हैं।खुल कर बात करें किआखिर किस बात की चिंता है और क्यों उनका आत्मबल कम हो रहा है।बातचीत से नए रास्ते खुलेंगे।
खेलकूद वाली गतिविधियाँ में उन्हें ले जाएँ
एक सी जीवन शैली में रहते हुए भी बहुत बार इन्सान बोझिल सा महसूस करने लगता है।छोटे बच्चों की तरह ही कई बार बड़ों को संभलाना होता है।घर से बाहर या आसपास किसी पार्क में उनके साथ किसी खेलकूद वाली गतिविधियों से उन्हें अच्छा लगेगा और एक चमक उनके चेहरे पर आएगी-आत्मविश्वास की चमक।
29.
उनकी सफलताओं को दोहराएँ
बीतते समय के साथ कई बार अपनी सफलताओं को भी भूलने लगते है और उनसे जुड़ीं हुई स्मृतियाँ भी धूमिल होने लगती है। माँ के पुराने सर्टिफिकेट,मेडल्स या कोई ओर उपलब्धियां के बारें में जिक्र करें और पूछे कि कैसे उन्होंने यह सब हासिल किया था।माँ फिर एक गर्व की फीलिंग से सब चहक-चहक कर बतायेंगी। आत्मविश्वास का दूजा नाम ही ख़ुशी महसूस करना।
30.
online शौपिंग के लिए उत्साह बढ़ाएं
अब तो online शौपिंग करना बहुत आसां हो गया है। जब चाहो जहाँ से चाहो और जो भी चाहो बस बैठे-बैठे आर्डर दो और घर पर सब कुछ आ जाएगा। माँ को इस तरह के कामों का अभ्यस्त बनाने में अपना समय जरुर दें और उन्हें एक नयी दुनिया से परिचित भी करवाइए व सब के बीच उनके आत्मविश्वास को भी देखिये।.
घर से बाहर जरुर लेकर जाएँ
कई बार घर से बाहर और यहां तक अपनी गली या आसपास में सिर्फ एक चक्कर लगाने से भी नयी स्फूर्ति महसूस होती है। सारे दिन वहीँ काम वहीँ बातें और उसी तरह की दिनचर्या भी हमारे अन्दर थोड़ा सुस्ती या बोरियत लती है और माँ को थोड़ा जीवन में पीछे की ओर धकेलती है जिससे खुद उन पर ख़राब असर पड़ता है।
…
32.
उनसे हमेशा हंस कर बात करें
घर का वातावरण किस तरह का है यह सब लोगों के आपसी व्यहार पर निर्भर करता है।जहाँ आपस में बातचीत एक हँसते हुए चेहरे से की जाती है तो माहौल में एक गरमजोशी सी रहती है वहीँ अगर कोई हर बात को गुस्से में ही बोलता है तो बाकि लोग भी थोडें चिडचिडे ढंग से जवाब देने लगते हैं। इसे देखें और अगर ऐसा है तो माँ के ऊपर आए बिन बात के इस दवाब को हटाने में सहयोग दें।
33.
अपनी समस्याओं को उनसे दूर करने को कहें
माँ के अपने बच्चे को किसी समस्या से झूझते हुए देखना कष्टदायक होता है। माँ को उन्हें अपने अनुभवों से दूर करने की सलाह देनी आती है। जब आप अपनी समस्या का निदान मांगेगे तो उनका अपना आत्मविश्वास भी बढेगा ही,क्योंकि यह उन्हें यह महसूस कराएगा कि इतनी काबिल हैं कि उनके बच्चे उनसे ही हाल पूछते हैं और यह उनका खोया हुआ आत्मविश्वास ले कर ही आएगा।
34.
