नानी माँ पर शायरी दे दिल को एक सुकून, परियों के बीच जैसे हँसे चंदा, हिम्मत से लड़ने का दे जुनून।
नानी माँ पर शायरी का एक प्यारा सा सुंदर तोहफा आज आप सब के लिए लेकर आयी हूँ |
पढ़ना न भूले
नानी पर शायरी लिखने का है एक बहाना,ईश्वर तुल्य प्रतिमूर्ति को प्यार है यूँ जताना
नानी माँ पर शायरी | 81 खूबसूरत कविताओं की प्यार भरी ऑनलाइन डायरी
1 ) जीवन भर का सुंदर आधार
नानी माँ का प्यार भरा प्यार।
2)जब भी नानी माँ से मिलता हूँ
पूरी श्रद्धा से चरण उनके छूता हूँ।
3)माँ पर ज़ोर नानी माँ का ही
है खूब चलता
एक आँसू आँख में मेरे,
माँ को खूब फिर सुनना है पड़ता।
4)माँ की डाँट से नानी माँ ही है,
जो बचाए
फिर संग में एक अच्छी सी,
कहानी भी सुनाए।
5)नानी की गोद में,
वो मीठी सी नींद के हिलोरें
किश्ती अपनी चलती थी सपनें में,
जैसे चंचल लहरें।
6)बेपनाह प्यार का ही
दूजा नाम है नानी माँ
कितना सारा प्यार लगा गले,
लुटाती नानी माँ।
7)हर दिन आपकी याद
नानी मुझे सताती है
आँखें भर-भर अश्रु नीर,
नदियाँ सी बहाती है।
8)जीने के सुंदर गुर
सिखाती नानी माँ
कहानी भी साथ ही साथ
सुनाती नानी माँ।
9)नानी के संग है मेरा,
बहुत गहरा एक नाता
साथ रहने पर वक़्त न जाने,
कैसे है बीत जाता।
10)खेल खेल में जब चोट,
मुझे है लग जाती
अले-अले मेली गुड़िया,
प्यार से गले फिर लगाती।
11)नानी के घर जाने की सुन,
ख़ुशियाँ ख़ूब है मनाते
भला छुट्टियों होने पर और कहाँ,
जाने की सोच है पाते।
12)गर्मी की छुट्टियाँ
और नानी माँ का घर
खाओ ख़ूब मीठे रसीले आम,
जी भर कर।
13)दुनिया की सारी दौलत से बढ़ कर,
नानी माँ का प्यार
ममतत्व से भरा,स्नेहपूर्ण मीठा,
अपनापन जताता प्यार।
14)गरमियों की छुट्टियों का तो बस,
जैसी ही होता है ऐलान
मौजमस्ती करेंगे,
करते जल्दी-जल्दी से नानी के घर प्रस्थान|
15)नानी माँ अपने-संग संग
मुझे है घूमाती
रोज रात को एक नयी कहानी
भी है सुनाती।
16)सपनों में अक्सर मेरे
नानी माँ है दिखतीं
ममता आज भी चेहरे से
है वही टपकती।
17)मेरे नन्हें से दिल बता,
रहूँ नानी के घर बस यूँही सदा,है न
भला ममता की छांव छोड़,
कही जाता है कोई,नहीं न।
18)माँ के चेहरे की ख़ुशी
देखते ही बनती है
जब नानी से मिल लिपट
गले से लगती है।
19)मुद्दतों बाद आज नींद
ख़ुदबख़ुद आ गई
ख़्वाब में नानी की तस्वीर
जो हूबहू आ गई।
20)नानी माँ की ये आदत है ज़रा ख़राब,
कुछ ज़्यादा
खाना खिलाए बार बार बेहिसाब,
बहुत ही ज़्यादा-ज़्यादा।
21)मुँह से झरते फ़ूल नानी माँ के
और शहद की सी मीठी वाणी
पुचकारती कभी,गोद में बिठा खिलाती कभी,
संग-संग सुनाए कहानी।
22)माँ की प्यारी माँ है वो होती,
पर है वो मेरे दिल के बहुत करीब
माँ की शिकायत भी सुने ध्यान से,
फिर समझाती जग की रीत।
23)आज जिस मुक़ाम पर हूँ,
संग नानी का साथ लगता है
ढेरों मिले आशीर्वादों से ही,
दुनिया में नाम चमकता है।
