माँ के साथ दोस्ती कैसे करें का ख्याल ही माँ के साथ मित्रता का भाव दर्शाता है। माँ को अभिन्न दोस्त मान कैसे दोस्ती कर सकते हैं,इसी उम्द्दा विचार को आप सबके संग बाँटने आई हूँ।
(ब्लॉग के अंत में माँ के लिए जज्बात भरी कविता को जरुर पढ़िए)
माँ के साथ दोस्ती कैसे करें-ले दिली सुंदर ख्यालात ,बढ़ा कर अपना हाथ
माँ के साथ दोस्ती कैसे करें पर बेहतरीन 49 अनमोल विचार
1.
माँ आपकी ताक़त हैं,महसूस कीजिए
जिन्दगी में माँ की जरुरत को महसूस कीजिये उन सब लोगों की सोच कर जिनके पास माँ ही नहीं है।जीवन कितना बोझिल और बेमकसद सा दिखता है। हालातों से लड़ने का जज्बा जागने वाला कोई नहीं दिखता है।माँ यानि एक ऐसी दोस्त हैं जिनके रहते आप महफूज़ है,जीवन में बसंत ही बसंत है। आपके साथ कोई एक ऐसा मजबूत सहारा है जो गहन तमस में जुगनू सा संग- साथ रहता है।ईश्वर को धन्यवाद दें कि आपके पास माँ है।
2.
माँ एक स्वाभाविक और सबसे भरोसेमंद दोस्त हैं
माँ और मातृत्त्व दुनिया का सबसे खूबसूरत अहसास है और जन्म से पहले ही वो आपकी सबसे भरोसेमंद और बेहद स्वाभाविक दोस्त है,यह निर्विवाद रूप से सर्व मान्य है ही।आप भी अगर ऐसा ही मानते हैं तो बिलकुल ठीक मानते हैं। जिसे ईश्वर ने सारी जिन्दगी के लिए आपके भेजा है उस मित्र को हमेशा दिल से सम्मान और प्यार दें और बदले में ढेर सारा स्नेह पाइए।
3.
माँ की मित्रता का महत्त्व जानिए
माँ जो आपकी दोस्त हैं पहले से ही पर अभी कभी-कभी आप थोड़ा हिचकिचाते है,अपनी बातों को शेयर करने में। यही बात हैं न,क्योंकि आप डरते हैं कि पता नहीं आपकी बात से उन्हें बुरा न लग जाए।दिल से ना लगा लें या पता नहीं क्या-क्या सोच लेते हैं।माँ को सबसे पहले अपनी मित्र दिल और दिमाग से मानिए और खुल कर अपनी सारी बातें शेयर करें और देखिये कितने आसान और महत्त्वपूर्ण तरीकों से आप खुश हो जायेंगे।
4..
आभार जताइए उन्हें दोस्त बनाइए
जीवन को सही राह दिखाने जीवन की पहली गुरु के प्रति अपना जब किसी भी तरीके से अपना आभार जताते हैं तो माँ को स्वाभाविक रूप से अच्छा लगेगा। यह बात दूसरी है कि किसी भी माँ की यह अपेक्षा नहीं होती है और ना ही किसी से लेने की इच्छा से वो अपने कर्तव्य को निभाती हैं।माँ के इतने सारे काम हैं कि आभार देने के लिए आपको यह सोचना पड़ेगा कि आप के पास शब्द कम पड़ जायेंगे कि किस-किस चीज़ के लिए आभार करें। बस शुरुआत करिए।
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5..
सकारात्मक रिश्ता बनाएं
यूं तो खून के रिश्ते एक अटूट बंधन में बंधे होते हैं पर जिस तरह से भागती-दौड़ती जिन्दगी की रफ़्तार है तो ऐसे में रिश्तों में दरारें परिवारों में आने लगी हैं।अपने रिश्तों को टटोलने की जरुरत आज सभी को है।घर है तो तकरार भी किसी न किसी बात में हो जाती ही है। रिश्तों में सकारात्मक भाव बनाने के लिए माँ को जब आप एक मित्र रूप में देखेंगे और मानेगें तो स्थितियां अलग नज़र आएगी।
6.
दोस्ती करने में पहल करें
जब कोई अच्छा लगता है किसी भी वजह से यानि विचारों से,अपने उत्तम आचरण से,अपनी मीठी बोली से या अपने सामाजिक कार्यों से। आप हर हाल में ऐसे लोगों को अपना दोस्त बनना चाहते है ताकि आप भी वैसे हो पाएं या आपको भी जिन्दगी में कुछ नया मुकाम हासिल हो सकें।माँ तो सर्वगुणसंपन्न हैं एक दोस्त भी एक सलाहकार भी एक करुणामयी,सवेंदनशील और प्यार और ममता की जीती-जागती ईश्वरीय कृति।आगे बढ़कर पहल करें और ताउम्र एक बेमिसाल दोस्त पाएं।
7.