नयी ड्रेस लाकर दें और तारीफ करें
माँ के लिए कोई ऐसी ड्रेस लाकर दें जो वो काफी दिनों से लेने की सोच रही हो।माँ इस बात से खुश तो होंगी ही और जब वो पहनें तो दिल खोल कर तारीफ जरुर करें और साथ में अलग-अलग मुद्राओं में उनकी फोटोज भी खींचें। एक अलग तरह का निखार माँ के चेहरे पर आ जाएगा।
माँ का आत्मविश्वास कैसे बढ़ाएं पर बेहतरीन तरीके
35.
उनके बनाए व्यंजनों की दिल खोल कर प्रशंसा करें
किसी भी बच्चे के लिए दुनिया की सबसे बढ़िया शेफ उसकी माँ ही होती है और कितने भी बड़े होटल में लजीज खाना खाए पर माँ के हाथ के खाने की बात ही कुछ ओर होती है क्योंकि उसमे आत्मीयता वाली तृप्ति भी जो संग में मिलती है।माँ के खाने को तृप्त होकर ही खाइए और अच्छी सेहत पाइए।
36.
उनकी थाली में पूरा खाना हो,ध्यान दें
काम और सिर्फ काम बस माँ की यही दिनचर्या रहती है और सबकी थाली में पूरा खाना होगा पर उनकी थाली में जो भी बच गया हो वो उसी से काम चला लेती हैं। यह बिलकुल भी ठीक नहीं पर सदियों से कुछ इसी तरह की परंपरा घरों में दिखाई देती है। माँ की थाली में भी सब कुछ हो,इस पर ध्यान दें ताकि वो स्वस्थ रहें।
37.
उनका वार्षिक चेकअप जरुर करवाएं
माँ का अपने शरीर के प्रति ध्यान होता ही नहीं है और मैं ठीक हूँ वाली बात कह कर वो किसी भी तरह की जाँच को टालती रहती हैं,जोकि एकदम गलत है।माँ का वार्षिक चेकअप जरुर करवाएं और डाक्टर से परामर्श करके अगर कोई दवाई देनी हो तो ध्यान से उसे हर रोज देने की जिम्मेदारी भी लें।स्वस्थ रहने से आत्मविश्वास स्वयं बढ़ता है।
38.
गलतियाँ करना किसी के लिए भी स्वाभाविक है,बताएं
माँ एक इन्सान है कोई मशीन नहीं। कई बार जाने अनजाने माँ से भी कोई गलती हो सकती है और जिसकी वजह से माँ अंदर ही अंदर घुटती रहती हैं कि घर में सब क्या कहेंगे या क्या सोच रहे होंगे।यह जो सब क्या सोचेंगे वाली बात ही माँ का सुख चैन छीन लेती है।इस अपराधबोध की भावना से माँ को मुक्त करने में साथ दें। आत्म विश्वास यही से ख़त्म होता है तो इस बात की परेशानी को ही ख़त्म करिए।
बात करते हुए आई कांटेक्ट को बनाएं रखें
माँ को हो सकता है कि उनके समय में आँखें नीची करके बात करने को बताया गया होगा पर किसी भी व्यक्ति से आई कांटेक्ट करके बात करने में अपनी बात को सही से बताने में और अपना आत्मविश्वास दिखने का मौका मिलता है। माँ उठिए और दूसरे की आँखों में आँखें डाल कर बात करिए।आपको बहुत अच्छा लगेगा।
40.
हर काम में बेस्ट होने की न सोचें
घर में हर काम सुचारू रूप से हो यह आदत तो बहुत सुंदर है पर हर बार हर चीज़ सबसे बढ़िया ही हो,यह थोडं ज्यादा हो जाता है और न होने पर उसका अपरोक्ष रूप से जो मानसिक दवाब आता है,वो परेशां करेगा।हर काम आपका वैसे ही बहुत अच्छे ढंग से हुआ ही होता है। बेस्ट होने की कोशिश ठीक है पर न होने पर थोड़ा आराम से लीजिये। यह बात माँ के आत्मविश्वास को बढ़ाएगी।
जलन की भावना न पनपने दें
घर परिवार में आपसी रिश्तों में एक अनजानी सी प्रतिस्पर्धा सी रहती है और गर संयुक्त परिवार हो तो यह कभी कभी बढ़ भी जाती है जिसका असर माँ के स्वास्थ्य और मन पर पड़ेगा ही।माँ स्वयं को दोषी मान एक बंद से माहौल में कैद कर लेंगी और परेशां रहेंगी जो बिलकुल भी ठीक नहीं है।माँ से बात करके उन्हें इस कैद से मुक्त कराएँ और आत्मविश्वास से अपनी बात को दृढ़ता से रखने में मदद करें।
42.
