माँ के लिए क्या करें जब वह गुस्से में हों,यह सोचना ही यानि उनके प्रति अपने दिल के आंतरिक प्रेम भरे उद्द्गारों को व्यक्त करना ही है और जब एक बच्चे के रूप में यह सुंदर ख्याल आएं तो यह माँ के प्रति प्रेम का उत्कृष्ट ख़यालात दर्शाता है।जननी लिए नायाब तरीकों को ढूंडते हैं और माँ की मुस्कान को बरकरार रखते हैं।

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माँ के लिए क्या करें जब वह गुस्से में हों,प्यार भरी झप्पी,मीठे संवाद से मन उनका हल्का करें 

 

माँ के लिए क्या करें जब वह गुस्से में हों  पर 61 नायाब उपाय 

1.

माँ को ही सबसे ज्यादा चाहते हैं,दर्शाएँ 

यह सोलह आने सच है कि हर बच्चा माँ को ही दुनिया में सबसे ज्यादा चाहता है और जन्म से माँ के दिल की धड़कनों का संगीत स्वभाविक रूप से उसके हृदय में बजता रहता है।इस जुड़ाव को महसूस करना अलग बात है पर माँ को यह स्वर लहरी सुनानी भी तो चाहिए।अपना कीमती प्यार दर्शाएँ,लाड दिखाएँ।

 

2.

माँ आप का गुस्सा वाजिब होगा,यकीं दिलाएं 

माँ जोकि इस बात के लिए जानी जाती हैं कि उन्हें गुस्सा आसानी से आता ही नहीं है तो माँ आपको इतना गुस्सा जो आ रहा है निश्चित रूप से कोई बड़ी वजह ही होगी,हमें पूरा यकीं है,इस बात को आपको अपनी बात से माँ को बताना चाहिए ताकि वो शांत होकर अपने मन की बात कह पाएं और आप पूरे हृदय से स्वाकीर करें।

 

3.

जादू की झप्पी दें

माँ गर बहुत गुस्से में है तो एक प्यारी सी जादू की झप्पी उनके गले में डाल कर कह सकते हैं कि माँ आप पर न, गुस्सा जंचता नहीं है,आप हंसती हुई ही खूबसूरत लगती हो।अपने कान पकड़ कर फौरन माँ से  माफ़ी मांग ले,माँ हो सकता है थोड़ा ओर गुस्सा हो जाएँ पर आखिर में मान ही जाएँगी। 

 

4.

किसी न किसी तरह संवाद कायम करें 

गुस्सा आना एक सामान्य भाव है,माँ को भी आ सकता है पर उस समय उनसे बातचीत का माध्यम निकालना और उनके साथ संवाद को कायम करना बेहद अहम् है क्योंकि गुस्सा ज्यादा बढ़ जाने से तबियत का एकदम खराब हो जाना बेहद आम है,इस लिए बात करें।

 

5..

ओ मेरी प्यारी माँ कह कर पुकारें 

ओ मेरी प्यारी माँ,मेरी स्वीट मम्मा,आज क्या हुआ है जो आप इतनी नाराज हो,गुस्से में हों,बताओ न क्या हुआ,किसी ने कुछ मेरी मम्मी को कहा है क्या।माँ मैं आपको इस रूप में बिलकुल भी नहीं देख सकता और इसके लिए चाहे किसी से भी लड़ना पड़ें।माँ आपकी इस अदा पर मुस्कुरा देंगी।

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6.

ईश्वर से प्रार्थना करें

माँ के गुस्से को नार्मल करने के लिए भगवन से प्रार्थना करें।दुआ में,विनती में बहुत ताकत होती है और दिल से निकली सीधी बात ईश्वर तक पहुँचती भी है।दुनिया में चमत्कार होते हुए देखे जाते है तो वह प्रार्थना का ही असर होता है। अपनी प्यारी माँ के लिए प्यार से रब से बात करिए।असर होगा ही।

 

7.