सवांद बढ़ाएं
माँ से बातचीत यूँ तो पहले शब्द को बोलते ही शुरू हो जाती है पर ज्यों-ज्यों बच्चा बड़ा होता जाता है तो एक अनचाही दूरी आने लगती है।कभी नौकरी की व्यवस्ता तो कभी अन्य कार्यों में ज्यादा समय दिया जाना। जीवन में वर्णमाला को सिखाने वाली माँ से सवांद हमेशा बनाये रखें। माँ से बढ़ कर पूरी दुनिया में एक श्रोता नहीं मिल सकता और ना ही मन से मन का संवाद समझने वाला।
8..
अर्थपूर्ण बातचीत करें
दोस्त के साथ अक्सर वाद-विवाद की स्थिति भी बन जाती है जब किसी विषय पर विचार टकराते हैं और बहसबाजी भी हो जाती है। पर क्या हम नाराज होकर नकारात्मक व्यवहार करते हैं-कभी नहीं। थोड़ी देर में आपस में मूड ठीक करके फिर से वैसे ही हो जाते हैं।माँ के साथ जरा ज्यादा अधिकार की भावना रहती है और हम कई बार बुरा मान कर भला-बुरा भी कह देते हैं यानि व्यवहार में नकारात्मकता सी आ जाती है जोकि बिलकुल गलत है। हर हाल में सकारात्मक बन कर अर्थपूर्ण बातचीत करेंउनकी परेशानी को भांपने की कोशिश करें
9.
उनके कार्यों की तारीफ करें
माँ के कार्यों को हम मानते तो है पर उनकी तारीफ भी करनी होती है यह माँ ने भी स्वयं बच्चे को नहीं सिखाया।दूसरों के प्रति आदर भावना करने का गुण उन्होंने जरुर विकसित किया है।सुबह से शाम तलक तक अनवरत कामों में उनकी निष्ठा और समर्पण भाव की जम कर तारीफ करनी चाहिए।क्या सोच रहें है- बढिए और माँ को प्रसन्न भावना से उनकी तारीफ भी खूब करिए।
10.
मन की बात करने के लिए किसी मौके की तलाश न करें
माँ से बढ़ कर कोई सिपहसालार नहीं हो सकता क्योंकि बच्चों के लिए सिर्फ वो भलाई और प्रगति ही चाहती है।बिना कहे भी बच्चे के मन के उत्साह और पीड़ा को पकड़ने का गुण माँ को ईश्वर प्रदत मिला है।मन की बात के लिए अवसर नहीं आपको किसी मौके की तलाश करने की जरूरत ही नहीं है,बस आज ही कह डालिए और माँ को और भी अधिक अपने पास पाइए।
11.
प्यार से जादू की झप्पी दें
फिल्म मुन्ना भाई से यह शब्द बहुत लोकप्रिय हुआ पर जिसने भी इसे इस्तेमाल किया वो इसके मर्म को समझ पाया। जादू की झप्पी से माँ को रिझाए और एक ताउम्र की सहेली हमेशा पाइए।हैप्पी हारमोंस को बढ़ाने के लिए इस जादुई ट्रिक को अपना कर अपने माँ को अपनी सबसे अच्छी मित्र बनाने का मौका बिलकुल भी नहीं गवाना है।बस आज ही अपनाइए और माँ से बेमिसाल दोस्ती पाइए।
माँ के साथ मित्र भाव जागने पर सुंदर उपाय
12.
उन्हें जैसी भी हैं वैसा ही स्वीकार करें
किसी माँ से अगर पूछा जाए कि दुनिया में सबसे सुंदर कौन है तो एकदम से हर माँ अपने बच्चे को ही बताएगी। यह सर्व सत्य तथ्य है और इस पर किसी भी प्रकार का तर्क- वितर्क हो ही नहीं सकता।माँ सृजनहार है और अपनी कृति पर उसे नाज है और आपको ?आप भी सबसे ज्यादा अपनी माँ को ही चाहते हैं पर कई बार टी.वी वाली मम्मी से प्रभावित भी हो जाते है जो की वास्तविकता है ही नहीं।चाहे जिस रंग की और किसी भी बोली की भाषा वो बोले, वो ही वैसी ही माँ स्वीकार्य होनी चाहिए। दोस्त बनाते हुए भी कभी सोच कर बनाते है क्या?
13.
