रिश्तों पर कटाक्ष वाली शायरी यानी बात भी कह दी जाए और सामने वाले को बुरा भी ना लगे पर मतलब समझ में आ जाए कि क्यूँ कहा है और किस संदर्भ में कहा है।पढ़िए और आनंद महसूस कीजिये|

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बिखरे परिवार पर वेदना भरी शायरी|

रिश्तों पर कटाक्ष वाली शायरी

हास्य रूप में रिश्तों पर कटाक्ष वाली शायरी,बात बात में कह जाए बात पर सारी

हास्य-व्यंग से कटाक्ष करती शायरी|51 कविताएँ मीठी छुरी  वाली

1)बिन देखभाल के हरा भरा,पौधा भी है सूख जाता

कड़वे बोल है तुम्हारे इतने,नहीं बच पाएगा रिश्ता।

 

2)नासेह बन आते है जो,हिन्दी में यकायक

दिल में आग सुलगा देते है,फिर अचानक।

(नासेह=उपदेशक)

 

3)ज़ुबा ही असली बात है होती,रिश्ते निभाने में

ग़ैर बन जाते अपने और अपनों को ग़ैर बनाने में।

 

4)पैसा कमाना है ज़रूरी सब यह जानते हैं

सिर्फ़ पैसा ही है सब कुछ,नहीं मानते हैं।

 

5)रिश्ता उनसे जोड़ कर,दिल था बहुत ही खुश

मीठी बातों के असर से,बच नहीं पाते है हम।

 

6)तन्हाई में दिल याद कर,उन के लिए रो दिया

जिनके लिए जिये हमेशा,उन्हीं ने धोखा दिया।

 

7)शराफ़त का जितना ज़्यादा,जो दिखावा करें

कहा दिल ने ज़रा अपना,फ़ासला बनाया करें।

 

8)ज़ुबा ख़ामोश थी,पर गहरी आँखें बोल उठी

कटाक्ष बिन कहे ही,अपने अन्दाज़ में कह उठी।

 

9)तुम्हारे ये सरल जीवन पर,विचार भाते हैं

पर क्या ख़ुद पर कभी,अमल कर पाते हैं।

 

10)हर वक्त मेरे पास,जिसका आना-जाना था दिन रात

मिलना तो दूर,पहचानने से भी इंकार हुआ एक साथ।

 

11)ज़िंदगी ने सारे अपनों का,अपनापन बखूबी दिखा दिया

ज़रूरत थी जब सबसे ज़्यादा,मौक़ापरस्त हैं,जता दिया।

 

12)वादे इतने जल्दी-जल्दी,मत ही  किया करो

पिछले हुए वायदों पर,जरा गौर भी किया करो।

 

13)समय पर है स्वयं ढल जाती,मुँडेर पर धूप थी जो पसरी।

कटाक्ष वाली बोली से,बिन कहे ख़त्म होती रिश्तेदारी।

 

14)अपनों को ही तो पता होता है,कहाँ घाव है गहरा

ख़ंजर घोंपते हैं शब्दों की मिठास से,होता असर पूरा।

 

सबक़ सिखाने वाली शायरी

 

15)राम जैसे आज्ञाकारी बेटे की चाह,हर माँ को होती है

कौशल्या बनने की समझ,मगर कितनों को होती है।

 

16)यूँ कुरेद-कुरेद कर बात को,घुमाया ना करो

सीधे-सीधे मुद्दे पर आकर,पूछ ही लिया करो।

 

17)बहुत क़रीब से रिश्ता,जुड़ गया था कुछ ऐसा

दिल की ख़ुफ़िया ख़बरों का,ज़रिया मिला जैसा।

 

18)यह हर वक्त का बड़बोलापन,कहीं तुम्हें न ले डूबे

कम बोलने से आज तक नहीं बिगड़े,किसी के भी रिश्ते।

 

19)ये हर बात-बेबात पर नुक़्ताचीनी,कम किया करो

पहले ख़ुद उस काम को,करके देख भी लिया करो।

 

20)दिन रात भला-बुरा कहते-कहते नहीं थकती ज़ुबान

मीठे दो शब्द सुन,भावुक हो करने लगते फिर बखान।

 

21)जश्ने-महफ़िल का न्यौता मिला था,सोचा न जाए

दिल ने आवाज़ दे कहा,नहीं बदले की भावना को न लाए।

 

22)किसी को जीवन में अगर परखने का,हो मन कभी

विचार नहीं आचरण देखो, एक पल रुको देखो तो सही।

 

23)थोड़ा सभ्य ढंग से,बोलने की आदत होनी चाहिए

डिग्रियाँ फ़र्जी सी न लगे,ये समझदारी होनी चाहिए।

 

24)भरी महफ़िल में सबसे ज़्यादा,वो पढ़ा लिखा बन गया

ज़रूरत के वक्त काँधे पर हाथ,प्यार से उसने जो रखा।

 

25)यूँ उनको सामने से आता देख,अचानक याद आया

बहुत वक्त से कोई नया ज़ख़्म भी,तो हमने नहीं पाया।

 

26)हर किसी की बुराई करते थे,मिलने पर हर बार

हमारा ज़िक्र भी करते होंगे ऐसे ही,समझे इस बार।

 