स्नेहपूर्ण बातचीत करें 

माँ अगर गुस्से में है तब तो बहुत जरुरी है कि आपकी बातचीत में स्नेह झलकना चाहिए और वैसे भी सदा आदर युक्त व्यवहार रहना चाहिए ताकि माँ को गुस्सा करने की नौबत ही ना आएं।माँ को गुस्सा आना इस बात का प्रतीक है कि कहीं न कहीं कुछ चोट दिल पर लगी है।प्रेम भरे मरहम के शब्दों की जरुरत है।

 

अपनी गलती को खुले दिल से स्वीकारें 

अगर आपने माँ का दिल दुखाया है तो बिना देर किये उनसे सिर झुका कर दिल से माफ़ी मांग लें क्योंकि माँ की ही ऐसी अदालत है इस पूरी दुनिया में जहाँ माफ़ी मिल सकती है।यह भी याद रहें कि दिखावे से मांगी गई भूल की जल्दी ही पोल खुल जाती है।

 

9.

बहसबाजी तो बिलकुल भी न करें

माँ हो सकता है कुछ गुस्से में ओर बोले पर उस समय किसी भी तरह की बहसबाजी में आप न पड़ें क्योंकि यह बात को ओर ज्यादा बिगड़ देगी और कई बार गुस्सा अधिक आने पर बात सँभलने की जगह पर इस कदर उलझ जाती है कि सभी सुलग से जाते हैं।माँ को शांत करना है न कि औरों को गुस्सा दिलाना है।

 

10.

उन्हें कुछ पल के एकांत में रहने दें 

माँ को कुछ पल के लिए अकेला छोड़ दें पर निगाह में रखें कि कहीं गुस्से में वह कुछ ओर न सोच लें।जब दिमाग में कोई गुस्से वाली बात घूम रही होती है तो एक बार को दिमाग लगता है जैसे साथ ही नहीं देता है।कुछ मिनटों में पुन सक्रिय होकर ठीक से सोचने लगता है।माँ को भी सोचने का मौका दें।

 

11.

माँ की परेशानी को जानने की कोशिश करें

बहुत आराम से आप माँ का मूड देख कर पूछ सकते है कि माँ अगर आप अपनी परेशानी मुझे शेयर करेंगी तो मुझे अच्छा लगेगा और मैं पूरी कोशिश रहेगी कि समस्या का कोई हल निकाल सकें ताकि मुझे मेरी पहली वाली हंसती हुई माँ वापिस मिल जाएँ।माँ आपसे बात करेंगी हो सकता है थोड़ा रुक कर करें।

 

12.

धैर्यशील श्रोता बनें 

माँ के गुस्से को शांत करने के लिए एक बहुत ही धैर्यशील श्रोता बनना जरुरी है क्योंकि माँ जब कहेंगी तो भावुक होकर रो सकती है या निराशा भरी बातें कर सकती हैं।यह समझने की आवश्यकता है कि उस समय उनका स्वयं पर वह नियंत्रण नहीं है,ऐसे में सिर्फ धैर्य से सुनिए और कुछ नहीं करना है क्योंकि सिर्फ सुनने से भी मन हल्का हो जाता है।

 

13.

सकारात्मक सोच बनाने में मदद करें 

ऐसे में माहौल को एक सकारात्मकता बनाना स्वयं में एक बड़ी चुनोती है क्योंकि घर में एक नेगटिवटी आ जाती है।किसी को एक बार में समझ नहीं आता कि क्या हुआ और क्या करें।आपस में बाकि लोग पॉजिटिव रहने की कोशिश करें ताकि थोड़ी बातचीत का वातावरण तैयार हो सकें।

 

14.

उनके साथ समय बिताएं

माँ को गुस्सा इस स्थिति में भी अक्सर अ जाता है जब बच्चे खुद को अधिक व्यस्त बता कर उनके साथ समय नहीं बिताते हैं तो भी उन्हें अपना रौद्र रूप दिखाना पड़ जाता है।माँ के साथ उस समय होना नितांत आवश्यक है चाहे आपका कितना भी जरुरी काम क्यों न रह जाएँ।आखिर सबसे पहले माँ ही होनी चाहिए।

 

15.

गहरी साँस लेने को कहें 

माँ को गुस्से में देख कर पहला कदम उन्हें स्वयं पर नियंत्रण को बनना है जो कई बार माँ नहीं कर पाती है तो ऐसे में माँ से कहें माँ ठीक है अभी आपसे  बात करते है पर आप गहरी लम्बी साँस लीजिये ताकि आपकी तबियत ख़राब न हो जाएँ।माँ पर आपके चिंता व्यक्त करने का असर हर हाल होगा।

 

16.