माँ की तुलना औरों से न करें
क्या आप भी ऐसी गलती करते हैं कि किसी न किसी बात पर माँ की तुलना औरों से करते रहते हैं,जैसे आप तो online शौपिंग ही नही कर पाती हो,इन्स्ताग्राम या फेसबुक को इस्तेमाल ही नहीं करती हो,डिजिटल पेमेंट भी करना नहीं आता। माँ हैं वो आपकी जिन्होनें आपको इस काबिल बनाया कि आप आज दुनिया में कदम से कदम मिला कर चल रहे हो। आलोचना नहीं एक दोस्त को जैसे सिखाते हैं ठीक वैसे माँ को सिखाइए और एक शानदार दोस्त को बदले में पाइए।
14.
वयस्त होते हुए भी फ़ोन के लिए समय जरुर निकालें
माना माँ की मेहनत व् उत्तम व्यवहार से आप बहुत अच्छी नौकरी में लगे हैं और दिन रात अपने जूनून से आगे तेज गति से बढ़ भी रहें हैं।माँ से हर रोज बात तो होती है न। क्या कहा नहीं हो पाती? कितने भी व्यस्त हो और चाहे किसी भी उलझन में फंसें हो पर नियम जरुर बनाये कि माँ से कम से कम एक बार बात करनी है।अगर आमने-सामने बैठ कर करें तो बहुत ही अच्छा रहेगा पर अगर संभव नहीं हो पा रहा है तो फ़ोन से बातचीत जरुर करें।
15.
व्यवस्ता में भी अपनापन दिखाना जरुरी है
दोस्त साथ हों तो थोड़ी बहुत चुहलबाजी या नोंक-झोंक चलती रहती है यानि अपने काम के साथ-साथ आपसी संवाद भी दिखता रहता है। घर में लेकिन यदि आप व्यस्त है तो एक कर्फ्यू सा लग जाता है। ऐसा क्यों? माना आप अपने ऑफिस के कामों में लगे हैं और आपकी कॉल चल रही हैं तो भी एक छोटी सी हाय हेल्लो हाथ की मुद्रा से या चेहरे के भाव से जता सकते हैं।माँ को अच्छा लगेगा कि बहुत बिजी होने के बाद भी उनका ध्यान है।
16.
उनके फ़ैसलों पर एकदम अपनी प्रतिक्रिया न दें
दोस्तों की न जाने कितनी बातें होती हैं जो हमें पसंद नहीं होती और कई बार तो चुभ सी भी जाती हैं पर आप एकदम से कुछ नहीं कहते हो क्योंकि आप अपने मित्र को उदास या नाराज नहीं करना चाहते हो।माँ की भी बहुत सी बातें हो सकता है कि अच्छी ना लगे या मन को ख़राब भी लगे या आपने ऐसी कोई गलती की ही ना हो जिसके लिए आपको उत्तरदायी माना जाएँ। कोई बात नहीं एकदम से न कह कर थोड़ा समय लेकर फिर अपनी बात रखें और उसका असर देखें।
17.
उनकी राय पर चिंतन करें
जीवन में यदि सही तरीके से देखेंगे तो हमेशा ही यह पायेंगे कि माँ की राय सदा ही आपके हित में और आपकी उन्नति की ओर बढ़ने वाली साबित होती हैं। अक्सर माँ तो पुराने विचारों की हैं,ऐसा सोच कर उनकी बात को अनसुना कर देते हैं।अब आपकी माँ जब भी राय दें तो बस थोड़ा सा ध्यान से उस बात पर अमल करने की सोचिये और करके देखिये भी,आप हैरान होंगे कि सबसे उतम और सटीक राय तो माँ की ही निकली। आखिरकार वो ही तो है आपकी गमगुसार तो इस पर विचार जरुर करें।
18.
उनकी सलाह को गंभीरता से लें
बचपन में हर छोटी बड़ी बातों में या हर परेशानियों में आप माँ से बता कर उनकी तरफ देखते थे कि आपने ठीक किया या नहीं और उनके हाव भाव से जान जाते थे कि माँ आपको जरुर बतायेंगी कि करना ठीक था या नहीं।अब जब आप जीवन की बड़ी चुनोतियों से झूझते है तो कई बार बताना नहीं चाहते या उन्हें पीड़ा नहीं देना चाहते या खुद ही हल निकल लेंगे,ऐसा भी सोचते हैं।माँ से बढ़कर कोई भी सलाहकार हो ही नहीं सकता। उनसे सलाह लीजिये।
19.
