माँ की लाडली पर शायरी लिखना यानी अपनी बेटी को सबसे सुंदर उपहार देने जैसा है |माँ बेटी के रिश्ते पर शायरी जो दिल को सुकून पहुचाएँ,पढ़िए और मुस्कुराइए | इस प्यारे अटूट रिश्ते की महक से स्वयं भी सुगन्धित होइए औरों को भी महकाइए|
माँ बेटी के रिश्ते पर स्टेटस यदि आप सोशल मीडिया पर समर्पित करना चाहे तो आपके लिए नीचे लेकर आयी हूँ पूरा कलेक्शन –
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माँ की लाडली पर शायरी की लिखे सुंदर जज्बात,आखिर है वो बहुत ही खासमखास
माँ की लाडली पर शायरी |75 प्यार भरे जज्बातों की कविताएँ
1)जीवन की प्रथम गुरु माँ को करती लाडली,
प्रणाम व वंदन
धन्य हर बेटी जीवन भर करती रहेगी,
माँ को प्यार भरा अभिवंदन।
2)माँ की लाडली माँ की सबसे अच्छी दोस्त
है नायाब रिश्ता न होती कभी भी इसमें कोफ़्त।
3)माँ की लाडली होती है प्यारी सी बिटिया
नाज़ उठाती हर माँ,ओर नख़रे दिखाती हर बिटिया।
4)मेरा मान है मेरी लाडली,है मेरा ग़ुरूर
दुनिया की हर जंग,वही जीतेगी ज़रूर।
5)नफ़ासत नज़ाकत से, मेरी लाडली है पली
चाँद सितारों में दिखती, हूबहू जैसे हो परी।
6)माँ की हूँ लाडली,कहते लोग मुझे अनेक
हज़ारों में शख़्सियत दिखती अलग,मेरी ही एक।
7)तपिश भरी धूप में माँ
संग परछाई सी रहती है
लाडली हूँ न उनकी,
संग मैं भी साथ-साथ रहती हूँ।
8)रुनझुन पायल और मेरे ठुमकने पर
माँ भी थिरकती है
दे थाप हाथों से आज भी,
वो दृश्य याद कर मचलती है।
9)देख मेरे चेहरे पर सुकून,ख़ुश बहुत होती है
माँ है न,लाडली के सुख से,वो भी चैन से सोती है।
10)यूँ अपलक मुझे अक्सर माँ देखा करती है
लाडली से एक मिलते सकूँ को,वो महसूस करती है।
11)जब तक माँ संग है,क्या फ़िक्र, है फिर करना
बेफ़िक्र जीती है हर लाडली,सोच क्या अब है डरना।
12)हर माँ के दिल में एक नन्हीं परी बसी होती है
ख़ुश देख उसे वो भी हर वक़्त ऊर्जामय होती है।
13)लाडली बेटी से चहचहाता,घर का हर कोना
न हो जब घर पर,दिखता आँगन बहुत ही सूना।
14)ख़ुशनसीब होते है वो जिनकी बेटियाँ होती है
ईश्वर के आशीर्वाद की सुंदरता ऐसी ही होती है।
15)माँ की हूँ लाडली,धरती का बोझ न समझे मुझे कोई
सृजनहार हूँ,बिन मेरे नहीं अस्तित्व किसी का भी फिर कोई।
16)ईश्वर की प्रतिपूर्ति,रहगुज़र माँ लाडली की रहें सदा
पूरे ब्रह्मांड में सच में माँ-बिटिया का जोड़ नहीं दिखता यहां|
(रहगुज़र=सहयात्री)
17)माँ आप ही हो सृजनहार,हो मेरा सारा संसार
जीवन की नैय्या की हो पतवार,मेरी हो ग़मगुसार।
(ग़मगुसार=ग़म को हरने वाली)
18)माँ बेटी निच्छल प्रेम के रिश्ते की, एक ख़ूबसूरत आबशार है
हर हसरत को पूरा करती जीती जागती, एक सुंदर अविरल धार है।
(आबशार=झरना)
19)लाडली को किसी शृंगार की, ज़रूरत ही नहीं कभी पड़ेगी
सर्वोत्तम गहना आत्मविश्वास का ही,वो हर वक़्त पहना करेगी।
20)खुदा से जन्नत की दुआ जो माँगी मैंने
गोद में अपनी लाडली को फिर पाया मैंने।
21)खुदा ने हर घर में बेटी को,देना चाहा था कभी
जहाँ इज़्ज़त नहीं दिखी,फैसला वापिस लिया तभी।
22)जिस घर में बेटी दिल से मुसकाती है