बर्न आउट 

लगातार तनाव में रहने से माँ को बर्नआउट की स्थिति बन जाती हैं जिसमे थकावट और हर वक्त एक भारीपन महसूस होने लगता है जो माँ को उस हाल तक ले जा सकता है जहाँ उन्हें अपने जीवन से भी मोह कम होना शुरू हो जाता है और ऐसे में अक्सर अपने ऊपर नियंत्रण खोकर व्यक्ति को बहुत अधिक गुस्सा आने लगता है।इस स्थिति को देखें व् माँ के साथ खडें होकर उनका ध्यान रखें।

 

17.

बी पी को तुरंत चेक करें 

माँ को थोड़ा बात करके उनका बी पी लेने की कोशिश करें क्योंकि ऐसे में ब्लडप्रेशर बढ़ा हुआ होता है और हो सकता है उस दिन माँ अपनी दवाई लेना भूल गयी हों तो भी गुस्सा छोटी सी बात पर भी आ सकता है।माँ की दवाई का बॉक्स एक बार देख लें ताकि आप जान सकें की मेडिसिन ली है या नहीं,अगर नहीं ली है तो फौरन उन्हें दवाई दें।

 

माँ के गुस्सा होने पर खुश करने के तरीके 

 

18.

अपराध बोध न पनपने दें 

माँ को गुस्सा आना यानि घर में सब को हैरानी से माँ को देखना मतलब यह मान लिया गया है कि माँ को तो सहना है पर खुद वह अपना रोष नहीं दिखा सकती।यह सोच अपनेआप में गलत है।माँ इस घर की मालकिन हैं उन्होंने ही सब की जिम्मेदारियां संभाली हुई है और माँ को भी पूरा अधिकार है गलती पर गुस्सा दिखाने की।किसी अपराध बोध को माँ में न आने दें।

 

19.

वित्तीय अस्थिरता 

परिवार में पैसों की तंगी भी बहुत लम्बे समय तक चलने पर एक भारी संकट बन माँ को परेशां कर सकता है और इस दिक्कत को वह किसी से कभी कहेगी भी नहीं।आप को इस बात को परखना होगा व् सीधे भी आप माँ से इस बारें में बात कर सकते हैं।अपनी तरह से खर्चे कम करके या सहायता करके माँ को आराम दे सकते हैं।

 

20.

किसी खास वजह से गुस्से का ट्रिगर होना

कई बार किसी खास वजह से किसी का भी गुस्सा ट्रिगर करता है।ऐसे में बचपन से आप माँ के साथ हैं और जन सकते हैं कि किस बात पर उन्हें एकदम गुस्सा आता है जैसे साफ़ सफाई माँ को घर में गंदगी दिखने पर,समय पर सबके खाना न खाने से रसोई में घिरे रहने पर आदि।इसे चेक करें और वो स्थिति न बने,स्वयं व् औरों को भी ध्यान रखने के लिए कहें। 

 

21.

माँ के एक हाथ से अपने गाल पर मारने को दर्शाएँ

माँ के एक हाथ को पकड़ कर अपने गाल पर मरने की मुद्रा बना सकते हैं और बोल सकते हैं लो माँ आप आज बस मेरी पिटाई कर ही दो,पर ऐसे गुस्से में न रहो मुझे रोना आ जाएगा क्योंकि माँ आपको दुखी करने की तो मैं सपने में भी नहीं सोच सकता हूँ।माँ पिघल जाएँगी।

 

22.

रसोई से बेलन लाकर माँ को दें 

यह है तो बहुत फनी सी बात पर माँ के गुस्से को हंसी में बदल सकती है क्योंकि आपको वही एक्टिंग करके दिखानी है जैसी माँ नकली गुस्सा दिखाते हुए आपको बेलन दिखाती है मारने के लिए जैसे-आपके खाना न खाने पर,समय पर न खाने  पर या किसी भी बात को न मानने पर दर्शाती है।आज आप आजमा सकते है पर ध्यान से।

 

23.

स्वयं उदास हो जाएँ

माँ अगर गुस्से से बाहर नहीं आ रहीं है तो आप स्वयं भी उदास सा चेहरा लेकर एक तरह बैठ जाएँ क्योंकि कितना भी गुस्सा आ रहा हो चाहे आप पर ही आ रहा हो पर अपने बच्चे का उदास चेहरा माँ से बर्दाश्त नहीं हो पाता है,माँ गुस्से से बाहर निकलने की पूरी चेष्टा करेंगी।बस अब आप भी खुश और माँ भी खुश।

 

24.