लाइफस्टाइल को थोड़ा बदलने में सहायता करें
हर रोज वही काम और वही दिनचर्या यानि एक तरह की रहने की आदत।एक से माहौल में रहते-रहते विचार भी उसी तरह के बार बार आते रहते हैं।खिड़की को हर वक्त बंद रखेंगे तो खुली हवा को कैसे महसूस करेंगे। ऐसे ही एक से तरीके से रहने में भी बोझिल सा लाता है। माँ को थोड़ा प्रोत्साहित करिए करिए कि रहन सहन में परिवर्तन करें और एक नया लाइफस्टाइल अपनाने की कोशिश करें।
43.
स्वयं के लिए भी सोचें
घर परिवार की चिंता उन सबके स्वास्थ्य की चिंता और उनकी सारी चिन्ताओं की चिंता करना माँ के स्वभाव में आ ही जाता है और जिससे वो निकल नहीं पाती हैं। हर वक्त दूसरों के लिए ही बस सोचना,स्वास्थ्य की दृष्टि से उचित नहीं है।अपने लिए सोचना कोई स्वार्थ नहीं है क्योंकि आप खुद ठीक रहेंगे तभी तो सब के लिए कुछ अच्छा और अलग सोच पायेंगे। अब अपने लिए सोचना शुरू करें।
44.
मैडिटेशन की सहायता लें
शारीरिक रूप से चुस्त-दुरुस्त रहना जीवन के लिए जरुरी और बेहद अहम् बात है। माँ का आत्मविश्वास अपनेआप ही बढ़ जाएगा जब वो खुद को हमेशा फिट पाएंगी।इसके लिए योग और ध्यान को करना आना चाहिए जिसके लिए शुरू में किसी योग्य प्रशिक्षक से बाकायदा ट्रेनिंग ली जाए।ध्यान लगाने से मानसिक रूप से वो स्वयं को हमेशा फ्रेश और खुश पाएंगी और उनका आत्मविश्वास से भरा व्यक्तित्व होगा।
45.
कभी भी किसी से तुलना न करें
माँ के आत्मविश्वास को बढाने के लिए यह जरुरी है कि वह अपनी तुलना औरों से बिलकुल भी न करें।वो सर्वश्रेष्ठ है उनके अंदर बहुत ही अद्धभुत गुण हैं।अक्सर माँ खुद की तुलना जब दूजों से करती हैं तो अपनी विशेषताओं को भूल औरों से अपनी तुलना करने लगती है व कहीं न कहीं एक हीन भावना से ग्रसित हो जाती हैं जो जाने अनजाने उन्हें मानसिक रूप से कमजोर बनाता है।इस आदत से उन्हें दूर कराएँ।
46.
उनकी रुचियों को विकसित करने के तरीके बताएं
माँ ने अपने Me Time को अब एन्जॉय करना सीख लिया और अपनी स्वप्निल आँखों में ढेरों सपने भी सजा लिए। इन सब सपनों को एक उड़ान भी तो चाहिए जिससे वो भी खुले आसमां को देख सकें।माँ के सपनों या रूचि के हिसाब से उनके साथ बैठ कर प्लान करें और क्या आप बेस्ट कर सकते हैं,करके दिखाएँ।
47.