24)ज़िंदगी के सुंदर पल,
नानी के संग गुज़ारे होते है
बेफ़िक्र मस्ती के पल फिर दुबारा कहाँ,
किसको मिलते है।
25)सोच-विचार कर निर्णय लेना,
थी नानी की यही सीख
हर निर्णय ही आगे ले जाता है,
कितनी सुंदर ये सीख।
26)ज़िंदगी के तजुर्रबों की,
असली खान है नानी माँ
मुसीबतों से करना कैसे मुक़ाबला,
सिखाती नानी माँ।
27)कभी बेसन के लड्डू तो कभी
सूजी का हलवा खिलाती है
नानी के घर तो सुबहों-शाम
दावत की ख़ुशबू आती है।
28)सपनों की उड़ान में,
मानसिक बल ही देता हमेशा साथ
नानी कहती ये सबसे अच्छा दोस्त,
छोड़ना कभी न इसका हाथ।
29)छोटे-छोटे सपनें हो जब पूरे,
ख़ुशियाँ मनाया करो ज़रूर
जब करने लगोगे ख़ुद से प्यार,
मंज़िल भी पाओगे ज़रूर।
30)यूँ जीवन की आरामदायक शैली से निकल,
दुनिया को देखो तो सही
इतना संघर्ष है जीवन में,नानी बताती,
यूँही नहीं होता सब हासिल कहीं।
नानी माँ पर कविताएँ
31)जीवन में संतुलन व सामंजस्य रखना,
सीखना और सीख भी जाओगे
याद हमें भी रखना,नानी कहती हँस कर,
भूल तो नहीं कहीं जाओगे।
32)बहुत सारे होते है विकल्प जीवन जीने के,
नानी बताती थी कभी कभी
चुनो वही भला हो ख़ुद का
व परिवार के सम्मान के लिए हो,जो सही।
33)महत्त्वाकांक्षा या आत्मसंतुष्टि में,
दूजे को ही चुनना कहती थी,नानी माँ
प्रवृति नहीं यदि संतुष्टि की,
जी न पाओगे सुख से कभी भी,बताती थी नानी माँ
34)सारी परेशानियाँ नानी की गोदी में रख सिर,
छूमंतर सी हो जाती हैं
ये दिल की बातें है,
ममता के आँचल में छिप कर ही समझी जाती है।
35)साँप-सीढ़ी में मुझ से अक्सर
जानबूझ कर हार जाती हैं
ये नानी का ही दिल है होता,
मेरे चेहरे की ख़ुशी उन्हें भाती है।
36)रातों को जब नींद,
जतन करने पर भी नहीं आती है
सच कहूँ नानी,
तुम्हारी लोरी की लय बहुत याद आती है।
37)नानी माँ की सुलझी हुई बातें
अक्सर बिगड़े काम भीआसान हो जाते।
38)नानी माँ बताओ न,इतनी सारी लोरियाँ
कैसे है आप को आती
फिर एक लोरी सुना,कहानी लोरी की,
प्यार से लोरी में गा कर है सुनाती।
39)नानी के पास है कितनी
मज़ेदार क़िस्से-कहानियाँ
राजा और रानी तो वही रहते
पर बदल जाती कहानियाँ।
40)वो भी क्या मस्ती भरे दिन थे,
जब नानी का साथ होता था
आम की कच्ची अमिया में नानी का प्यार
मीठापन लिए होता था।
41)मेरी नन्हीं जूही की कली,
कभी कहती मेरी चंपा की कली
तरसते है कान सुनने को,
नानी ऐसे छोड़ क्यूँ तुम कहाँ गई।
42)मेरे सारे राज जानती थीं जो,
वो थी मेरी ही नानी माँ
रातभर चलती थी घुसर-पुसर,
पक्की सहेली थी न नानी माँ।
43)नानी का घर समन्दर किनारे,
बनाते थे रेत के घरौंदे मटक-मटक
नानी भरती हँस कर उसमें अपनेपन का रंग,
फिर ख़ूब होती चटक पटक।
44)बड़ा सा भरा पूरा घर था नानी का,
अब हर ओर दिखती है रिक्तियाँ
कैसी हे!ईश्वर ये बनाई दुनिया आपने,
याद में रह जाती है बस मीठी स्मृतियाँ।
45)खीर हलुआ खाया बहुत बार,
पर नानी के हाथ का था अलग ज़ायक़ा