माँ किसी दुखद घटना से गुजरी हों

घर में कई बार किसी दुखद घटना से उबरने के लिए एक मजबूत मानसिक तैय्यारी चाहिए होती है जो सब  कोशिश भी करते हैं।आप जानते ही होंगे कि माँ जो की एक सवेंदनशील महिला हैं  और अचानक घटना के याद आने से और कहीं खुद को उसके लिए वजह मान कर भी उन्हें गुस्सा आ रहा हो।माँ को सांत्वना दें,और वह स्वयं को किसी बुरी घटना के लिए दोषी न मानें

 

25.

मॉम रेज एक आम समस्या

माँ जो अपने मन की समस्या को जाहिर नहीं करती हैं या नहीं कर पाती हैं और जब कभी उन्हें ये सब सहन नहीं होता है तो ऐसे में गुस्सा अचानक बहुत तेजी से आता है और कुछ समझने और समझाने की स्थिति बन ही नहीं पाती है।उन्हें बोल लेने दिया जाएँ ताकि उनके मन का सारा गुस्सा निकल जाएँ।बाद में बात करें।

 

26.

अवास्तविक उम्मीदों से उन्हें बचाना है 

माँ एक बेहद जिम्मेदार इन्सान है और मम्मता वश बहुत बार मन न होते हुए भी अपने बच्चों व् परिवार के लिए सहन कर जाती है पर अब यह सोच लेना कि हर जिम्मेदारी उन्हीं की है और उनसे ही कर पाने की उम्मीदे रखना स्वयं में एक स्वार्थ भरी सोच है।वास्तविक उम्मीदें रखिए और सहयोग दीजिये।

 

27.

खुद से प्यार करने की बात करें 

माँ का गुस्सा जब थोड़ा सा शांत हो जाएँ तब प्यार से उन्हें याद दिलाएं कि आप नाहक ही परेशां हो रहीं है छोड़िये, इन सब बातों को।आप को खुद से पहले प्रेम करना है माँ- फिर बाकि दुनिया से। ऐसे ही अपने मन की शांति को भंग मत करिए।जीवन छोटा सा है और सुंदर भी है।माँ को अच्छा लगेगा।

 

28.

पसंद का संगीत सुनाएँ

संगीत में ऐसा जादुई असर होता है जो बेहद निराश वाली सिचुएशन में भी मूड को दुरस्त कर सकता है,बस शर्त यह है कि माँ की पसंद वाला ही संगीत हों। माँ को यदि भजन,ग़ज़ल,पुराने फ़िल्मी गाने या लोक संगीत जो भी सबसे ज्यादा अच्छा लगता हो उसे चुपके से माँ के आस-पास में चला दें,आप देखेंगे माँ का गुस्सा ठंडा होता जा रहा है।

 

29.

बिलकुल शांत रहें 

माँ को जब भी गुस्सा आएं तो हमेशा घर में बाकि लोगों को यह ध्यान रखना चाहिए कि अन्य सब खुद शांत रहें और आप खासतौर पर, क्योंकि गुस्से में समय मनस्थिति सुनने वाली होती ही नहीं है। जब कोई भी बात को काटेगा नहीं तो माँ जो स्वभाव से शांति प्रिय है वह भी खामोश हो जाएँगी और खुद को भी शांत रहेगी।

 

 30.

नींद में खलल न डालें 

माँ को गुस्से के समय थोड़ा समय दें और अगर सोने का मन हों तो सोने दिया जाएँ और सोने के लिए प्रेरित भी करिए ताकि नींद आने से उनके दिमाग को शांत होने में मदद मिलें।नींद आने की स्थिति में बिलकुल भी खलल न डालें उन्हें जब तक चाहे सोने दें।इससे वह अपने ऊपर नियंत्रण कर पाएंगी।

 

31.