27)इतना शोर  आख़िर क्यों है,मेहनत को दिखाने का

रंग लाती है कोशिशें,वक्त लगता है सब्र से दिखाने का।

 

28)बातों को घूमा-फिरा कर करते है,जो अर्थ का अनर्थ

अब क्या बात की जाए,समझाना भी लगता तब व्यर्थ।

 

कटाक्ष वाली शायरी स्टेट्स

 

29)दोस्ती में जता अपनापन,मन में रख एक मतलब

चोट जब लगी दिल पर,देर से समझे उनके मतलब।

 

30)सुख क्या आया जीवन में,अनजाने भी आने लगे

ग़मे-पिन्हा के वक्त,ग़ायब से थे जो,नज़र आने लगे।

 

31)मेरे छोटे से तोहफ़े को,खोला गया यूँ सबसे बाद में

पता था उम्मीदें ही दी होंगी,जो अभी काम की नहीं।

 

32)टूटे कुछ इस तरह से,बिखर गया नाज़ुक सा दिल

यकीं अब किसी पे करना,हुआ बहुत ही मुश्किल।

 

33)मानते  रहे जिन्हें,अपनी ज़िंदगी का प्यारा रहगुज़र

बड़े आराम से तिल्ली जला के,चल दिए अपनी डगर।

 

34)नौकरी के पहले दिन,कहेंगे यही तुम्हें बरखुरदार

जिसे मन न स्वीकारें,न करना समझौता हो बेज़ार।

 

35)दिलों में पड़ी गाँठें,कभी खोलने की इच्छा उधर से नहीं आई

ग़लतफ़हमी की दीवार,चाह कर एक तरफ़ से ढाही नहीं गई।

 

36)डिग्री से बात नहीं होती,झूठ बोलने में हो जाते जो माहिर

कितने लोकप्रिय हो जाते है लोग,मंशा नहीं  करते ज़ाहिर।

 

37)कहावतों पर यक़ी बहुत था,पहले से ही मुझे बेशुमार

बग़ल में राम हाथ में छुरी दिखी जैसे अब,बढ़ा और भी ऐतबार।

 

38)एक छोटा सा कोना है घर में,मिलता जहां बेहद सुकून

दुनिया के रिवाजों से अनजान,कुछ नेक करने का लिये जुनून।

 

39)अपने काम के लिये किसी को,नहीं कर पाये कभी इस्तेमाल

दुनिया ने कहा भोला है,चोट खा कर हम ही कहलाये बेख़्याल।

 

40)चेतना शून्य हुई अचानक,जब कटाक्ष के स्वर सुनाई दिए

कल तक फूलों की बोली से,ज़रूरतें हम से पूरी की गई।

 

41)सुनते हैं आईना की बात रोज़,घर से निकलने से पहले

कही सफलता की गर्मी,बिगाड़ न दें चेहरे को इससे पहले।

 

42)ये न समझा जाए,कि कोई जानता नहीं तुम्हारी ख़ुदगर्जी

छोटा मान तुम्हें छूट देते है,चलो करने दो अपनी मनमर्ज़ी।

 

बेस्ट कटाक्ष शायरी पर कोट्स

 

43)नींद में दिखती तुम्हारी बैचेनी,हाल कुछ ओर ब्यां है करती

मेहनत से कमाए पैसों में यूँ करवटें,बदल-बदल रातें नहीं कटती।

 

44)नयी-नयी पगडंडियों की खोज,समय थोड़ा ज़्यादा ले लेती है

मन खुश बहुत होता है,जब नयी कोई बात निकली दिखती है।

 

45)भई किस्मत वाले हो,कह मेरी मेहनत को किया दरकिनार

गले में हार पहनाने वालों को,ख़ास के नाम में किया शुमार।

 

46)बज्मे-इश्रत में तुम्हारी बेबाक़ हँसी,कुछ ज़्यादा है लग रही

हमारे चेहरे के नूर से कहीं कोई,तकलीफ़ तो नहीं हो रही।

(बज्मे-इश्रत =प्रेम की महफ़िल)

 

47)दिल मासूम होता है,नहीं जान पाता स्वार्थ औरों का

पीठ के पीछे वो ज़हर घोलते रहे,चाशनी के स्वाद का।

 

48)बातों को परखने का इरादा कर,माँगा जो साथ जब उनका

व्यस्त रहने की कॉलर टोन से,असलियत का चेहरा दिखा उनका।

 

49)मुझे यह बात कहने में,जरा सी भी कठिनाई नहीं लगती

नये जमाने को हो तो,सोच फिर नयी क्यों तुम्हें नहीं जँचती।

 

50)मिलने पर हाल चाल पूछते है,जमाने का निभाते हुए दस्तूर

चेहरे पढ़ कर अंदाज़ा लगाने वाले लोग अब कहीं मिलते ही नहीं।

 

51)रौब दाब और रूतबे में,नहीं था कोई दुनिया में उसका सानी

एक अलमारी दवाइयों से भरी थी,कड़वाहट से भरी थी जो वाणी।

रिश्तों पर कटाक्ष वाली शायरी उन लोगों के लिए एक सबक़ की तरह है जो ख़ुद को बहुत समझदार व औरों को नादान समझते हैं।रिश्तों पर कटाक्ष करती कविताएँ पढ़िए ज़रूर।

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