उनकी परेशानी को भांपने की कोशिश करें
माँ तो आपकी पीड़ा को बिन कहे ही जान लेती हैं और आप। कई बार समझ पाते हैं और बहुत बार तो देख कर अनदेखा भी कर जाते है। माँ खुद ही हल कर लेंगी,ऐसा भी सोच लेते हैं।सवाल यह है कि आप ने कितना उन्हें भांपा और आगे बढ़ कर उन्हें मानसिक रूप से उन्हें शांति प्रदान की। माँ – मैं हूँ न- यह भाव दिखाना ही नहीं,उसे सही तरीके से कहने और करने की कोशिश भी आपका कर्तव्य है।
20.
अपनी समस्या से उन्हें अवगत कराएँ
अपनी समस्याओं से आप हर हाल में झूझ लेंगे इस बात में कोई शक नहीं है,पर अकेलापन महसूस करेंगे।किसी को बताने से या अपनी परेशानी को बाँटने से समस्या आधी रह जाती है,यह बिलकुल सच है।अपनी धड़कनों से पूछिए कि आपकी सबसे पहली और सबसे बढ़िया दोस्त यानि माँ से अच्छा सुझाव कौन दे पायेगा।शायद कोई भी नहीं क्योंकि किसी के दिल में इतनी खलबली हो ही नहीं सकती जितनी माँ के दिल में होती है।
21.
सकारात्मक रिश्ता बनाएं
यूं तो खून के रिश्ते एक अटूट बंधन में बंधे होते हैं पर जिस तरह से भागती-दौड़ती जिन्दगी की रफ़्तार है तो ऐसे में रिश्तों में दरारें परिवारों में आने लगी हैं।अपने रिश्तों को टटोलने की जरुरत आज सभी को है।घर है तो तकरार भी किसी न किसी बात में हो जाती ही है। रिश्तों में सकारात्मक भाव बनाने के लिए माँ को जब आप एक मित्र रूप में देखेंगे और मानेगें तो स्थितियां अलग नज़र आएगी।
22.
माँ के लिए एक छोटी सी लाइब्रेरी घर में खोल सकते हैं
बहुत सारी महिलाओं को बहुत पढ़ने- लिखने का शौक होता है पर कई बार ससुराल में वो माहौल नहीं मिल पाता या काम की व्यवस्ता के चलते हुए भी अपने शौक के लिए समय ही नहीं निकलता है।अपने मित्र की इच्छाओं को पूरा करने में हम जी-जान लगा देते हैं तो इस हिसाब से भी माँ से दोस्ती करने के लिए उनके शौक के लिए अपना भरपूर सहयोग करें।
माँ को दोस्त बनाने के बेहतरीन तरीके
23.
असहमति प्यार से जताएं
दो पीढ़ियों के बीच का अंतर हमेशा ही बना रहा है और बना रहेगा।घर में बहुत से विषयों पर माँ आपसे या आप माँ से पूर्ण रूप से सहमत नहीं होंगे। यह बहुत स्वाभाविक सा ही है।माँ से असहमति को नरम शब्दों में या किसी और का कोई अच्छा सा उदाहरण देकर अपनी बात को अप्रत्यक्ष रूप से दर्शाया जाया जा सकता है। माँ को बुरा भी न लगे और असहमति भी दिखा दी जाए।
24.
एक शांत श्रोता बनना ज़रूरी है
माँ की एक मुश्किल यह भी है कि वो तो सब की बहुत ही धैर्य के साथ सुनती हैं और अपने अनुभवों के हिसाब से सलाह भी देती हैं। जब तक वो पूरी तरह से समस्या या किसी भी परेशानी को सुलझा नहीं लेतीं हैं,उन्हें चैन नहीं पड़ता।आपको भी यदि माँ से सच्ची दोस्ती करनी है तो उनको सुनिए,ध्यान से सुनिए और मन से सुनिए। हर हाल में उन्हें यह महसूस कराइए कि आप उनकी हर बात में उनके साथ हैं और उनकी बात से दिल से सहमत हैं।
25.
अपने स्नेह को अपनी बॉडी लैंग्वेज से जताएं
माँ से सभी को एक अलग प्यार की फीलिंग होती है और उनसे स्नेह की भावना तो जन्म से ही होती है जो बहुत ही स्वाभाविक है।माँ और बच्चों के बीच एक स्नेह सेतु हमेशा मौजूद रहता है।हम सभी पर चूक जाते है उस आत्मीय भाव को दर्शाने में,उन्हें अपना मृदुल प्रेम दिखाने में।बस इसे नहीं भूलना है दिन भर में न जाने कितने अवसर आते रहते है जब अपना स्नेह माँ को जाता सकते हैं।
26.