अपने दिल की सुनें और फिर निर्णय लें,घबराएँ नहीं
माँ के निर्णय हमेशा ही सही होते है क्योंकि वो दिल की आवाज़ से लिए होते हैं पर फिर भी इसके बावजूद वो कोई स्वतंत्र निर्णय लेने में हिचकचाती है या घबरा जाती है।माँ को आश्वसान दें कि किसी भी परिस्थिति में आप उनके साथ हैं। यह बात उनके आत्मविश्वास को बुलंदियों तक ले जाएगी।
48.
रिश्तेदारों की हर बात को दिल पर न लें,साथ खडें हों
हर किसी की बात को और खासतौर पर कुछ रिश्तेदारों की जो बहुत करीबी होते हैं,उनकी हर बात को माँ खुद से जोड़ कर अपने दिल पर ले लेती है और दुखी सी हो जाती हैं।किसी से बतायेंगी भी नहीं और न ही कुछ पलट कर कहेंगी। ऐसे माँ आप माँ के साथ देते हुए दिखने चाहिए और मजबूती से दिखने चाहिए।माँ का आत्मविश्वास उन्हें सभालें रखेगा।
49.
ईश्वर में आस्था बनाएं रखें
निर्बल के बल राम,यह कथन बहुत पुराना है पर सच है यानि जब भी विषम हालात बनें तो ईश्वर को ही पुकारते हैं या कोई मंत्र पढ़ते हैं।यह खुद को एक बहुत मजबूत सहारा सा प्रतीत होता है। माँ का मनोबल जब भी डगमगाए तो उन्हें ईश्वर में अपनी आस्था को बांयें रखने के लिए कहें और बताएं कि रास्ता निकलेगा बस धैर्य बनाये रखने की फिलहाल जरूरत है।माँ की घबराहट कम होगी क्योंकि स्वयं ईश्वर की आस्था उनके साथ जो है।
50.
अपने लिए वक्त निकालें
दुनिया में सबको ही 24 घंटे मिलें है जिनका उपयोग करके कुछ इतिहास में अपना नाम दर्ज करा गए और कुछ गुमनामी में ही जिन्दगी बीता गए।माँ को यह बताने की बहुत ही जरूरत हैं कि कोई एक समय वो सिर्फ अपने लिए रखें जिसमें वो अपने शौक या अपनी पसंद की कोई भी कार्य करें या आराम करें। यह बात उन्हें आत्मसंतोष देगी कि वो भी अपने सपनें देख सकती हैं,पूरा कर सकती हैं।
51.
मुश्किल कामों को करवा कर उनका आत्मविश्वास बढ़ाएं
माँ को अकेले सफ़र करने में बहुत परेशानी लगती है या बाहर होने पर कैसे लाइव लोकेशन भेजे या गूगल मैप्स से रास्ता खोजें,इस प्रकार के कामों में वो असहज हो जाती हैं।माँ को इस तरह के कामों में थोड़ी दिक्कत लगती है।उन्हें सिखाएं और इस्तेमाल करने को बार बार कहें। जब करने लगेगी तो उनका आत्मविश्वास भी बढेगा।
माँ का आत्मविश्वास बढ़ाने पर नायाब उपाय
कम्युनिकेशन स्किल्स में सुधार लाने के तरीके बताएं
माँ बहुत बार किसी नए ग्रुप में जाने से कतराती है क्योंकि वहां सब इंग्लिश बोलते होंगे,या कही किसी कार्यकर्म में कुछ बोलने को कहो तो वो एकदम परेशां हो उठती हैं।ऐसे में कोई इंग्लिश का कोर्स करवा सकते हैं और जब वह खुद इंग्लिश के वाक्य बोलेंगी तो उनमें एक अलग सा आत्म विश्वास आएगा।घर में आयोजित कार्यकर्मों में उन्हें बोलने को कहें ताकि उनकी झिझक दूर हो सकें।
53.