वहाँ सभी की मुरादें ख़ुद से ही पूरी हो जाती है।
23)लाडली की विदाई हुई,घर की ख़ुशियाँ भी मानों खो गई
हर कोना पूछ रहा था,आख़िर बिटिया क्यूँ और कहाँ गई।
24)माँ जब बढ़ कर ख़ुशी से माथे पर,प्यार की मुहर लगाती है
सच पूछो धरा पर ही ख़यालों में,बसी जन्नत नज़र आती है।
25)माँ की लाडली के रिश्ते के होते है,बेहद ख़ूबसूरत अहसास
दिल की धड़कन में बसे होते है,निहायत प्यारे से जज़्बात।
26)माँ बेटी का एक ममता भरा,सुनहरी आभामय रिश्ता
दोनो ख़्वाब सजाते है एक दूजे के लिए,बँधा है दिल से रिश्ता।
27)दिया अपनी लाड़ली को शिक्षा का आधार
मालूम है यही बनेगा जीवन में अमूल्य आभार।
28)तकनीकी तरीक़ों से भ्रूणहत्या कर,जो बेटी को गँवा देते है
गर सच में उनसे पूछा जाए,तो क्या कभी चैन से वो सो लेते है।
29)बिन कहे माँ बेटी की और बेटी माँ की पीड़ा को पढ़ लेते है
ये दिल के रिश्ते है हृदय के तल में,दूर होकर भी पास-पास रहते है।
30)अंतर्मन के अंतस में ख़ुशी व दर्द का अनोखा रिश्ता संग-संग रहता है
ये माँ बेटी है बिन कहे एक दूजे के अहसासों में अव्यक्त भाव बना रहता है।
31)वो मेरी ग़मनाक मेरी ग़मगुसार है हर दर्द को पहचानती है
लाडली हूँ न उनकी, बिन दवा के करना इलाज मेरा जानती है।
(गमनाक=गम को हरने वाली| गमगुसार=हमदर्द )
32)दूर तारों के बीच एक चाँद से,अपने अंगना में भी आने की गुज़ारिश की थी कभी
खुदा की मेहरबानी देखो,एक चाँद सी बिटिया से नवाज़ा था मुझे फिर तभी।
33)गुलाबी मेरी प्यारी सी कली,परियों को भी करती मात
करती जब हिम्मत से मुक़ाबला,होता ख़ुद पर मुझ को नाज़।
34)माना पापा की परी है,पर दिल की बात करे माँ के साथ
ख़ुद माँ बन के जाना माँ के अंदर का,जिगर वाला साथ।
35)एक उम्र बाद लाडली बन जाती है माँ जैसी
प्यार व रौब भी ख़ूब दिखाती बिल्कुल दिखती वैसी।
36)माँ बेटी एक दूसरे के लिए रहते सदा अहम् व अनमोल
बिन शब्दों के अनकहें अहसास करते ज़ाहिर होते जो बेमोल।
37)अपना बीता कल देखे माँ अपनी लाडली में
लाडली भी झाँके बन माँ,फिर अपनी लाडली में।
38)दुनिया में आने से पहले सिर्फ़ माँ से ही,जुड़ा होता है धड़कन का रिश्ता
माँ के सीने से लग वो सकूँ वो सुख,भला कहीं कहाँ,है क्या मिलता।
39)न जाने दिन में कितनी बार सजाती लाडली को माँ
नित नए नवेली रूप में देख,ख़ूब बलैय्या लेती है फिर माँ।
40)नन्हीं कली की देख शैतानियाँ,माँ अपना बचपन जीती है
फिर अपनी माँ जैसी शिक्षा दे,ख़ुद को उसमें देखती है।
41)माँ के बिना नहीं चाहिए,दुनिया की दौलत मुझे कोई
माँ से बढ़ कर और भी दौलत,होती है क्या दुनिया में कोई।
42)हर माँ की ख़्वाहिश यही,है यही दिली आरज़ू
बेटी से बस होती रहे हर रोज,कुछ न कुछ गुफ़्तगू।
43)पर्वतों से बहती जैसे अविरल निर्मल,आबशार की धारा
जीवन में मेरी लाडली का बने सुंदर संसार,हो जिसमें प्यार ढेर सारा।
44)ये तो जीवन है सुख दुःख बारी बारी आएँगे अपनेआप
तुम बस हिम्मत न हारना लाडो,भाग जाएँगे फिर डर के अपनेआप।
45)ठुमक-ठुमक संग-संग ख़ुद भी थिरकती,सुन पायल की झंकार