उनकी पिछली जिन्दगी के बारें में रूचि दिखाएँ
दोस्तों में पिछली बातों को अक्सर दोहराया जाना आम सी बात है और उसमें हल्की सी मजाक भी चलती रहती है।माँ के बचपन से जुडी हुई घटनाएँ उन्हें बहुत प्रिय होती हैं।जब उनकी पिछली जिन्दगी की बातों में आप अपनी रूचि दिखायेंगे तो माँ के रूप में एक चुलबुली सी सहेली को ही सदा पास पायेंगे और दिल खोल कर बातें भी कर सकेंगे।
27.
उनके साथ मतलब ही उनके ही साथ
जब माँ के साथ होते हैं तो उन्हें सबसे अच्छा और सुखद लगता है कि उनके बच्चे उन्हें कितना चाहते हैं और बस यही बात उनमें सुकून की भावना जगाती है।बस उनके साथ रहिए चाहे कभी रसोई में,कभी बरामदे में चहलकदमी करते हुए तो कभी यूँही साथ साथ रहते हुए भी। दोस्त के पास यानि हर समस्या साफ।
28.
सक्रिय रूप से साथ रहें
साथ होते हुए भी यदि आप अपने में मस्त हैं तो बुरा तो नहीं है पर रिश्तों में नजदीकी नहीं झलकती है।अपने काम के साथ साथ बीच बीच में रसोई में आना,थोड़ा सा कुछ न कुछ खाते रहना या माँ के साथ किसी काम में थोड़ा सा हाथ बंटाना सुंदर व्यवहार लगता है।अपनापन पास या दूर होने पर निर्भर नहीं करता है वरन आपसी दिल का मेल कितना गहरा है वो ज्यादा जरुरी और अहम् है। इसे अपनी सक्रियता से दर्शा सकते हैं।
29.
स्वयं खुश रहने की आदत डालें
कई बार बच्चे अपनी ही समस्याओं में उलझे से रहते है और उदासी का लबादा ओढे हुए पूरे घर में एक अजीब सा वातावरण बनाये रखते हैं। सब लोग बस अपने-अपने अंदाज़े लगाते रहते हैं कि शायद यह हुआ होगा या यह तो नहीं हुआ।कोई भी बात मन को चाहे कितना भी विचलित क्यों न कर रही हो,पर एक मित्र की भांति स्वयं की परेशानियों को दबा कर एक शांत भाव चेहरे पर रखें।मित्र यानि आपकी माँ को परेशां नहीं करना है।
30.
माँ के साथ खुद भी टहलने जाएँ
माँ अपनी व परिवार की सेहत को लेकर बहुत ज्यादा जागरूक रहती हैं और सबको प्रेरणा भी देती है क्योंकि वो जानती हैं कि Health is Wealth.सुबह की सैर के लिए वो अक्सर जल्दी सोने के लिए कहती हैं और बहुत बार बहुत ज्यादा भी कहती हैं। अपनी नाराजगी भी दिखाती है। बस किसी रोज उनके साथ टहलने निकल जाइए और जी भर कर खुली ताजी हवा में घूमते हुए ढेर सारी बातें करिए।
31.
अपने हाथों से उनकी पसंद की डिश बना कर खिलाएं
दुनिया में प्रथम साँस लेने से ताउम्र माँ के होते हुए उनके हाथों का स्वादिष्ट व्यंजन,तरह-तरह के खाने के प्रकार बच्चे खाते रहते हैं।माँ का तो सारा दिन ही सबकी फरमाइश पूरी करने में निकल जाता है।माँ को क्या कभी अपने हाथों से कुछ बना कर कभी खिलाया आपने? नहीं अभी तक तो नहीं,शायद ऐसा ख्याल भी कभी दिमाग में आया ही नहीं।कोई नहीं,अब कुछ अपने हाथों से बना कर खिलाए और अपनी सहेली वाली माँ की मुस्कान देखिये।
32.
कोई एक समय खाना उनके साथ खाएं
जन्म से बड़े होकर भी माँ के हाथों से बने स्वादिष्ट खाने के आप न सिर्फ कायल है बल्कि दुनिया की सबसे बढ़िया शेफ भी वो ही हैं।अब दिक्कत यह आ गई कि साथ में खाना खा नहीं हो पा रहें है।दोस्त के लिए समय निकलते हैं न तो माँ तो सबसे अभिन्न सहेली हैं ही,उनके लिए कोई भी एक समय का खाना साथ खाने का नियम तो बनाना ही होगा।
33.