उनकी पसंद के कोर्सेज करने को उत्साहित करें
अब जमाना फिर से लौट आया है जहाँ अब हाथ से बुने स्वेटर,कशीदाकारी के सुंदर नमूनों की चादरें या मोहक डिजाईन वाली कुर्तियाँ। मतलब माँ की अपनी रूचि के अनुसार उन्हें इन सब कामों के कोर्सेज करवा सकते है और गृह उद्ध्योग के अंतर्गत घर पर ही कोई व्यवसाय खुलवा सकते हैं।आत्मविश्वास फिर देखिये बढ़ चढ़ कर बोलेगा।
54.
माँ अच्छी प्रकार से सो पाएं,यह देखना बहुत जरुरी है
एक स्वस्थ शरीर ही कुछ अच्छा करने की सोच सकता है और कर सकता है।घर-गृहस्थी में काम की अधिकता से माँ कई बार ठीक से सो ही नहीं पाती हैं और नतीजा थके हुए तन से जल्दी बीमार हो जाती है।कार्यों को करना सभी की जिम्मेदारी है तो इसे देखें और सब से बात करके सोने का समय भी फिक्स करें ताकि पूरी नींद से माँ उठे और खिली- खिली सी खुद को महसूस करें।
पार्लर से थोड़ी दोस्ती करवाए
माँ की सुन्दरता के चर्चे घर के बड़े लोगों से सुनें तो बहुत अच्छा लगता है जब वो सब बताते हैं कि दुल्हन के रूप में जब वो इस घर में आई थी तो सब बस उन्हें निहारते ही रहें थे,पर समय अपनी गति से चलता है और न चाहते हुए भी अपनी छाप भी छोड़ता ही है।तो माँ की दोस्ती पार्लर से कराइए और उन्हें एक नया आत्मविश्वास वाला चेहरा दीजिये।
56.
किसी भी बदलाव से घबराना नहीं है,स्वीकारें
जीवन में उतार-चढ़ाव आते जाते रहते है,माँ ने ही सिखाया था पर अचानक किसी के चले जाने पर या किसी घटना के घट जाने पर उससे घबराने की बजाय उस स्थिति को स्वीकारने में ही भलाई है,माँ को भी याद दिलाने की और उस बदलाव में आपके साथ देने की जरूरत है ताकि माँ का आत्मविश्वास न डगमगाए।
57.
सबको खुश करने में समय बर्बाद न करें
एक बड़े संयुक्त परिवार की अपनी बहुत सारी खूबियाँ होती हैं पर माँ सबको खुश करने में लगी रहती है।अच्छा है पर वो स्वयं की ओर जो लापरवाही दिखाती है वो ठीक नहीं है।सबका ध्यान रखें पर यह सोचते रहना कि पता नहीं कब कौन किस बात से नाराज न हो जाएँ,इस अपराध बोध से मुक्ति पाने में उनकी मदद करें।
58.
औरों के सफल होने पर खुश हों
कई बार कुछ घरों में माँ को सिर्फ अपने बच्चे की सफलता ही अच्छी लगती है और किसी की सफलता से वो खुद में कोई कमी रह गई है,इस भाव से खुद को ही दोषी मानने लगती है जो की बिलकुल भी ठीक नहीं है।माँ यह विश्लेषण जरुर करें कि कहाँ अभी ओर मेहनत करनी है पर दूसरों की ख़ुशी में शामिल होकर अपनी ख़ुशी भी जाहिर करें।
59.