मंदिर जाना भी भूल है जाती,मान बेटी को ही दुर्गा का अवतार।
46)गहन तमस में माँ बन जुगनू,बेटी को आशा की किरण दिखाए
हिम्मत नहीं कभी हारना,जीवन से लड़ने का गुर है ख़ूब सिखाए।
47)प्रतिकूल हो जब हालात,न बेवजह कर लेना अपनी ज़िंदगी-ख्वार
लुत्फे-हयात बनानी है गर ज़िंदगी,सूझ-बूझ को ही करना इख़्तियार।
(ज़िंदगी-ख्वार=जीवन की दुर्दशा।लुत्फे-हयात=जीवन का आनंद।इख़्तियार=अपनाना।)
48)जब जब जीवन में आयी, कठिन राह जैसे हो मुँहबोली
अडिग चट्टान सी बन माँ संग थी,बन मेरी सच्ची हमजोली।
49)कुछ क्रंदन कुछ सिसकियाँ जब भी
आसपास सुनाई देती है
ज़रूर कोई लाडली ससुराल से मायके आई होगी,
माँ से ही बात होती है।
50)पारसा व्यक्तित्व बने बिटिया का,
है माँ की चाहत,कोई शक
बेटी भी चाहे करना पूरी इस इच्छा को,
मेहनत से हर हाल,बेशक।
(पारसा =गुणी व्यक्ति)
51)माँ इतना सहज हो कैसे सब,
हँस के सह लेती हो
जीवन में संघर्ष से ही होता सब हासिल,
कह हँस देती हो।
52)माँ की बेटी को यही सीख,
हाथ मत फैलाना चाहे जो भी हो हालात
सूझबूझ से डट कर करना मुक़ाबला,
निकलेगी वही से फिर बात।
53)ये जो तुम्हारे आँसू है,बहुत क़ीमती है लाडो,
यूँ ही जाया न किया करो
यूँ छोटी-छोटी बातों पर नयनों में,
ये बादलों से भरी गगरिया लिए न घूमा करो।
54)बात करो सदा न्यायसंगत,
तर्क-कुतर्क से कुछ हासिल नहीं होता
ये सीख भी बेटी को माँ के सिवा दुनिया में,
कोई ओर नहीं देता।
55)माँ की सलाह रही सदा,
अनाप-शनाप बातों को किया करो यूँ दरकिनार
तुम्हारे व्यक्तित्व पर जो सवाल उठाए,
रखो उससे हमेशा दूरी का व्यवहार।
56)हर माँ को लगती अपनी बेटी
ईश्वर की सबसे सुंदर कृति,है जो अनमोल
लक्ष्य साधने को कहती अर्जुन सा,
बनो सभ्य व शिक्षित व बोलो मीठे बोल।
57)बेटी का जीवन अनोखे अन्दाज़ व जज़्बातों से
रहता भरा हुआ
माँ कहूँ सुकून कहूँ या स्वयं ईश्वर का वरदान,
रहे बस सदा बना हुआ।
58)स्वयं पर भरोसा व ईश्वर पर अटूट आस्था,
दिया माँ ने बेटी को गुरूमंत्र
ज़िंदगी में बनाना जीतने का जुनूँ,सही सोच से,
है यही जीवन का मूलमंत्र।
59)दुःख परेशानी को समझ दोस्त,
अधरों पर मुस्कान हमेशा बनाए रखना
पर संग माँ की ये भी सीख,
ग़लती को लेकिन फिर दुबारा ग़लती से भी न करना।
60)माँ की लाडली घर की परी और कभी
कह बुलाती नन्हीं गौरिय्या
कभी बुलाए जूही की कली
,लेती रोज़ ख़ूब माँ मेरी ढेरों बलैय्या।
61)हसरतें हो जब व्याकुल,
मन की बैचेनी माँ ख़ुद ही जान जाती है
धड़कनें करती शायद रब से मुखबिरी,
मिलने माँ अचानक आ जाती है।
62)सुंदर जीवन जीने के जो सरल तरीक़े
,बिटिया को प्यार से सिखलाए
हर मौक़े पर कैसे कब नफ़ासत से करनी है बात,
धीमे से बतलाए
ज़िंदगी है एक लम्बी यात्रा,
यूँ कहने को चार दिन की कहलाए
माँ बेटी की एक सी संघर्ष गाथा,
माँ से बेटी फिर पीढ़ी-दर-पीढ़ी वही दोहराए।
63)ख़्याल जुदा रहे अलग सदा मेरे,
सोचती हूँ जब हो गम्भीर
असली विजयी कौन जीवन की जंग में,
हर लेता जो मन की पीर
हर कालखंड में माँ में ही है सारे गुण,
विश्वविजेता बनने के
दुख को बना मुस्कान ओढ़ती,
अधरों पर रखती चिरपरिचित धीर।