पितृसत्तात्मक व्यवस्था में परिवर्तन लाने की कोशिश करें 

समाजिक ताना-बाना कुछ ऐसा बना हुआ है कि इस व्यवस्था में सबसे ज्यादा जिम्मेदारी माँ के ऊपर व् अन्य बड़े लोग अक्सर आलोचनात्मक व्यवहार दिखाते रहते हैं जो बेहद ख़राब स्थिति है।माँ अंदर ही अंदर घुटती रहती हैं और बहुत ज्यादा सहन करने के बाद जब गुस्सा आएगा तो विस्फोटक ही होगा। आप इस व्यवस्था में सुधार लाने की कोशिश करें।

 

32.

पापा संग कोई अनबन हुई हों 

हो सकता है कि पापा से कोई अनबन हुई हों और किसी बात ने उन्हें गहरा आघात दिल पर पहुँचाया हो,लेकिन पापा ने उसे पूछने की जरूरत भी न समझी हो,जैसा कि वह अक्सर कर भी देते हैं।ऐसे में माँ को तसल्ली दीजिये कि हर स्थिति में आप उनके साथ हैं और आप स्वयं पापा से बात करेंगे।माँ का दिल थोड़ा संयत होगा कि उनके बच्चे उन की पीड़ा को समझते हैं।

 

33.

उनके कार्यस्थल का तनाव हो सकता है 

माँ अगर कामकाजी हैं तो हो सकता है कि उनके कार्यस्थल का तनाव भी उन्हें गुस्सा दिला रहा हो।काम में अक्सर जब कोई नियत समय पर कार्य करके दिखाना है और किसी भी वजह से नहीं होने की श्थिति में एक चिडचिडापन आ ही जाता है और नतीजा गुस्से के रुप में निकलना।इस बात को देखें और मदद करें।

 

34.

 अकेलेपन से परेशां हों 

बच्चों के बड़े होने के बाद माँ खुद को अकेला मान परेशां रह सकती है क्योंकि पहले जरूरत से ज्यादा काम और अब एकदम से खाली रहना माँ को अखर सकता हैं।माँ की अपनी रूचि वाले कार्यों के प्रति उनका रुझान देख कर उन्हें करने के लिए प्रेरित करें।खाली वक्त को इस्तेमाल करना सिखाइए।

 

माँ के गुस्से को खत्म करने के व्यवहारिक सुझाव 

 

35.

घर के माहौल में अचानक से कोई परिवर्तन का होना 

कई बार किसी ऐसे व्यक्ति के आगमन से जिसनें परिवार में आपसी कटुता को पहले बढाया हो या कोई अप्रिय बात पर लम्बी बहस का हो जाना या अचानक  घर के किसी सदस्य का गंभीर रूप से बीमार हो जाना,आकस्मिक हुई बुरी चीजों के लिए मानसिक रूप से तैयार न होने से भी माँ को गुस्सा आ सकता है।माँ को तसल्ली दीजिये।

 

36.

किसी रिश्तेदार द्वारा दिल को चोट पहुंचना 

माँ क्योंकि दिल से बहुत सवेंदनशील हैं व् कभी किसी को अपने शब्दों द्वरा चोट पहुंचा ही नहीं सकती लेकिन कई रिश्तेदार ऐसे होते हैं जिनका काम दूसरों को दुखी करना ही होता है।आप को ऐसे में आगे बढ़ कर माँ को पूरा सहयोग देना है,बाद में आराम से बात करें,लेकिन जब वह गुस्से में हो तो उस समय बिलकुल भी नहीं कुछ कहना है। 

 

37.

कहीं आप की बहन भाइयों से अनबन तो नहीं है 

हर माँ की तरह आपकी माँ भी सब बच्चों में एक सौहाद्रपूर्ण व्यवहार की अपेक्षा रखती हैं।आप देखिये कि कहीं आप बहन-भाइयों की आपसी खींचतान,एक दूसरे पर व्यर्थ के दोषारोपण करना या हर वक्त एक दूजे को चिढाना-यह सब माँ का गुस्सा दिलवा सकते है या बढ़ा सकते हैं।अगर थोड़ा सा भी ऐसा है तो माँ को ऐसा न होने देने का आश्वसान दें।

 

38.