दिमागी शक्ति ही सब कुछ है,इसे दिल से मानें
दिमाग से सोच समझ कर ल्लिये निर्णय ज्यादातर सही साबित होते हैं। माँ कई बार जल्दी में भावावेश में बस दिल की बात मान कर जब भी इमोशनल और तुरंत निर्णय लेती है वो उन्हें सुख देने की बजाय मुसीबतें देने वाली घटनाओं का सबब बन जाती हैं। इसलिए उन्हें जब भी बताएं तो कहें थोड़ा समय लेकर सोच कर-विचार विमर्श करके ही ले ताकि अपने निर्णयों पर गर्व महसूस कर पाएं।
शारीरक मुद्रा को सही रूप में रखें
आत्मविश्वासी व्यक्ति की बैठने-उठने और बातचीत करने की शारीरक मुद्राएँ आकर्षक व दिलकश होती हैं। माँ भी जब मुस्कुराते हुए कोई बात कहती है तो उसका असर ज्यादा होता है पर वही जब घबराते हुए या अस्पष्ट हो तो कोई असर नहीं डालती है।माँ को इस बात से आगाह करें ताकि वो हमेशा आत्मविश्वास से भरी नज़र आएं।
बातचीत में अपनी भाव- भंगिमा में सौम्यता रखें
बात कितनी सही या गलत है यह इतना जरुरी नहीं पर बात को कहने का अंदाज़ कैसा है,यह जीवन में बहुत काम आता है। अक्सर गुस्से में,चिल्लाते हुए,हाथों को हवा में घुमाते हुए और तेज तीखे स्वर में कही सही बात भी सुनी नहीं जाती है। माँ की भाव भंगिमा अक्सर सही होती है पर यदि कहीं कुछ ऐसा लगता है तो मौका देख कर बता सकते हैं। यह आदत आत्मविश्वासी बनाने में बहुत ही मददगार होगी।
62.
कमियों को तरीके से बताएं
माँ एक इन्सान हैं आपकी प्रथम गुरु भी। क्या गुरु से गलती नहीं हो सकती है। यदि आप भी ऐसा ही सोचते हैं तो यह ठीक नहीं हैं।माँ से भी जाने- अनजाने कोई न कोई गलती हो सकती है पर सीधे कहना उनके आत्म सम्मान को ठेस पहुँचाने वाली बात होगी।बात किसी और करके या किसी उद्हारण के द्वारा भी बताया जाया जा सकता है।बात भी बन जाएँ और उन्हें बुरा भी न लगे।
63.
अपनी सफलताओं से उन्हें गर्वित करें
माँ के दिए सुंदर संस्कारों और परवरिश की तारीफ आपके व्यवहार और जीवन में आपकी प्रगति काफी हद तक तय करती है। उत्तम आचरण और मदद करने वाले व्यक्तियों को सभी कहते है कि माँ ने बहुत सुंदर आदतें डाली हैं। माँ का आत्मविश्वास खुद ही बढ़ जाएगा जब उनके बच्चों की तारीफ बाकि लोग करते हैं।
एक कविता माँ के नाम
माँ से यूँ बस पल दो पल बतियाना
और उनका चहक जाना,अच्छा लगता है।
जन्नत पाने की हर कोई रखता है एक दिली आरज़ू
माँ से मिलो न,महसूस यहीं होगी,करो न कुछ गुफ़्तगू।
जीवन की पतंग जब भी घबरा के नीचे को गिरने आई
माँ ने फैला अपना मज़बूत आँचल,हर बार हिम्मत ख़ूब बढ़ाई।
माँ की एक सीख क़दम-क़दम पर बढ़ाती उनके लिए प्रीत
कहा उन्होंने सदा यही कि मन के हारे हार है,मन के जीते जीत।
बस आज वही आपकी सीख बताने को जी चाहता है
मैं हूँ संग साथ,विश्वास क्यों आपका डगमगाता है।
ईश्वर की अनुपम कृति है आप,ममता की मूरत
रहिए वैसी ही आत्मविश्वासी,सौम्य भाव की सुंदर सूरत।
माँ का आत्मविश्वा कैसे बढ़ाएं पर बहुत ही सरल और उपयोगी सुझाव इस ब्लॉग में दिए हैं।माँ के आत्मविश्वास को बढ़ने वाले महत्त्वपूर्ण उपाय पढ़िए और उन्हें एक बार आजमा कर देखिये भी। COMMENT BOX में अपनी राय भी व्यक्त करिए।
रास्ता था लम्बा, मुश्किलें थी क्रूर
दिल में लेकिन मशाल जला कर चली आयी मैं इतनी दूर।