ये आपकी मोह्हबत की चाशनी का ही था असर,
माँ करती रहती थी याद अपना मायका।
46)नानी के घर माँ -मौसी का मिलन देख,
कितना तुम्हें था हर्षाता
मामा लेते चुपके से आ जब पीछे से चुटकी,
चेहरे पर तुम्हारे सुकून था आता।
47)पढ़ा था सुना था कि मूल से ज़्यादा ब्याज,
होता है हमेशा ही प्यारा
सच है जी बिल्कुल ये तो है बात सही,
लगे अपना नाती-नातिन ही सबसे न्यारा।
48)नानी माँ जैसी परवाह नहीं दिखती,
कहीं भी किसी ओर
शैतानी कर जब भागूँ,आवाज़ लगाती,
आजा मेरे नटखट नंदकिशोर।
49)दिल चाह रहा है फिर वही
हल्की सी हाथों की थाप
नींद आ ही जाती थी भले ही मन न हो,
सुन सुरीला आलाप।
50)हज़ारों किवदंतियाँ जुड़ी है नानी के प्यार की,
इतिहास के पन्नों में
दुनिया भर घूम के देखा,पाए यही जज़्बात,
हर हिस्से हर कोने-कोने में।
51)नानी और माँ की घंटो-घंटो की बातें,
बनाए रूत को सुहाना
मानिंद लगता कई बार,दोनो को मिल गया हो,
कोई छिपा ख़ज़ाना।
52)नानी की कहानी में,मैं ही तो,
उनकी असली परी थी
मैं भी तो ख़ुद के लिए कुछ,
ऐसा ही सोचती थी।
53)बस मेरे रुख़्सार पर देख यूँ मायूसी,
डाँट मम्मी को पड़ गई
देख ये सब,बात अपनी मनवाने की आदत,
हमें भी फिर पड़ गई।
(रुख़्सार=चेहरा।)
54)नानी माँ के चेहरे की ख़ुशी,
बहुत सुकून दिया करती है
पुरानी कहानियाँ भी हर बार सुनने पर,
नयी सी ही लगती है।
55)जीवन के अलग-अलग पड़ाव में,
लोगों के किरदार की कहानी बदल जाती है
पर नानी माँ ही ऐसी है,
जो हमेशा एक सी ही नज़र आती है।
56)नानी ओ मेरी प्यारी नानी,
कितनी प्यारी हो नानी
सारे जग में ढूँढा,नहीं कोई भी तुम सा,
ओ मेरी नानी।
57)हँसमुख चेहरा और मीठी वाणी,
करती सदा फ़िक्र
खाया तुम ने कुछ,माँ पूछे
,या नानी ही करती यह ज़िक्र।
58)रखें सब का ख़्याल और प्यार से
करें देखभाल
नानी आप पर गर्व है,
आप जिए हज़ारों हज़ार साल।
59)नानी मेरी बहुत सयानी,
मुश्किल से लड़ने की रखे तैयारी
आत्म विश्वास से भरपूर,
चलती फिरती ज्ञान की लाइब्रेरी।
60)देखूँ जब-जब चाँद को,
चरख़ा कातती बुढ़िया नानी की भी याद आए
मामा तो यही है धरती पर,
तो चंदा मामा कौन है,सोच सर चकराए।
नानी माँ पर प्यार भरी रचनाएँ
61)हौसलौं की बात हो तो मज़बूत दिखती नानी माँ
प्यार की चाहत हो तो ममता से भरपूर हैं नानी माँ
चेहरे पर एक अनोखी सी आभा रहती है उनके
दुलार चाहिए तो प्यार दे, बेमिसाल है नानी माँ।
62)अपनी पहली कमाई से लाकर दी,
जब नानी को, थी वो एक शॉल
कितनी भावुक हो चली थी नानी,
न बोली पर आँखें दी सब बोल
जुग जुग जियो लम्बी उम्र,मेरे कान्हा,
मेरे नटखट नंदकिशोर
इतनी जल्दी कब बड़ा हो गया रे,
ये तोहफ़ा है मेरे लिए तो बहुत अनमोल।
63)जब देखती हूँ किसी ज़रूरतमंद को,
नानी की याद आती है
कितनी दयालु है हृदय की,
बढ़ कर मदद का हाथ बढ़ाती है।
ईश्वर की प्रतिपूर्ति लगती है,
चेहरे पर आभामय कांति रहती है