बच्चों के खराब रिजल्ट तो वजह नहीं है

माँ के लिए अपने बच्चों के रिजल्ट हमेशा प्राथमिकता पर होते हैं और ख़राब परिणाम हमेशा एक गहन चिंता का विषय।आप देखिये कहीं इसी वजह से तो माँ की परेशानी अचानक गुस्से के रूप में सामने आ रही हों।आप अपने बहन भाइयों की पढाई में क्या कर सकते है,इसके लिए माँ को तसल्ली दें ताकि वो अच्छा महसूस कर पाएं।

 

घर में लगातार कमियां को निकलने को कम करने में मदद करें 

ज्यादातर घरों में एक आम समस्या यह भी है कि हर कोई जैसे जन्मसिद्ध अधिकार ले कर पैदा होता है कि कुछ भी गड़बड़ हो तो माँ ही जिम्मेदार मानी जाएँगी,यह एकदम गलत है।माँ के साथ अगर ऐसा हो रहा है तो तुरंत इस चीज़ को बंद करवाने में माँ के साथ दृढ़तापूर्वक खडें होते हुए दिखाई देने चाहिए।

 

40.

माँ को आत्म निर्भर बनाइए 

माँ को अक्सर पैसों की तंगी से झूझते हुए कई बार आपने भी देखा होगा,पापा द्वारा समय पर घर खर्च के लिए पैसों को न दे पाना,अचानक आए शादी ब्याह या किसी ओर अवसर के लिए खर्चे का बढ़ जाना,यह सब माँ की दिक्कत को बढ़ाता है और एक मानसिक दवाब भी बनता है।माँ को आत्म- निभर बनाने में सहयोग दें।

 

41.

बच्चों के खराब रिजल्ट तो वजह नहीं है

माँ के लिए अपने बच्चों के रिजल्ट हमेशा प्राथमिकता पर होते हैं और ख़राब परिणाम हमेशा एक गहन चिंता का विषय।आप देखिये कहीं इसी वजह से तो माँ की परेशानी अचानक गुस्से के रूप में सामने आ रही हों।आप अपने बहन भाइयों की पढाई में क्या कर सकते है,इसके लिए माँ को तसल्ली दें ताकि वो अच्छा महसूस कर पाएं।

 

42.

आपसी रिश्तों में टकराव का होना

 कई बार अनकही और अनचाही बातों का रिश्तों पर असर खुदबखुद आने लगता है।रिश्तों में स्टेटस,नौकरी में असामनता आपसी संबंधों में एक खिंचाव सा ला देता है और माँ अपने बच्चों के बीच उपजी असमानता से अंदर से दुखी होकर गुस्से व्यक्त कर देती हैं।माँ को समझने की जरूरत है न कि उन्हें समझाने की।

 

43.

लगातार काम का दवाब को समझिये 

माँ के ऊपर आपने कभी महसूस किया एक लगातार दवाब बना रहता है क्योंकि सब की कोई न कोई फरमाइश चलती रहती है जिसे पूरा करने में किसी भी माँ को परेशानी होती ही नहीं,पर शरीर को थोड़ा आराम भी चाहिए होता है।माँ के साथ घर के कामों में सब मिलकर हाथ बंटाएं और माँ को गुस्से से निजात दिलवाएं।

 

44.

घर में माँ की सहायता के लिए मेड्स का इंतजाम करें 

जैसे जैसे आप बड़े होते जा रहें है ठीक वैसे ही माँ की उम्र भी बढ़ रही हैंपर जिम्मेदारियां कम होने की जगह ओर बढती जा रही हैं।ऐसे में माँ की सहायता के लिए घर मेड्स का इंतजाम करे ताकि उन्हें कुछ आराम मिल सकें।कामों की अधिकता भी माँ को गुस्से की जगह आप के संग समय बिताने के लिए कहेगी।

 

45.

एक भावुक पत्र लिखें 

एक वही पुराना पीला ख़त यानि पोस्टकार्ड ले आएं और उसी तरीके से उसमें माँ के लिए हृदय की पाती लिखें और उन्हें गुस्सा न करने और हर किसी की तरह से माफ़ी मांगते हुए भावुक पत्र लिखें।उनके बिना जीवन की कल्पना मात्र से आप उदस हो गए है,जाहिर करें। माँ का गुस्सा छूमंतर हो जाएगा।

 

46.

एक कविता लिख कर उन्हें भेजें 

माँ जब गुस्से में हों तो उनके व्हाट्सएप्प पर या एक छोटे से कार्ड पर कोई उनकी तारीफ में या उनके योगदान के प्रति आभार जताते हुए लिख कर भेंजे।हो सकता है वह उसी समय उसका जवाब न दें पयेह क्योंकि उनका मन उदास है पर बाद में वह इस प्रयास की प्रशंसा जरुर करेंगी।

 

47.