उन्हें नये रेस्टोरेंट में खिलाने ले जायें
हर वक्त और हर अवसर पर माँ आपकी पसंद नापसंद को ध्यान रखते हुए तरह-तरह के व्यंजन और स्वादिष्ट भोजन बना कर प्रेम से खिलाती हैं। क्या कभी ऐसा विचार आता है कि माँ की पसंद की कोई डिश उन्हें बाहर खिलाई जाएँ।बस इसी उम्द्दा ख्याल को मद्देनज़र रखते हुए आज ही माँ को उनके पसंद के रेस्टोरेंट में उन्हीं की ही चॉइस का उच्च अच्छा सा खिलाइए और आराम से बैठ कर गप्पें लगाइए।
माँ से दोस्ती करने के लिए अनमोल सुझाव
34.
उनके कमरे को नया रूप दें
घर को सुचारू और व्यवस्थित रखने में माँ का कोई सानी ही नहीं। आप जब बाहर से घर लौटते हैं तो आपका कमरा कितना ज्यादा साफ सुथरा मिलता है क्योंकि माँ को गंदगी बिलकुल भी पसंद नहीं है।अब अपनी दोस्त यानि माँ के कमरे को जरा एक नया सा रूप दीजिये। उसे भी तो अलग तरह से सजा कर या कोई आरामदायक कुर्सी ला कर या कोई नयी पेंटिंग लगा कर। आपका मन होना चाहिए बस।
35.
थोड़ी सी दूरी आपको उनके पास लाएगी
माँ बच्चों में एक गहरा नाता और निकटता सबसे ज्यादा रहती है क्योंकि जन्म से लेकर माँ से जुडाव बहुत ही स्वाभाविक है।कहीं बार विचारों का टकराव घर के माहौल में एक तनातनी सी ले आता है।ऐसे में थोड़ी दूरी अक्सर आपके रिश्तों में मधुरता और समीपता ले आती है ठीक वैसे ही जैसे जब दोस्तों के साथ होता है। माँ भी सबसे अच्छी दोस्त है और कभी-कभी थोड़ी सी दूरी अपने गलती का अहसास करने में मददगार साबित होती है।
36.
उनकी गलतियों पर रियेक्ट न करें
माँ भी एक इन्सान हैं,खुदा नहीं हैं।कभी कभार उनसे भी कोई गलती हो ही सकती है। अमूमन घरों में माँ से कोई गलती हो नहीं सकती ऐसा मान लिया जाता है।ऐसी सोच और ऐसा रवैय्या तो बिलकुल भी ठीक नहीं हैं।माँ से जाने-अनजाने जब भी कोई गलती हो जाए तो उन पर दोषारोपण करने से पहले देख लें और उसे ठीक करने में मदद करें। रिएक्ट तो कभी भी ना करें। दोस्तों का साथ दिया जाता है और उचित समत देख कर उनकी गलती को बताया जाता है।
37.
घर के कामों में बढ़ कर हाथ बंटाएं
घर गृहस्थी में सिर्फ क्या माँ को ही काम करना होता है,नहीं ना।माँ के कार्यों की कभी सूची बना कर तो देखिए। आप को बेहद हैरानी होगी कि क्या कोई अपने घर के सदस्यों के लिए दिन रात दिल से काम कर सकता है। शायद नहीं।माँ के अनगिनत और अनवरत कामों में जब आप भी हाथ बंटाएगें तो आप महसूस करेंगे कि माँ से ओर ज्यादा जुड़ जायेंगे और एक दोस्त वाली फीलिंग का भी अहसास कर सकेंगे।
38.
घर की किसी एक जिम्मेदारी को स्वयं करने की लें
आपने माँ के साथ काम को बाँटने की तो सोची है पर जब मन आया तो कर दिया और जब नहीं तो नहीं किया।इससे तो बात बनेगी नहीं।किसी काम की जिम्मेदारी को लेना यानि उस विशेष काम के लिए माँ को बेफिक्री होनी चाहिए तभी उन्हें अच्छा लगेगा अन्यथा कभी होगा या नहीं होगा से तो बात बिलकुल भी नहीं बन पायेगी दोस्त के प्रति हम हमेशा जानते हैं कि अमुक काम को तो वह स्वयं देख ही लेगा,बस ऐसे ही माँ के साथ सोचना है।
39.
अपनी दिनचर्या की सब बातें उनके साथ बांटे
याद है आपको जब स्कूल से आते ही सारी बातें अच्छी या बुरी माँ के साथ ही शेयर होती थी।माँ उसी में से अपने अनुभवों से आपको समझाती थी या कभी-कभी थोड़ा गुस्सा भी दिखाती थी।अपने जीवन के सारी बातें सुबह से सोने तक की,माँ से शेयर करना न भूलें क्योंकि आपसी सुख-दुःख की बातें बाँटने से दोस्ती ओर भी प्रगाढ़ होती है।
40.