सुखदुःख में रखे जो समभाव,
गीता की समझ देख उन्हें ही समझती है।
64)जब नींद नहीं आती थी बचपन में
नानी की लोरी झट से मुझे सुलाती थी
जब भूख नहीं है,कह शैतानी कर जाते थे
बस नानी बढ़िया सी खीर बना,हमें खिलाती थी।
65)कभी खेलें लूडो तो कभी होती थी छुपन-छुपाई
माँ तकती ये बूढ़े पैरों में ताक़त भला कहाँ से है आई
अरे!बनोगी जब ख़ुद नानी तो ही तो समझोगी
बचपन आता है लौट नानी कहती,तुम भी ऐसे ही दौड़ोगी।
66)ननिहाल वही है और है बीचोंबीच,
नीम का पेड़ वैसे ही है खड़ा
आम की डालियाँ हैं इंतज़ार में,
क्यूँकि वो भी चुप-चुप है बड़ा
एक तरफ़ नानी की वो ही झूले वाली कुर्सी,
संग एक छोटी सी बगिया
चिड़िया चहकी देख मुझे,
ख़रगोश ताके यूँ वहीं से खड़ा-खड़ा।
67)सुदूर देश में एक छोटे से गाँव में,
नानी माँ का घर था
मोटर कार व हवाईजहाज़ से,
जाने का नहीं चलन था
ऊबड़-खाबड़ कच्ची-पक्की,
टेढ़ी-मेढ़ी सड़क वहाँ थी
बैलगाड़ी से सच पूछो,
क्या मज़ेदार क्या मस्ती की डगर थी।
68)नानी के घर जाने का मतलब,
नए कपड़ों का सिलना था
ढेर सारी हिदायतों के साथ,
सुनने का भी पूरा चलन था
ज्यूँ-ज्यूँ नाँव पहुँचने वाली होती थी,
नानी के गाँव पर
भूलते सब,क्यूँकि नानी के सामने बस
उनके हुक्म चलने का ही प्रचलन था।
69)माना आज बहुत बड़े ओहदे पर हूँ पहुँचा हुआ,
ऐशो-आराम भी सब है मिला हुआ
पर जन्मदिन पे सर पर हाथ रखे उस नोट की क़ीमत,
अब भी लेकिन है बहुत ज़्यादा
दुनिया भर में घूमता हूँ,
सब कुछ हाज़िर होता एक इशारे भर पर
पर सुकून भरी नींद न आने पर नानी के घर की ही
याद आती है बहुत ज़्यादा।
70)जीवन के संघर्ष में,
जब-जब भी मन हुआ निराश
नानी माँ बन संबल आगे बढ़ कर,
भरती मन में आस-विश्वास।
ख़ुद चेहरे पर रख शांति,
परेशान नहीं होना देखो बिल्कुल भी आज
ये वक़्त ही आगे चल कर,
बहुत बढ़ाएगा तुम्हारा आत्म-विश्वास।
71)जमाना नया है भाई,
मैं भी थी अंग्रेज़ी की दीवानी
मातृभाषा से करते है प्यार,
नानी ने ये बात बैठ समझाई
अपनी जननी अपनी भाषा और अपने देश से
जो न करते प्यार
ऐसे लोगों से बच कर रहना,
नहीं काम आते समय पर,ये बात भी बतलाई।
72)उम्र की हसीन लकीरें यूँ उभर,
नानी के चेहरे पर जो नज़र आईं
देख मुझे चिंता में,हँस कर बोली वों,
ये तो है जीवन की सच्चाई
यूँ उदास नहीं हुआ करते,
मुझे से बिछुड़ने का ग़म क्यूँ तुम्हें सताए
अरे! नन्हीं परी बन के फिर आऊँगी,
लो वादा ले लो तुम हम से भाई।
73)नानी और मैं जहाँ-जहाँ भी है जाते,
लोग ध्यान से देख,करें फिर हौसला अफ़ज़ाई
अरे! तुम तो बिल्कुल ही दिखती हो
हो जैसे अपनी नानी की हूबहू परछाईं।
74)नानी को सब है कहते,
लगती हो बेटी की बड़ी बहन
ग़ुस्सा हो जाती माँ,
कहती क्यूँ सबको है ऐसा वहम
नानी हँस कर कहती,
क्यूँ रहती हो बिटिया हरदम ग़ुस्से में
जब ख़ुद नानी बन जाओगी,
तुम भी बेटी की बहन कहलाओगी।
75)घर भर की मानी जाती हैं