एक छोटा सा फूलों का गुलदस्ता दें 

माँ को उनके पसंद का एक सुंदर सा गुलदस्ता बनवा कर उसमें एक अच्छी सा कोट्स या लाइन लिख कर प्यार से दें और मुस्कुराते हुए उनके हालचाल पूछें यह दिखाते हुए कि माँ आप फूलों की तरह मुस्कुराती हुई ही खूबसूरत दिखती हैं।माँ गुस्से के बावजूद धीमे से हंस देंगी।

 

48.

हेल्थ चेकअप कराएँ 

माँ को हो सकता है कोई शारीरक या मानसिक सेहत सम्बंधित परेशानी हो जिसकी वजह से भी माँ को इस तरह से गुस्सा आता हो या अचानक से क्रोध आ जाएँ।पूर्ण हेल्थ चेक-अप से एक तो सभी कारणों का पता चाल जाएगा और यदि कहीं भी कोई समस्या नज़र आएगी तो समय रहते उसका उचित इलाज भी हो जाएगा।

 

49.

न्यूरोलोजिकल परीक्षण करवाएं 

मानसिक अवसाद एक ऐसा कारण है जो अक्सर अपने मन की बात को न कहने की वजह से भी कभी हो सकता है और माँ वह तो कभी भी अपनी किसी भी दिक्कत को या परेशानी को कहेंगी ही नहीं।ऐसे में न्यूरोलोजिकल परीक्षण करने से सही कारण का पता चल पायेगा व् इलाज भी हो जाएगा।

 

50.

हार्मोनल समस्या हो सकती है

माँ को उम्र के साथ साथ हार्मोनल समस्या भी हो सकती हैं,ऐसे में कई बार मूड स्विंग या एक थोड़ा स्वभाव में रोष सा आ जाता है।ऐसे में रास्ता एक वहीं है कि डाक्टर से माँ को मिलवाएं और दवाई और योग व् जैसा भी चिकिस्तक बताएं,उसे ठीक से पालन करें।माँ का गुस्सा गायब होता जाएगा।

 

51.

ऑनलाइन थेरेपी की मदद लें

अब जमाना ऑनलाइन का है तो किसी भी प्रकार की थेरेपी भी मुमकिन हैं।आप किसी जाने पहचाने या प्रसिद्द डाक्टर से संर्पक करके माँ से सीधे बात करवा सकते हैं और उनके निर्देशानुसार माँ के टेस्ट्स करवा के माँ को रहत महसूस करवा सकते है और उनके गुस्से से उन्हें हमेशा के मुक्ति दिलवा सकते हैं।माँ भी पहले की तरह खुश और आप भी।

 

माँ के गुस्से को नियंत्रित करने पर सुंदर सलाह 

 

52.

मैडिटेशन 

माँ को प्यार से कुछ देर मैडिटेशन करने या खुद भी साथ में ध्यान प्रिक्रिया में बैठ जाना चाहिए।माँ स्वयं भी नहीं चाहेंगी कि वह गुस्सा दिख्यें पर उन्हें जब क्रोध आ रहा है और प्यार से ऐसा करने को कहेंगे तो वह मान जाएँगी और ध्यान से उनके अंदर का गुस्सा खुद ही धीमा होकर उन्हें शांत कर देगा।

 

53.

व्यायाम

गुस्से की स्थिति में हल्का सा व्यायाम या थोड़ा सा भी शरीर की मूवमेंट ऐसे हालात में बहुत काम कर जाती है।माँ अगर आप से गुस्सा हैं तो हो सकता है कि बात को टल जाएँ पर यदि आप से नाराजगी की कोई वजह नहीं है तो हो सकता है मान जाए और ऐसा करने से उनका मन शांत होगा।

 

 54.

माँ के सपनों को जानें  

हो सकता है माँ अपने किसी सपने को साकार करने के काम के लिए काफी समय से प्लानिंग कर रहीं हों और घर की जिम्मेदारियों,कार्यों ,मेहमानदारी या अन्य किसी भी वजह से न कर प् रही हों तो ऐसे में जब कई बार बेवजह बात पर भी न चाहते हुए गुस्सा आ सकता है।जानने की कोशिश करे व् माँ का साथ दें।

 

55.