समान रुचि के लिए समय निकालें
माँ आपकी हैं और जन्म से आप उनके साथ रहते आएं हैं और उनकी देखभाल और परवरिश में ही पले- बसे हैं तो जाहिर सी बात हैं कि बहुत सारी आदतें आपकी उनसे मिलती-जुलती होंगी ही।क्या आपने कभी ऐसे सोचा कि बहुत सारी रूचि या शौक भी आप दोनों के एक से निकल आयेंगे।आज ही गंभीरता से सोचिये और देखिये तो सही कितनी सारी बातें और समान रूचि आपकी निकलेंगी और फिर थोड़ा समय निकल कर एक साथ उन लम्हों को बाँटिये और अपनी सबसे अच्छी सहेली होने का ख़िताब भी पाइए।
41.
नाराज़गी में भी बोलना न छोड़ें
घर गृहस्थी में ना चाहते हुए कई बार आपस में नाराजगी हो जाती है और रिश्तें ना बिगड़े इस को ध्यान करते हुए आपस में बोलचाल भी बंद हो जाती है और जो कई बार काफी लम्बी दूरी सी बन जाती है।क्या अपने जिगरी दोस्त के साथ ज्यादा देर बिना बोले रह सकते हैं ? नहीं ना,तो माँ से इतनी सी बात के लिए इतनी लम्बी दूरी क्यों।माँ हैं कुछ कहेंगी भी तो आपकी भलाई के लिए ही। इस बात को कभी भी ना भूलें और मौका देखते ही बात करने की शुरुआत करें।
42.
उनके अनुभवों का लाभ उठाएँ
जीवन में पग-पग पर अनेकों परेशानियों और तरह तरह की मुसीबतों का सामना करना पड़ता हैं और ऐसे में दोस्त ही सबसे आगे बढ़कर मदद करते हैं और हमेशा साथ रह कर या किसी सलाह से हमें उस मुसीबत से निकलने का रास्ता दिखाते हैं।माँ से बढ़ कर बढ़िया अनुभवों का खज़ाना किस के पास होगा जोकि बिलकुल निस्वार्थ भाव से और पूरे दिल से आपको अपनी बढ़िया राय और प्रयास करने के तरीके बता सकती हैं।
43.
आप उनके साथ है,जरुरत पर साथ दें भी
जैसे दोस्तों को एक विश्वास हमेशा होता है कि दुनिया में कोई हो या ना हो पर किसी भी परिस्थति में मित्र का बेजोड़ साथ तो होगा ही,वो तो समझेगा ही और एक अडिग चट्टान की भांति साथ देगा ही।माँ को भी आपके लिए एक सच्चे दोस्त की तरह के व्यवहार के सहयोग की आशा है न।कहीं कोई हल्की सी भी यह बात तो मन में नहीं है न कि बदलते दौर के यह बच्चे साथ देंगे भी या नहीं।अगर ऐसा है तो स्वयं के आत्म-निरीक्षण की जरुरत है।साथ रहिए और जरूरत पर हमेशा साथ देंआप उनके साथ है,जरुरत पर साथ दें भी
44.
उनकी सहेलियों से भी संपर्क बनाये रखें
दोस्त के दोस्तों मिल कर जब बात करें तो समां कितना सुहाना और मज़ेदार हो जाता है न।क्योंकि रिश्ता आपसी विश्वास और मोहब्बत पर टिका होता है जहाँ कोई किसी बात का बुरा नहीं मनता और कुछ कहने में हिचकता भी नहीं।बस माँ की सहेलियों से खुल कर मिलें उनसे खूब बातें करें और उनके दिलों के साथ साथ अपनी माँ के भी सबसे अजीज दोस्त बन जाइए।
45.
माँ से कुछ भी मांगना आसां होता है
आप को याद है कि कभी भी जब भी कोई भी चीज़ की जरुरत आपको जीवन में हुई तो आप बिना हिचक कर और बिना सोचे माँ के पास जाकर कह देते है। हैं न क्योंकि माँ से ही तो कहना होता है सब कुछ।माँ तो ना कहना जानती ही नहीं है। अब एक दोस्त के रूप में आप अपनी पीड़ा बताइए और एकदम सलाह मिलेगी। आप अपनी ख़ुशी बताइए और बदले में उनके चेहरे की एक प्यारी सी मुस्कान होगी।बस शर्त यही है कि बच्चा बन कर ही मांगिये।
46.