,सबसे होशियार डाक्टर
चुटकी में हल कर देती,
सब बीमारियों का इलाज
पास-पड़ोस में है धाक जमी,
बहुत ही बहुत ज़्यादा
घरेलू नुस्ख़ों का ख़जाना नानी माँ,
सब रहते ख़ुशमिज़ाज।
76)मानसपटल पर अंकित है,
आज भी वो धमा-चौकड़ी
कोई रूठता कोई भागता,
तो कोई दिखाता रहता अपनी हेकड़ी
नानी के घर इकट्ठे जब होते थे,
मामा मौसी के सब बच्चे
चुपके से भरी दोपहरी में,
आम के पेड़ से तोड़ते थे आम कच्चे-कच्चे।
77)सुनहरी यादों में बसी है,
वो ताँगे की शाही सवारी
ठुक-ठुक टप- टप की सुनती थी,
मीठी-मीठी स्वर-लहरी
लकड़ी की बर्थ वाली रेल में,
यूँ बैठ साथ सबके करना सफ़र
चअअय गअअरम की हर स्टेशन पर,
बार-बार लगती थी फेरी।
78)नानी के पिटारे से मिलते थे,
कभी दस पैसे तो कभी चवन्नी
खाते गर चाट-पकौड़े और क़ुल्फ़ी संग टाफ़ी चूर्ण,
मिलती थी अठन्नी
रंगबिरंगे बर्फ़ के गोले की तो बस मत ही पूछिए,
थी एक शान निराली
अपना मुँह तो दिखे नहीं,दूजे के सतरंगी मुँह पर
सब चिढ़ा कर बजाते थे ताली।
79)अब न होली पर होती ऐसी रंगो की बौछारें,
न दिवाली की रोशनी में है वो चमक
न ननिहाल में गूँजती वो हँसी-ठिठोली,
न अचार में आती महकती वो चटक।
वो तुम्हारा नानी सीधे पल्लू लिए की सौम्यता,
न ही माथे पर दिखती गोल बिंदी की गरिमा
न संस्कारों में रहा वो अदब-क़ायदा,
न ही आतिथ्य-सत्कार की रही वो ललक।
80)बचपन की एक अनोखी कहानी
बचपन में सुनी थी एक अनोखी कहानी,माँ से मुँहज़ुबानी
चाँद पे कातती चरख़ा रोज़,वहाँ पर रहती है एक बुढ़िया नानी।
दूध पताशे मिलते ख़ूब वहाँ और खाओ खीर मनमानी
कहकशॉ में परियों संग घूमे तारें,होती हर रात सुहानी।
माँ भी वहीं है अब,अरसा बीता याद आती तेरी हर कही कहानी
चाँद को ही ले आते है धरा पर,बच्चों ने मिल कर ये बात है अब ठानी।
बचपन बीता मन में थी उत्सुकता,क्या सच है ये कहानी
चाँद पर पहुँचा इंसा,किताबों से हो गई,अब क्यूँकि दोस्ती पुरानी।
माँ भी समझ गयी अब तो बनानी होगी,एक नयी कहानी
मैं और माँ हँस पड़े सोच ये,कहानी तो रहती है हमेशा कहानी।
81 )चाँद और नानी
चाँद की कहानी – नानी की ज़ुबानी
बचपन में नानी कहतीं थी एक कहानी
ज़माना दर ज़माना, जब मैं छोटा था
बस यूँही सुनी थीं मुँहज़ुबानी
रोज रात वो चंदा से मिलवाती
देखो चरख़ा कात रहीं हैं,वहाँ हम सब की नानी
गोल गोल आँखे पूछतीं -क्या सच है यह कहानी
सच क्या मैं न बोलूँगी,लो नाराज़ हुईं अपनी ही नानी।
दिनभर चलती यही खटपट और नोंक झोंक मस्तानी
ये करो वो करो नहीं तो मिलती मीठी धमकीं वही पुरानी
देखो! नहीं मानें,तो देख लेंगी वो ऊपर वाली बुढ़िया नानी।
नानी माँ पर सुंदर कविताएँ और Miss You नानी माँ पर शायरी लिखकर आज मन बहुत आनंदित हुआ | आपको यदि मेरी नानी माँ पर रचनाएं पसंद आयी हों तो COMMENT BOX में ज़रूर साझा कीजियेगा |
रास्ता था लम्बा, मुश्किलें थी क्रूर
दिल में लेकिन मशाल जला कर चली आयी मैं इतनी दूर।