परामर्शदाता से सलाह लें 

हम अक्सर हर परेशानी को खुद ही निदान ढूंडने की जुगत लगते रहते हैं और बहुत बार सफल हो भी जाते हैं।मन की गुत्थियों को सुलझाना इतना आसान होता नहीं है जितना लगता है।मन के जाकर कोई नजदीकी रिश्तेदार या इस कार्य के कुशल लोग जिन्हें काउंसिलर कहते है,उनसे संर्पक करके इसका सही तरीका अपनाएं।

 

56.

पसंद की कोई डिश बना कर खिलाएं 

माँ को अब कोई उनकी ही पसंद की डिश खुद से बना कर खिलाएं और जैसे वह आपको लाड-प्यार से मनुहार करके खिलाती ईन है जब जब आप रूठे है तो ठीक वैसे ही आपको भी माँ के नखरे आज उठाने होंगे।माँ का गुस्सा फिर कैसे टिकेगा उसे तो गायब होना ही पड़ेगा न।

 

57.

माँ की थाली पौष्टिकता से भरपूर है न 

माँ किआ बार बचा खुचा जो भी होता है उसे ही खाती हैं और पूरे परिवार के स्वास्थ्य की चिंता करने वाली माँ स्वयं के प्रति थोड़ी लापरवाही करती है।शारीरक रूप से कमजोर होने पर भी कई बार गुस्सा छोटी छोटी बात पर आ जाता है,इसलिए माँ की थाली में पौष्टिक आहर से भरी हो,इस पर ध्यान जरुर दें।

 

58.

कहीं बाहर घूमाने ले जाएँ 

माँ का मूड जब ठीक न हो या लग रहा हो तो ऐसे में आप माँ किसी बहाने से बाहर ले जाएँ ताकि वह उस परिस्थिति से निकल जाएँ वह नार्मल होकर फिर से अपने सामान्य व्यवहार में आ जाएँ।बाहर उनकी पसंद की जगह हो सकती है या जहाँ वह जाने की सोच रही हूँ वहां ले सकते है।आराम से वहा बात करें

 

59.

माँ को किसी कल्याणकारी संस्था से जोड़ें

माँ क्योंकि हर वक्त अगर घर में ही रहती हैं तो उन्हें कुछ ऐसे कार्यों से जोड़ने का प्रयास करें जहाँ जाने से उन्हें मानसिक सुख का अनुभव हो,जैसे अनेक बच्चों से जुडी,महिलाओं से सम्बंधित कल्याणकारी संस्थाएं समाज में है जहाँ जाने पर हम एक आत्मसंतोष की भावना से भर कर खुद पर गर्व महसूस कर पाएंगी।माँ को ऐसी संस्थाओं से जोंड़ें।

 

60.

उनकी रुचियों में इंटरेस्ट दिखाएँ 

माँ घर के हर काम में बहुत सुघड़ मानी जाती है और कहीं न कहीं अणि इन्हीं गुणों को आधार बना कर व्यवसाय का रूप भी देना चाहती हैं पर घर के बड़े जब एक सिरे से नकारते है तो वो पीड़ा गुस्से में बाहर आ सकती है।माँ को बताइए कि अब उनके बच्चे उनका साथ देंगे और उनके सपनों को पूरा करने में पूरा सहयोग। 

 

61.

माँ हैं तो दुनिया है 

माँ जब गुस्से में हैं तो उबके दिल व् दिमाग पर इसका असर आएगा ही क्योंकि गुस्से शरीर के लिए बेहद घटक है।अपने को संयत करके फिर माँ से बात करके उन्हें जल्दी से जल्दी शांत अवस्था में लाना बहुत जरुरी है।माँ हैं तो ही दुनिया सारी अपनी लगती है वर्ना यहां कौन किसका है।आपकी माँ है आपकी बात को सुनेगी भी और मानेगी भी।

 

माँ के लिए क्या करें जब वह गुस्से में हों पर बेहद आसां और सरल तरीके बताने की कोशिश की है जिससे अपनी जननी के गुस्से को शांत कर सकें।प्यार से पढ़िए माँ के गुस्से को कम कैसे करें पर अनमोल उपाय।COMMENT BOX में अपनी राय भी लिखिए जरुर।