रिश्तों की खटास पर शायरी असल में उन सभी मनोभावों को दर्शित करती है जब जीवन जिन रिश्तों पर हमेशा गर्व महसूस करता हैं और उन्हीं के जब असली चेहरे से रूबरू होता है तो एक खटास मन में आ जाती है और जो हृदय को पीड़ा पहुँचाती हैं।
हमारे आपसी रिश्ते मधुर बने रहें तो किन बातों का ध्यान रखें,यह दर्शाने की एक कोशिश की है|
पढ़ना न भूलें
|अधूरे रिश्तों पर दर्द भरी शायरी|
रिश्तों की खटास पर शायरी,मन की दुखती बातें निकलें सारी
रिश्तों में खटास पर शायरी द्वारा जीवन के अनचाहे ऐसे पलों को कविताओं द्वारा बताने की चेष्टा की है
खटास संबंधों पर दर्द भरे कोट्स|51 दिल को भावुक करती रचनाएँ
1)रिश्तें आख़िर है क्या,एक दिली अहसास हैं
अन्दाज़ ब्यां था हो रहा,नहीं अब वो बात है।
2)दिल था मायूस,मगर मना न सकें
खटास थी आ गई,हटा भी न सकें।
3)जिनको साथ ले कर चले थे हम
बेगानापन देख खटास से भरा मन।
4)ग़ैरों की बातें बहुत मीठी,हुआ करती हैं
खटास आने पर रिश्तों में,पता चलती हैं।
5)रिश्तों में खटास से, दिल हुआ भारी
ऐसे भी दिन आयेंगे,लगेगा सब ही खाली|
6)रिश्ते जो अनमोल प्यार से, बंधे हैं होते
दिलों में खटास करते, जब दिखे दूरी होते।
7)सिर्फ़ कह देने से रिश्ते, नहीं चला करते
बातें दिल से कही हो,तभी है चला करते।
8)रिश्ते-नाते बन चले थे,प्यार की ख़ुशबू भी थी
यह पेच-ओ-ताव ने ख़ाहमख़्वाह,खटास भर दी।
9)कारे-अमाल को,पलट न फिर कभी सकें
खटास आये दिल को भी,चाह कर बदल न सकें।
(कारे-अमाल=किया हुआ कार्य)
10)जब जब जीवन में सोचा,दिले-सूकून आया है
नफ़रत का जामे-जर्री प्याला,पकड़ाया गया है।
11)ज़ुबा क्या-क्या न करवा दें,सोच भी नहीं सकते
एक पल पहले जो दिल में थे,निकले वो झट से।
रिश्तों की खटास वाली कविताएँ
12)जीवन में लम्हे ग़मे-हयात के है,आते ही हैं रहते
कोशिश भी है होती,मगर खटास जाती ही नहीं।
13)मनभेद हुए होते तो,सब्र कर ही लेते हम भी
पीठ पर चुपके से वार,भला कैसे सहे अब भी।
14)अपने ही तो ज़रूरत के वक़्त,घाव दे जाते हैं
दिल कहाँ कमजोर हैं,जान नमक छिड़क जाते हैं।
15)लहज़ा बात करने का,ब्यां बख़ूबी कर ही देता है
रिश्तों में हैं प्यार असली या है खटास,जता देता है।
16)ओराक-ए-शजर जैसे सब्ज़ थे, जो आशियाने
रिश्तों में आयी खटास ने,दिखाए अपने थे बेगाने।
(ओराक-ए-शज़र=पेड़ के पत्ते।सब्ज़=हरे भरे।)
17)जब से अपनों पर निगाहें,शुरू की डालनी हमने
दुश्मन अपने ज़्यादा हैं क़रीब,लगे अब समझने।
18)जीवन भर प्यार के रिश्ते,रहे बने सदा अनमोल
चाह न हुई पूरी,खटास आई मिले कड़वे जो बोल।
19)इक़रारों-अहद लेकर भी,दूरी दिलों में करते हैं
अपनों के भेष में,ख़फ़ा-ख़फ़ा दिल से जो रहते हैं।
20)दुनिया तो है मतलबी,समझ ही जरा देर से आई
जब आई तो हर बात की,गहराई भी नज़र आई।
21)जिन्हें अपना समझ,दिल के राज बतला देते हैं
वो ही मौक़ा मिलते,दिल में खटास भी भरते हैं।
22)रिश्तों में बना सदा रहे ,एक अनमोल लगाव
खटास लाने वालों से,करे दूरी का इंतज़ाम।
खटास भरे रिश्तों पर status
23)रिश्तों में सहजता की चाह,तो सबको रहती है
मगर बोलने में जल्दी,उन संबंधों पर चोट करती है।
24)बहुत मीठी बोली कोई बोले,तो बस संभल जाइए
समय बीतने पर खटास ही भरेगी,ख़ुद को बचाइए।
25)हर दिन अपनों का साथ सोच सुकून रहता था
छीन लेंगे अपने ही सुकून,ऐसा कहाँ सोचा था।
26)बज़मे-इश्रत में उनकी मुस्कान,कुछ-कुछ कह रही थी
प्यार के बदले ज़हर मिलेगा,यह बात नहीं समझी थी।
(बज़मे-इश्रत=ख़ुशी की महफ़िल)
27)रिश्ते तो आते है जन्म से ही बंध कर,हर हाल निभाए
मगर बेवजह ग़लतफ़मियाँ,तो इनमें न लायी जाए।