64)दुनिया की ख़ौफ़नाक साज़िशें,
र माँ को डराती हैं
रक्षक ही अब बन बैठे है भक्षक,
चिंता यही सताती है
बस शिक्षा व हिम्मत के गहने से
लाडली को सजाती है
समझदार बन वही बिटिया,
एक नयी राह सबको दिखाती है।
65)भूल जाती सारे दुःख दर्द यूँ अचानक देख मुझे,
दरवाज़े पर खड़ी
हकीम भी हैरान हो जाते,
देख माँ को,ख़ुद से कैसे बिन सहारे चल पड़ी
लाडली के रुख़्सार पर देख,
सुर्ख़ गुलाब सी रंगत ख़ुश होती बड़ी
बस अपने बच्चों की दुनिया में ही ढूँढती,
अपनी सारी ख़ुशियों की लड़ी।
66)माँ बेटी एक दूजे की होती है,
ख़ुशबू -ए-रूह ताउम्र यूँही
हर क्षण लगते जैसे बीते पुरफूँसँ-लम्हे
ढूँढे दोनो फिर से उन्हीं पलों को यहीं-कहीं।
(ख़ुशबू -ए-रूह=आत्मा की खुशबू| पुरफूँसँ-लम्हे=जादू के पल|)
67)पापा की डाँट से पहले बचाती,
अलग से ख़ुद फटकार लगाती
कैसा है ये प्यारा सा रिश्ता
बैठ कर फिर माँ बेटी को है समझाती।
68)माना वो थोड़ी चंचल और नटखट है
लाडली है न,चलती उससे मेरी खटपट है
नाराज़ हो अक्सर मुँह फुला लेती है
पर बात फिर मानती एकदम झटपट है।
69)माँ के हर मधुर श्वास,
हर लम्हे में बसती आयी है
याद करते ही आँखों में,
जो अश्रु भर लाई है
ये लहू के रिश्ते दुनिया में,
बने ही कुछ ऐसे है
बेटी की चिंता माँ के उर में
रहती सदा समायी है।
70)क़दम क़दम पर मिलेंगे,
कठिन कठोर पथरीले काँटों भरे साथ
अंदर से कुछ ओर ऊपर से कुछ ओर,
करते है लोग ऐसे ही बात
माँ ख़ुद डरती है मन में,भर आत्म विश्वास,
संग ले हौसले की तलवार
सूझबूझ से लेती अपने निर्णय,
न होती कभी बेबस न ही कभी बेज़ार।
71)दुनिया है ये तो लाडो,
हर राह पर गुमराह ही करेगी
अपनी सभ्यता व संस्कृति से समझौता
न करना हो बेकरार
बच्चों के लिए बनना मज़बूत हाथ
न घबराना कभी
चाहे हो जैसे भी हो जीवन के हालात
न होना यूँ बेज़ार।
72)जिसने जीवन का
ये मर्म समझ लिया
वो सच में दुनिया को भी
जान पाएगा
आदर जिस दिन बेटियों को
देना सीख जाएँगे
दुनिया से हर समस्या का हल
स्वतः ही हो जाएगा।
73)जब जब उसे बेटी नहीं
बेटा कह बुलाती हूँ
रुख़्सार पर उसके अनोखी आभा
देखती रह जाती हूँ
जिम्मेदारी का आभास वो गले मिल
मुझे जताती है
जानती हूँ वो है क़ाबिल,
व्यर्थ की चिंता से ख़ुद को हटाती हूँ।
74)मेरी राजदुलारी वो
मेरे कलेजे का टुकड़ा है
ब्यां कैसे करूँ कितना दर्द
मुझे तब होता है
बेटियाँ घर की शान बहुत ग़ुरूर
हुआ करती है
विदाई पर कैसे बताऊँ,
माँ का दिल कितना रोता है।
75) मन में भर आत्म विश्वास,
संग ले हौसले की तलवार
सूझबूझ से लेना अपने निर्णय,
न होना कभी भी बेक़रार।
नफ़ा-नुक़सान तो जीवन में होता रहता है,
न होना परेशान
रिश्तों के धनी को ही मिलता मान-सम्मान
और बहुत सा प्यार।
माँ की लाडली की शायरी यानि माँ से बेटी व् बेटी से माँ बनने के सफर की कहानी| मीठे शब्दों की कविताओ से बढ़ कर और क्या हो सकती है सुंदर प्यार की रवानी |
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रास्ता था लम्बा, मुश्किलें थी क्रूर
दिल में लेकिन मशाल जला कर चली आयी मैं इतनी दूर।