उनकी फिटनेस के लिये जिम या घर पर योग आचार्य की व्यवस्था करिए
यूँ तो घर के काम काज में माँ को फुर्सत ही नहीं मिलती और चक्करघनी सी सुबह से शाम तलक तक वो लगी रहती है।पर शारीरक और मानसिक रूप से फिट रहने के लिए कहो तो माँ मानती नहीं क्योंकि उनके अनुसार वो तो चैन से बैठती ही नहीं।जिम की जरुरत उन्हें है ही नहीं।माँ को आराम से एक दोस्त की भांति जिम या घर पर ही किसी ट्रेनर के द्वारा व्यायाम सिखने के लिए प्रेरित करिए ताकि वो स्वस्थ रहें और डाक्टर से दूर ही रहें।
47.
बुरा सपना देखने पर तसल्ली दें
माँ क्योंकि घर बाहर की चिंताओं को लिए रहती हैं और कई बार रात में दिखे सपनों से बहुत घबरा भी जाती हैं।कभी गूगल पर तो कभी अपने नजदीकी रिश्तेदारों से सलाह मशवरा करती हैं और बहुत बार यदि ख़राब सपना है तो अपने तक सीमित रखेंगी,पर अंदर ही अंदर दुखी रहती हैं।सपनों का अपना एक मनोविज्ञानिक असर व्यक्तित्व पर आता ही है।माँ के हाव-भाव से जानिए और उन्हें प्यार भरी तसल्ली दें कि सब अच्छा ही होगा और यदि कुछ होगा भी तो मिलकर मुकाबला करेंगे।
48.
रूठने की आदत से तौबा आज ही करें
अमूमन बच्चे किसी न किसी बात पर रूठे से रहते हैं।अब जब किसी का मूड बिगड़ा हुआ है तो घर का माहौल भी बेरंग सा और बेकार सा लगने लगता है।माँ की दिनचर्या का अगर सही से विश्लेष्ण करेंगे तो पायेंगे कि उनके पास नाखुश होने के बहुत से कारण होंगे क्योंकि सब की फरमाइश जो पूरी करनी होती हैं।आप खुद से खुश रहने की आदत डाल कर अपनी माँ यानि माँ से दोस्ती की बहुत ही सुंदर मिसाल कायम कर सकती हैं। देर किस बात की। देखिये फिर आप ही सबसे कहेंगी कि उनके पास दुनिया का सबसे बढ़िया दौलत है यानि आपकी अपनी मम्मी डियर।
49
माँ के कविताएँ या शायरी लिखें
अपने दोस्तों की तारीफ में जब भी कुछ अच्छा कहते हैं या वो आपके लिए कुछ बोलते हैं या लिख कर देते हैं तो दिल कितना खुश हो उठता हैयह बात दूसरी है कि किसी भी दोस्त को खास शब्दों में प्रशंसा की जरूरत होती ही नहीं है ,ठीक माँ की तरह।बस कुछ सुंदर से अल्फाजों को चुनिए और माँ के लिए प्यार की मोतियों वाली माला में सजा कर सुनाइए। माँ एक अच्छे से मासूम दोस्त की तरह मुस्कुरा कर कहेंगी कि अरे तुम तो बहुत अच्छा लिखते हो।
एक कविता माँ के लिए-
“मेरी अभिन्न सखी है माँ”
मेरी अभिन्न सखी है माँ,जो ख्यालतों में बसा एक हसीन ख़्वाब है।
मन के सभी अच्छे-बुरे राज़,आँखों ही आँखों से बस ख़ूब पढ़ लेती है।
दिल के जज़्बातों को समझ लेती हैं न जाने कैसे ख़ुदबख़ुद
पलकों पर ठहरे आँसू क्यूँ न बह सके,पीठ थपथपा जादू की झप्पी लेती है।
हँसी आए जब हद से ज़्यादा, यूँही बिना किसी बात पर
दिल में छिपी चुभन है बस,गले लगा पता लगा लेती है।
पसंद-नापसंद की यूँ तो लम्बी फेहरिस्त, रहती मेरे पास हमेशा
पर किस से ख़ुशी मिलेगी मुझे,ये अंदाज़ा ख़ूब लगा लेती है।
भविष्य में क्या होगा मेरे लिए नफ़ा-नुक़सान, रहती मैं तो अल्हड़पन में
माँ सोच विचार के सुदृढ़ सुंदर सा,ताना-बाना बना लेती है।
माँ के साथ दोस्ती कैसे करें-बस यह एक छोटा सा ख्वाब अपनेआप में बहुत कुछ कहता है।माँ तो यूँ सबसे अच्छी दोस्त होती ही है पर फिर भी माँ के साथ दोस्ती कैसे करें पर कुछ चुनिदें विचार इस ब्लॉग में पढ़िए जरुर।COMMENT BOX में अपनी राय भी दीजिये जरुर।
रास्ता था लम्बा, मुश्किलें थी क्रूर
दिल में लेकिन मशाल जला कर चली आयी मैं इतनी दूर।