28)दुख की अधिकता ही थी कुछ ऐसी,दिले हाल बता बैठे
जीवन भर का ग़म मिलेगा,नहीं सोचा,और ग़म ले बैठे।
29)संस्कार दिख ही जाते है,देर-सवेर सभी के अक्सर
जो अपनेपन का करते है ढोंग,खटास लाते है कर बेख़बर।
30)मन होता जब बेबस,सहानुभूति किसी की चाहता है
बस दिल हमारा उसे अपना समझ,धोखा वहीं खाता है।
31)मैं बहुत ही काबिल और मददगार था,कल तलक
ऐसे मुँह फेर चले गये,जैसे जानते ही नहीं थे मुझे अबतलक।
32)हाँ में हाँ मिलाते रहे जब तक,सब कुछ ठीक-ठाक था
बात सही बोली,तो रिश्तों में खटास का अहसास था।
33)रुख़्सार पर सुर्ख़ ग़ुलाब की थी रंगत और थे वैसे ही मिज़ाज
खटास काँटों सी चुभी,आख़िर था तो यही इसका रिवाज।
रिश्तों में खटास याद दिलाती रचनाएँ
34)रिश्तों में खटास आये जब भी,तो बात कर लेनी चाहिए
पर क्या कीजिए ग़र उधर से,इच्छा न कोई दिखायी जाए।
35)उसका असली चेहरा आज,सरे-आम सामने जो आ गया
दुख विरहन बन हृदय में शूल सा,चुपके से चुभा गया।
36)आँखों में नमी देख हमारी,वो धीमे से मुस्कुरा रहे थे
भूल गए थे वक्त की चोट,लौट कर वही वो जा रहे थे।
37)खटास ऐसी हुई दिल में,क़हर सा जीवन में बरपाया
उन्हें फ़र्क रत्ती पर न पड़ा,क्योंकि सोच के था करवाया।
38)उसकी बोली के मीठेपन में मिठास,ज़्यादा ही लगती थी
खटास ऐसी आई दरमियाँ,अब कड़वाहट सी दिखती थी।
39)रिश्तों में एक लिहाज़ बनाता,आपसी भागीदारी और भी सुंदर
खटास भरने वालों को,कदम नहीं रखने देती घर के अंदर ।
40)रिश्तों में भरता एक मक़सद के लिए,जो खटास अक्सर
चैन से वो भी नहीं रहेगा,न होगी ज़िंदगी अच्छी उसे भी मयस्सर।
41)बहुत मज़बूती से बांध कर रखे हुए थे,अपने रिश्ते सारे
रेत की मानिंद हाथ से छूटे,एक पल में,जो कल तक थे हमारे।
42)बारात-ए-नूज़ूम में जिसे माना था,अपना मह-ए-कामिल
खटास ऐसी पैदा की बोली से,दोस्ती के भी नहीं लगा काबिल।
(बारात-ए-नूज़ूम=तारों की बारात|
मह-ए-कामिल=पूरा चाँद)
43)क्षितिज के उस पार उगते चाँद का,इंतज़ार भी भारी हुआ
रिश्तों की खटास ने,जीवन में अधूरेपन का दुखद अहसास हुआ।
44)कश्मकशे-फ़िक्रों-ख़्याल,यूँ तो सबको बहुत अच्छा लगता है
मगर ज़हर दिल में और लबों पर मिठास,पता भी चलता है।
Best रिश्तों की खटास शायरी
45)साथ साथ रहना तय नहीं करता,अच्छे ताल्लुकात हैं दरमियाँ लिए
अहदे-बाहम मजबूर करती हैं इंसा को,बंधन निभाने के लिए।
(अहदे-बाहम=परस्पर प्रतिज्ञा)
46)साज़िशें जब कोई रचता है,दिखा हर वक्त बहुत ज़्यादा अपनापन
समय ही बताता है,खटास डालता है कौन और कौन है दुश्मन।
47)रिश्तों की खटास कम करने के लिए,ज़िंदगी छोटी होती गई
हम प्यार से मनाते रहे,पर उनकी ज़िद बड़ी ही साबित हुई।
48)हमारी मासूमियत रही कि रिश्तों को,हर हाल बचाना चाहा
गलती की यही उनकी ज़िद को,हमने नहीं पहचानना।
49)रिश्तों में खटास डालने वालों का,एक अन्दाज़ हुआ है करता
सब ठीक होने पर जुमला,क्या मुआ’मला है,शक पैदा करता है।
50)तर्जे-तकल्लुम का अन्दाज़,रिश्तों में अहम् हुआ करता है
कड़वी बातों से तो ज़िंदगी में,कोई किसी की परवाह कहाँ करता है।
(तर्जे-तकल्लुम=बातचीत का तरीका)
51)ज़िंदगी भर का साथ रहेगा,रिश्ता था अपना ख़ास
ईश्वर ने ही बना कर भेजा था,ख़ुद अपने ही हाथ
सितम यह है कि सच्चाई जरा सी,क्या बता दी ऐसी
बरसों का साथ छूटा,एक पल में न जाने ख़ता हुई कैसी।
रिश्तों की खटास पर शायरी,सबको भाएगी ऐसी उम्मीद है क्यूँकि जीवन में इससे सबका सामना होता ही है।पढ़ियेगा ज़रूर रिश्तों में खटास वाली कविताएँ।COMMENT BOX में पसंदीदा रचना के बारे में लिखिएगा भी।
रास्ता था लम्बा, मुश्किलें थी क्रूर
दिल में लेकिन मशाल जला कर चली आयी मैं इतनी दूर।